मरवाही उपचुनाव में बम्पर वोटिंग: कांग्रेस की एक तरफा जीत का दावा

Update: 2020-11-04 05:58 GMT

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। मरवाही उपचुनाव के लिए मंगलवार को जिस प्रकार भारी मतदान हुआ उससे राजनीतिक विश्लेषकों ने सत्ताधारी पार्टी की एकतरफा जीत का अनुमान जताया है। जिस प्रकार वहां 77.25 फीसद मतदान होने की खबर है, उससे कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है। मतदान केन्द्रों में वोटिंग की मियाद खत्म होने के बाद भी जिस तरह से लोग बड़ी संख्या में लाइन लगाकर खड़े थे, जिसके कारण मतदान केन्द्रों में देर शाम 7-8 बजे तक वोटिंग की प्रक्रिया चलती रही। उपचुनाव में जोगी कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं होने से मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रही। दोनों ही दलों के नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी, लेकिन जैसा कि चुनाव विश्लेषकों का अनुमान कांग्रेस के पक्ष में माहौल बताया था, वैसा ही भारी वोटिंग देखने को मिला। जिससे कांग्रेस के जीत का दावा पुख्ता मान रहे है। दोनों दलों के बड़े नेताओं सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह तीन दिनों तक धुआँधार प्रचार कर पूरी ताकत झोंक दी। वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अमित जोगी, रेणु जोगी, धर्मजीत सिंह भी न्याय मांग कर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में लगे रहे । लेकिन भारी वोटिंग ने इनके प्रयासों पर पानी फेर दिया, इनकी सारी रणनीति फेल हो गई । राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि भूपेश बघेल ने जिस तरह गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को जिला बना कर विकास की झड़ी लगा दी थी, उससे ही पूत के पांव पालने में नजर आने लगे थे। जिला बनाकर मतदान के पहले ही चुनाव तो उन्होंने जीत लिया था. औपचारिकता मात्र रह गई थी, जिसे मतदाताओं ने पूरा कर दिया। भूपेश की विकास की ऐतिहासिक सौगात से अभिभूत होकर मरवाही की जनता ने बम्पर वोटिंग कर भूपेश बघेल को नए साल का तोहफा दे दिया है।

आदिवासी बाहुल मरवाही की जनता को ऐसे विकास की कल्पना ही नहीं थी, जिसे वे आज देख रहे है, और यही बात कांग्रेस के पक्ष में गई और बंपर वोटिंग के रूप में देखने को मिली। राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानकर चल रहे हैं कि मरवाही की जनता को भूपेश बघेल के रूप में ऐसा मसीहा मिल गया गया जिन्होंने स्व. अजीत जोगी की कमी पूरी कर दी है। विकास के नाम पर मतदाता एकजुट होकर कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई। जिस प्रकार भूपेश बघेल की सभाओं में भीड़ देखने को मिली, ऐसा लगने लगा था कि चुनाव एकतरफा हो गया है और मतदाताओं ने भारी वोटिंग कर साबित भी कर दिया।

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अधिक मतदान सरकार के खिलाफ होती है, लेकिन उपचुनाव में अधिक मतदान सरकार के पक्ष में होता है। उस लिहाज से ऐसा लोग मान रहे हैं कि इस बार कांग्रेस कही सारे रिकार्ड ही न तोड़ दे। पिछले चुनाव में भाजपा जोगी को नकली आदिवासी बता रही थी और इस चुनाव में उसी का समर्थन लेकर वोट मांग रही थी, जबकि इस मामले में कांग्रेस का रूख शुरू से स्पष्ट था। इससे भी चुनावी आबोहवा बदला नजर आया। बहरहाल चुनाव के परिणाम 10 नवंबर को आएगा, तब तक ऊंट किस करवट बैठेगा इंतजार करना पड़ेगा।  

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