वफादारी न कर किसी से, दुनिया वाले एक खता के बदले सारी वफाएं भुला देते हैं..
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
जब कांग्रेस की सरकार ती तो सीएम के बाद मो. अकबर ही थे, उन्हें छोटे बघेल के नाम से संबोधित करते थे. आज दोनों भाइयों का जन्म दिए बड़े जोर शोर से मनाया जा रहा है। एक बड़बोले नेता ने उनकी तारीफ में कहा कि भूपेश के कार्यकाल में हर वर्ग खुशहाल था, राम राज्य आ गया था, दूध की नदियां बह रही थी, शेर औऱ बकरी एक घाट में पानी पी रहे थे, राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को नई पहचान मिल गई थी, पिछले 5 वर्षो के कार्यकाल को उन्होंने स्वर्णिम कार्य काल बताया साथ ही और भी खूबियां गिनाई । जनता में खुसुर-फुसुर है कि इतना सब होने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान या ममता बैनर्जी जैसे पब्लिक का प्यार क्यों नही मिला जनता ने 5 साल में ही बनवास क्यों भेज दिया। पूर्व सीएम डा. रमनसिंह सरकार व्दारा बनाए गए सडक़ को भी मेनटेंन नहीं कर सके नए काम की बात ही दूर है। अगर काम किए होते तो फिर से राज करते । कांग्रेसियों के इस हाल पर किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि इतनी वफादारी न कर किसी से, दुनिया वाले एक खता के बदले सारी वफाएं भुला देते हैं।
हार-नीला-पीला बेरियर
अब पीएम आवास घोटाला पिछले दिनों नगर निगम क्षेत्र में पत्रकारों ने पीएम आवास घोटाला को उजागर किया पीएम आवास योजना के तहत मोर जमी न मोर आवासा फंड का अधिकारियों ने जमकर दोहन किया एक तरफ जो योग्य हितग्राही को पीएम आवासा लोन के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता तब भी सेंगसंग नहीं होता दूसरी तरफ आवास के नाम पर दुकान बनाने वाले लोगों को तत्काल पैसा दिया गया अधिकारी जिस बात की तन्ख्वा लेते है उनका काम ही है कि इन सब बातों को धयान रखना लेकिन उन्होंने उस क्षेत्र में जाना ही मुनािसब नहीं समझा। उधर नहीं आने के लिए पहले ही हरा पीला नीला बेरियर लगा दिया गया था, जनता में खुसुर-फुसुर है कि जितना दोषी मकान बनाने वाले नहीं उससे ज्यादा दोषी बेरियर में अटके अधिकारी है।
जब तक अधिकारी नहीं चाहेंगे पारदर्शिता नहीं आ पाएगी
शासकीय कामकाज को पारदर्शी बनाने और व्यवस्थित करने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंत्रालय में ई-ऑफिस प्रणाली और स्वागतम पोर्टल, मुख्यमंत्री कार्यालय ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया। ई-ऑफिस प्रणाली की शुरुआत सामान्य प्रशासन विभाग से हुई है, जिसे शासन के सभी विभागों में लागू किया जाएगा। इस प्रणाली से ऑफिस के दस्तावेज डिजिटल किए जाएंगे। इससे दस्तावेजों को एक से दूसरे ऑफिस भेजने में लगने वाला समय बचेगा। दस्तावेजों में हेरफेर और गायब होने की आशंका नहीं रहेगी। डिजिटल माध्यम में दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पारदर्शिता के लिए कितना भी सिस्टम लागू कर दो जब तक अधिकारी नहीं चाहेंगे पारदर्शिता कामकाज में नहीं आ पाएगी। पिछले 6 महीने से अधिकारी कोई काम नहीं कर रहे है सीएम को नए -नए ज्ञान देकर अपने लाइन को बड़ी कर रहे है। ठीक इसी तरह पूवर्वर्ती सरकार में लैंडयूज बदल कर बिल्डरों और अपने चहेतों से जेब गरम करने वाले अधिकारी अभी भी उसी जगह बैटे है विभागीय मंत्री चीख -चीख कर कह रहे है गलत मास्टर प्लान बनाने वालों पर कार्रवाई करेंगे । लेकिन साहेब सिर्फ सरकार बदली अधिकारी कर्मचारी तो वही है।
भूपेश बघेल ने दिखाया 2018 वाले तेवर
ईडी कार्यालय का घेराव करने पहुंचे भूपेश बघेल ने 2018 वाले तेवर दिखाकर भाजपा के सुशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पुलिस कार्रवाई के विरोध में छत्तीसगढ़ में हर जिले में बैठक हो रही है इसका मतलब साफ है कि भाजपा सरकार को पांच साल तक ठीक से काम नहीं करने दिया जाएगा। अब कांग्रेस पदाधिकारी राज्यपाल से मुलाकात भी करेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये सब नौटंकी बलौदाबाजार में हुई हिंसा के सिलसिले में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में कर रहे है । कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधायक यादव को झूठे आरोप में फंसाया गया है। किसी भी हालत में विधायक यादव के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। लगता है कांग्रेसी नेता अब जज बन गए है, कोर्ट से पहले निर्णय दे दिया कि देवेंद्र यादव बेकसूर है। अरे भैया कोर्ट को तो अपना काम करने दो । वहां तय होगा कि कसूरवार है या बेकसूर है।
अब विचार करने का समय नहीं है कुछ कर दिखाने का है
