CG NEWS: प्रेमी जोड़े ने संविधान की किताब को साक्षी मानकर रचाई अनोखी शादी

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Update: 2024-12-21 13:08 GMT
Raigarh. रायगढ़। अब तक आपने अग्नि के फेरे लेकर, काजी से कबूलनामा कराकर, पादरी के सामने या कोर्ट में शादी होते देखा होगा, लेकिन रायगढ़ जिले में प्रेमी जोड़े ने संविधान की शपथ लेकर शादी की है. यह मामला कापू गांव का है, जहां यमन लहरे और प्रतिमा महेश्वरी ने संविधान की शपथ लेकर गुरु घासीदास जयंती के दिन शादी की है. इस शादी की चर्चा छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश में हो रही है. इस अनोखी शादी में न सात फेरे हुए और न ही बैंड बाजा बजा और न ही कोई मंत्रोच्चार, क्योंकि यह शादी सामान्य तरीके से वरमाला पहनाकर और
संविधान
के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के चित्र के सामने संविधान की शपथ दिलाकर संपन्न हुई है. कापू में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम के दौरान इस प्रेमी युगल ने अपने विवाह का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार भारत के संविधान की शपथ लेकर वैवाहिक बंधन में बंध गए. इस अनोखी शादी में दूल्हा- दुल्हन के माता-पिता के साथ समाज के लोगों ने भी शिरकत की और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपना आशीर्वाद भी दिया।


इस संबंध में लड़के यमन लहरे ने बताया कि वह एक दूसरे को चाहते थे और बड़े बुजुर्गों को अपने प्यार के बारे में बताते हुए उनका राय लेकर गुरु घासीदास मंदिर में शादी करने का फैसला लिया और बाबा अंबेडकर को शाक्षी मानकर दोनों ने शादी की है. शादी में होने वाले फिजूल खर्च को बचाने के लिए उन्होंने यह फैसला किया. वहीं युवक की पत्नी प्रतिमा महेश्वरी ने कहा कि गुरु घासीदास जयंती पर संविधान को अपना मानकर हम दोनों ने शादी का विचार करते हुए हम दोनों ने शादी की है और दोनों बहुत खुश हैं. इस अवसर पर उन्हें परिजनों के अलावा पूरे
समाज
का आशीर्वाद मिल रहा है. रायगढ़ जिले के कापू में हुई इस शादी के दौरान उपस्थित समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि हमारा समाज संत शिरोमणी बाबा गुरु घासीदास के मार्गों पर चलने वाला समाज है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान पर चलने वाला समाज है. भीमराव अंबेडकर ने स्वतंत्रता का अधिकार जो दिया है, जिसके तहत हर व्यक्ति अपना स्वतंत्र फैसला ले सकता है. हमें एक आवेदन प्राप्त हुआ और उसके बाद उन्होंने फैसला किया. दोनों बालिग हैं और दोनों परिवार से चर्चा करते हुए उनकी सहमति लेकर गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर कापू में संविधान को शपथ लेते हुए बाबा गुरु घासीदास के मार्गों पर चलने के लिए जैतखाम का भ्रमण कराते हुए विधिवत शादी कराई गई है।
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