मामूली प्रक्रियागत कमी के कारण टेंडर निरस्त करने का औचित्य नहीं : High Court
बिलासपुर bilaspur news । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट chhattisgarh high court में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जांजगीर चांपा जिले Janjgir Champa district में दिए गए एक टेंडर की प्र्किया में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया में मामूली कमी पर ध्यान देने से अधिक जरूरी है कि सार्वजनिक परियोजनाओं को पूरा करने में आवश्यक विलंब न हो।
chhattisgarh जांजगीर-चांपा जिले में एक गैर सरकारी संगठन संगम सेवा समिति को जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट ने एक टेंडर जारी किया है, जिसके तरह उसे खनन प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करना है। इस समिति को टेंडर देने के खिलाफ जनमित्रम समिति की ओर से एक जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट में बताया गया कि उसने चार्टर्ड एकाउंटेंट से प्रमाणित टर्नओवर का दस्तावेज अपने आवेदन के साथ जमा नहीं किया था, जो टेंडर देने की एक अनिवार्य शर्त थी। इसके बावजूद डीएमएफ के अधिकारियों ने समिति के पक्ष में टेंडर जारी कर अनुबंध किया और काम दे दिया है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि इस प्रकरण में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि दिए गए टेंडर की प्रक्रिया कोर्ट का हस्तक्षेप आवश्यक है या नहीं। इस तरह के सार्वजनिक कार्यों के लिए किए जाने वाले अनुबंधों पर न्यायिक सीमा क्या होनी चाहिए। कोर्ट का मानना है कि मामूली प्रक्रियात्मक कमी के कारण टेंडर को निरस्त करने का आदेश देना अनुचित है। नई टेंडर प्रक्रिया शुरू करने से कार्य में अनावश्यक विलंब होगा। इसका वित्तीय प्रभाव भी पड़ेगा। इसलिये याचिका में की गई मांग को खारिज किया जाता है।