Balrampur. बलरामपुर। बलरामपुर जिले में समर्थन मूल्य में लक्ष्य से 5 लाख क्विंटल अधिक धान की खरीदी कर ली गई। अब समितियों में पूरा धान नहीं मिल रहा है। बलरामपुर के भंवरमाल समिति में 40 लाख रुपये का धान गायब मिला। जांच रिपोर्ट के आधार पर भंवरमाल समिति के प्रबंधक के खिलाफ धारा 409 का अपराध दर्ज किया गया है। भंवरमाल समिति से धान उठाव का डीओ रामानुजगंज के परम राइस मिल के संचालक सत्यम गुप्ता को दिया गया था। वे जब मार्च महीने में धान का उठाव करने के लिए भंवरमाल समिति पहुंचे, तो समिति में धान नहीं मिला। समिति के रिकार्ड के अनुसार समिति में 1200 क्विंटल से अधिक धान का उठाव शेष था। इसकी शिकायत सत्यम गुप्ता ने कलेक्टर से 23 मार्च 2024 को की थी।
इस मामले की जांच सहायक आयुक्त, सहकारिता एवं सहायक पंजीयक आर.एन. पैकरा और सहकारिता निरीक्षक एके दास को सौंपी गई। उन्होंने भंवरमाल समिति पहुंचकर जांच की तो भवंरमाल समिति में खरीफ वर्ष 2023-24 में धान खरीदी में अनियमितता मिली। जांच में समिति में 1281.60 क्विंटल धान कीमत 3972960 रुपये और 3204 नग मिलर बारदाना कीमत 80100 रुपये गायब मिला। जांच रिपोर्ट के साथ सहायक आयुक्त सहकारिता और सहायक पंजीयक ने प्रतिवेदन रामानुजगंज थाने में शिकायत की। जांच में खरीदी प्रभारी महेश्वर गुप्ता सहित अनुज सिंह, कृपाशंकर गुप्ता, कम्प्यूटर ऑपरेटर अमीरचंद और जुरेश आलम द्वारा धान खरीदी करना पाया गया।
जांच प्रतिवेदन के अनुसार खरीदी प्रभारी अनुज सिंह और कृपाशंकर ने 39424.80 क्विंटल धान खरीदी किया। संयुक्त रूप से दोनों ने 39424.80 क्विंटल का धान उठाव भी करा लिया है। महेश्वर गुप्ता ने 11168.80 क्विंटल धान खरीदी किया और मात्र 9887.20 क्विंटल धान का ही परिवहन कराया है। बाकी धान की मात्रा 1281.60 क्विंटल महेश्वर गुप्ता ने उठाव नहीं कराया है। जांच के बाद खरीदी प्रभारी महेश्वर गुप्ता के खिलाफ पुलिस ने धारा 409 के तहत अपराध दर्ज किया है। महेश्वर गुप्ता को खरीदी के बीच में समिति का प्रबंधक बनाया गया था। मामले में आशंका है उनकी नियुक्ति के पूर्व भी गड़बड़ी हुई थी, लेकिन पूरा गड़बड़ी का आरोप प्रबंधक पर आ गया है। बलरामपुर जिले में सहकारी समितियों से धान का उठाव पूरा नहीं हो सका है। कई समितियों से लाखों रुपये का धान गायब है। समिति प्रबंधक धान की सूखती बताकर धान पूरा करने को तैयार नहीं हैं। धान खरीदी के दौरान कागजों में अधिक खरीदी की बड़ी मात्रा बाद में झारखंड से धान और चावल मंगाकर भी पूरी की गई है।