Ambikapur. अंबिकापुर। अंबिकापुर जिले में ACB ने रिश्वतखोर समाज कल्याण के शिक्षक को विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत ने 4 साल की सजा सुनाई है। शिक्षक ने 4 वर्ष पहले 2018 में मंदबुद्धि विद्यालय में मेस के संचालन के लिए युवक से 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। उनका सौदा 20 हजार रुपए में तय हुआ। एसीबी ने शिक्षक को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। जानकारी के मुताबिक, 20 सितंबर 2018 को एसीबी रायपुर की टीम ने मंदबुद्धि विद्यालय के प्रशिक्षित शिक्षक नारायण सिंह सिदार (49) को पीड़ित अंचल विश्वकर्मा से पैसे लेते पकड़ा था। अंचल विश्वकर्मा पूर्व में समाज कल्याण के भवनों की मरम्मत का काम करता था। इस दौरान उसका परिचय मंदबुद्धि विद्यालय में बतौर प्रशिक्षित शिक्षक कार्य कर रहे नारायण सिंह सिदार से हुआ था। शिकायतकर्ता अंचल विश्वकर्मा ने बताया था कि, नारायण सिंह सिदार ने उसे सामर्थ्य विकास दिव्यांग छात्रावास में मेस चलाने के लिए आवेदन देने कहा था।
जब अंचल विश्वकर्मा ने आवेदन दिया तो कई दिनों तक उसका आवेदन प्रोसेस में बताया गया। 31 अगस्त 2018 को नारायण सिंह सिदार ने कहा कि, मेस संचालन की अनुमति देने के लिए 30 हजार रुपए रिश्वत देनी होगी। जब अंचल विश्वकर्मा ने पैसा नहीं होना बताया तो दोनों के बीच 20 हजार में सौदा तय हुआ था। शिकायतकर्ता अंचल विश्वकर्मा ने इसकी शिकायत 7 सितंबर 2018 को एसीबी से की। एसीबी ने रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर शिक्षक को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। 20 सितंबर को अंचल विश्वकर्मा ने नारायण सिंह को जिला पंचायत के पास रिश्वत की रकम दी। एसीबी की टीम ने नारायण सिंह सिदार को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रिश्वत लेते पकड़े गए नारायण सिंह सिदार को दो माह 5 दिन के बाद जमानत मिल गई थी। एसीबी ने मामला विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश सिन्हा ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ममता पटेल की अदालत ने आरोपी नारायण सिंह को रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 4 साल के कारावास और 5 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।