Raipur. रायपुर। केंद्र सरकार ने कई प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति कर दी है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता रमेश बैस भी महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से मुक्त हो गए हैं। बैस मंगलवार को छत्तीसगढ़ वापस लौट रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस और बीजेपी में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। रमेश बैस की नई भूमिका को लेकर कई सवाल हैं। जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। छत्तीसगढ़ के कद्दावर बीजेपी नेता रमेश बैस के सक्रिय राजनीति में लौटने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। रायपुर से 7 बार के लोकसभा सांसद रमेश बैस की पहचान बीजेपी में सहज, सरल और कर्मठ राजनीतिज्ञ की रही है। यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें इसका इनाम पहले त्रिपुरा, फिर झारखंड और फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करके दिया।
हालांकि महाराष्ट्र के राज्यपाल का 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद पार्टी ने अभी तक उन्हें कोई नई जिम्मेदारी नहीं दी है। जिस पर बीजेपी तो खामोश है, लेकिन कांग्रेस नेता आए दिन बयान देकर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। पूर्व मंत्री शिव डहरिया बीजेपी को रायपुर दक्षिण सीट से रमेश बैस को चुनाव लड़ने की सलाह दे बैठे। जिस पर कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा भड़के गए और शिव डहरिया को अपनी पार्टी की चिंता करने की नसीहत दी। रमेश बैस की गिनती छत्तीसगढ़ बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है। यही वजह है कि बैस की प्रदेश वापसी चर्चा के केंद्र में है। सबकी निगाहें इस बात पर है। कि क्या वाकई रमेश बैस फिर से प्रदेश की सियासत में सक्रिय होंगे या फिर बीजेपी के मार्गदर्शन मंडल का हिस्सा बन जाएंगे। इन सवालों के जवाब तो भविष्य में मिलेंगे। तब तक छत्तीसगढ़ में बैस के सियासी भविष्य को लेकर चर्चा और अटकलों का बाजार गर्म रहेगा।