प्रदेश सरकार सहकारिता के क्षेत्र में नई पीढ़ी को जोडऩे के लिए सतत चिंतनशील है। अभी जितनी समितियां कार्यरत है, उसे प्रदेशव्यापी स्वरूप देना होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार सहकारिता नीति पर भी विचार कर रही है। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री शाह ने देश में पैक्स के विस्तारीकरण पर बल दिया है। कांग्रेस सरकार ने राज्य में सहकारिता क्षेत्र की जो दुर्दशा की थी, उसे सुधारकर सहकारिता के क्षेत्र को पुन: प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करना है। सहकारिता व वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि पूरे देश में पैक्स का विस्तार करना है। पैक्स का विस्तार करके प्रदेश की सभी पंचायतों में सहकारिता का प्रभाव बढ़ाना है। 2047 तक देश में सरकार हो, इसलिए सहकारिता के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देना होगा। जनता में खसुुर-फुसर है कि अब तो सरकार को 7 महीने का समय हो गया है अब तक विचार में ही अटके रहेंगे तो आने वाले समय में जनता भी विचार करने लगेगी और भूपेश जैसा हाल होने सके पहले कार्रवाई शुरू कर दें।
मोदी जी तो शुरू से सीधे ही बात करते हैं
विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फीडबैक लेंगे। इसके लिए वे सितंबर में जनजातियों से सीधे बात करेंगे। राज्य में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (पीवीटीजी) परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए 23 अगस्त से 10 सितंबर तक लाभार्थी संतृप्ति शिविर लगेंगे इन शिविरों में आधार कार्ड, जनधन खाता, आयुष्मान कार्ड, वन अधिकार पत्र राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम मातृत्व वंदना योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, सिकल सेल की जांच और मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मोदी जी तो शुरू से ही सीधे ही बात करते है इसमें नया क्या है। रहा सवाल फीडबैक का तो इसमें कुछ नया दिख सकता है क्योंकि पिछड़ी जनजातियों को कौन इतना पूछ परख करता है। कांग्रेस सरकार में तो सत्ता औऱ संगठन में सीधे ही बात होती थी। सभी को सरकारी योजना का लाभ दिलाने का कार्ड बनाया गया था। ठीक वैसे ही पिछड़ी जनजातियों से पीएम बात करेंगे सभी तरह के कार्ड बनवाए जाएंगे ।
आंबेडकर अस्पताल में कोई विशेष सुधार नहीं
कोलकाता में हुए जघन्य दुष्कर्म औऱ हत्या के मामले से राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल आंबेडकर अस्पताल में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। कोलकाता में डाक्टर के साथ हुई दुर्घटना के बाद भी यहां सिर्फ चर्चाओं और बैठकों का ही दौर चल रहा है। हालात ऐसे हैं कि यहां 220 सुरक्षा गार्डों के लिए ठेका किया गया है, लेकिन 170 गार्डों के भरोसे ही तीनों शिफ्ट में अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था चल रही है । शेष 50 कर्मचारियों को सुरक्षा की बजाय स्ट्रेचर खींचने सहित अन्य कार्यों में लगाया गया है। वहीं, कहने को तो अस्पताल परिसर में 60-65 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन इनमें से 60 प्रतिशत यानी कि 40 सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हुए हैं। जबकि अस्पताल में ही रात्रि में आपात स्थिति से लेकर विभिन्न वार्डों में लगभग 100 जूनियर डाक्टर, तो 75 से अधिक स्टाफ नर्सों की ड्यूटी लगाई जाती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये मेकाहारा है भाई यानी कहते -कहते हार जाएंगे लेकिन मेकाहारा के सेहत में कोई सुधार नहीं हो सकता. क्योंकि यहां का प्रशासन अपने ढर्रे अलग नहीं हो सकता । ये सरकारी दीया तले अंधेरे वाला म्यूजियम बन गया है।
मरीजों की सुरक्षा का जिम्मा हथियारबंद पूर्व सैनिक करेंगे
छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में सुरक्षा को डोज दिया गया है। इसके तहत सभी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ ही मरीजों की सुरक्षा का जिम्मा हथियारबंद पूर्व सैनिकों को दिया जाएगा। आंबेडकर अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी देते हुए सुरक्षा चाक चौबंद-बनाने का आश्वासन दिया। अस्पतालों में ऐसे सेवानिवृत्त सैनिकों की सेवाएं ली जाएंगी, जिनके पास लाइसेंसी हथियार हों। वहीं, अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए डीजीपी से पत्राचार कर 8-10 पुलिस के जवानों की तैनाती किए जाने की मांग की गई है। जवान तीनों पालियों में अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आखिर किसकी सुरक्षा करेंगे डाक्टरों की या मरीजों की। क्योंकि कोलकाता में तो अस्पताल में सैकड़ों निजी सुरक्षा गार्ड होने के बाद भी एक महिला डाक्टर की सुरक्षा नहीं हो पाई । यहां क्या गारंटी होगी। उपर से गांव-देहात में आये दिन इस प्रकार की घटना हो रही है वहां भी सुरक्षा गार्ड भेजेंगे क्या?