CG: कार्यशाला में न्यायधाीशों ने नये कानूनों के बारे दी जानकारी

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Update: 2024-06-28 18:21 GMT
Gariaband. गरियाबंद। एक जुलाई से देशभर में लागू होने वाले तीन नये कानूनों के संबंध में जानकारी देने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनिकर, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश तजेश्वरी देवांगन एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्रशांत देवांगन ने आईपीसी 1860, सीआरसी 1973 एवं एविडेंस एक्ट 1872 में किये गये संशोधन भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय सजा अधिनियम के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चन्द्राकर, संयुक्त कलेक्टर पंकज डाहिरे सहित जिला अधिकारी, पुलिस विभाग के अधिकारी, समस्त एसडीएम, महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी, स्कूल एवं महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं सहित अन्य नागरिक उपस्थित थे।
कार्यशाला न्यायधीशों ने आपराधिक न्याय प्रणाली में हाल ही में किए गए संशोधनों की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला। उन्होंने तीन नये क़ानून के बारे में बताते हुये कहा की हम सभी जानते है कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एवं सामाजिक समस्या के निराकरण के लिए कानून की आवश्यकता होती है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आपराधिक कानून में हुए परिवर्तनों को समझना और उनकी प्रभावशीलता पर चर्चा करना था। इसमें भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि मुख्यतः पुराने कानून ब्रिटिश काल से चले आ रहे थे। जिसे प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया गया है। इस बदलाव से अपराधियों के खिलाफ एफआईआर करने में दिक्कत नहीं होगी तथा गंभीर अपराधियों को प्रक्रिया का पालन करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया गया है। पीड़ित पक्ष को ध्यान में रखा गया है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है। पीड़ित पक्षकार को ई-साक्ष्य, जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर से राहत मिलेगी। बहुत अच्छी मंशा के साथ नया कानून बना है। सभी नागरिकों को इसका फायदा मिलेगा। दोषी अपराधियों को सजा जल्दी मिलेगी। जिससे समाज में एक अच्छा प्रभाव व परिवर्तन दिखाई देगा। पीड़ित पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सकें। इसके लिए लगातार जानकारी दी जा रही है।
कार्यशाला में बताया गया कि 1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर तीन मुख्य कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएंगे। 150 वर्ष पूर्व कानून में बदलाव किया गया है तथा अलग-अलग धाराओं में सजा के लिए परिवर्तन किया गया है। कानूनों में एकरूपता लाने के लिए नया कानून लाया गया है। उन्होंने बताया कि 7 वर्ष से ज्यादा सजा की अवधि के अपराधों में न्याय दल गठित किया जाएगा तथा साक्ष्य एकत्रित करने के बाद विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर आपराधिक मामलों में तलाशी एवं जब्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। इन कानूनों के संबंध में नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। पीड़ित पक्ष को न्याय समय पर मिले।
पुलिस समय पर विवेचना करें, इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। लोगों के लिए एक अच्छा कानून बनाया गया है, ताकि उन्हें सुविधा मिल सकें। पुलिस, विवेचक, प्रार्थी, गवाह, पीड़ित सबके लिए एक अच्छा परिवर्तन है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीड़ित पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फॉर्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थानों में रहते हैं। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते हैं। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी। प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए तीन दिवस में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मुद्दा होने पर एफआईआर दर्ज होगी तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी। यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल फॉर्म में शिकायतों को लेने से धीरे-धीरे विश्वसनीयता बढ़ेगी। उन्होंने जीरो-एफआईआर के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पहले प्रार्थी को संबंधित थाने में ही एफआईआर दर्ज करनी होती थी, लेकिन अब जीरो एफआईआर अंतर्गत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है और किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। 14 दिवस में इसका निराकरण करना होगा। ज्यादातर अपराधों में समय पर चालान पेश होते हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिवस से ज्यादा होने पर विवेचक को इसके संबंध में कारण बताना होगा और विवेचक की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय अवधि निर्धारित की गई है, जो महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि आईपीसी अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नये कानून के अंतर्गत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी समय का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि अर्थदण्ड में परिवर्तन करते हुए वृद्धि की गई है, जो कि प्रासंगिक एवं सामयिक है। उन्होंने बताया कि नये कानून में राजद्रोह हटा दिया गया है, इसके स्थान पर देश की अखण्डता एवं अक्षुण्यता के खिलाफ कोई कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया हैं। नये टेक्नोलाजी को अपनाने से कार्य सुगम होंगे तथा अपराधियों को समय पर दण्ड मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब जांच के दौरान तकनीक का प्रयोग किया जाएगा और तलाशी एवं जप्ती के दौरान वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। उन्होंने नये कानून के धाराओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
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