Ambikapur. अंबिकापुर। नदी सिर्फ नदी नहीं, एक संस्कृति है और इस संस्कृति को खतरा उसमें कचरा फेंकने वालों से हमेशा रहता है। शहर के विभिन्न नदी तालाबों में हो भी यही रहा है। हर वर्ष छठ महापर्व से पहले शंकर घाट स्थित छठ घाट (बांक नदी) की साफ सफाई महामाया छठ सेवा समिति के द्वारा की जाती है। नगर की अनोखी सोच संस्था ने भी इस पुनीत कार्य के लिए अपने हाथ बढ़ाए। हाथ से हाथ मिले और नदी की सफाई के साथ-साथ मेढ़ को बांधने के लिए भी मशक्कत की गई। संस्था के सभी सदस्यों ने जिस तरीके से की वह उनके समर्पित सेवा भाव को बताती है। कई जगह देखा जाता है कि अक्सर लोग श्रमदान का कार्य सिर्फ फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रखते हैं, परंतु रविवार को शंकर घाटी स्थित छठ घाट में श्रमदान का एक अलग ही रूप देखने को मिला। श्रमदान में लगे जितने भी लोग थे उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ वहां की गंदगी को समाप्त कर उसे साफ सुथरा करने में लगा हुआ था। मेहनत
इस श्रमदान के बाद शंकर घाट छठ घाट की स्थिति पहले से बिल्कुल ही अलग नजर आने लगी। जिस तरह से नदी के अंदर और उसे किनारे कचरे का अंबार था, उसे महामाया सेवा समिति व अनोखी सोच के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों ने मेहनत कर साफ कर डाला। इस दौरान महामाया छठ सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सोनी, अनोखी सोच संस्था के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश साहू, अभय साहू, पंकज चौधरी, सहित भारी संख्या में महामाया सेवा समिति व अनोखी सोच संस्था के सदस्य मौजूद थे। मां महामाया छठ सेवा समिति के अध्यक्ष पूर्व पार्षद विजय सोनी ने बताया कि इस वर्ष चार दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को नहाए खाए के साथ होगी। जिस तरह से शंकर घाट में प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है इसे लेकर छठ घाट में लोगों की सुविधा के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। 6 नवंबर को खीर भोजन व घाट बंधान का अनुष्ठान होगा। 7 नवंबर की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर की सुबह उगते और को अर्ध देकर श्रद्धालु कठिन व्रत का पारण करेंगे।