विजय पर्व शौर्य दिवस मनाकर बौद्ध समाज ने नव वर्ष का किया स्वागत

Update: 2022-01-06 12:22 GMT

रायपुर। भारतीय बौद्ध महा सभा रायपुर छ ग द्वारा नव वर्ष का स्वागत विजय पर्व शौर्य दिवश के रूप में किया, डब्लु आर एस कालोनी बुद्ध विहार में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय एस के पासवान से, नी, डी जी पी छ ग ,आयु बी एस जागृत प्रदेश अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महा सभा छ ग, आयु भोजराज गौरखेडे प्रदेश महा सचिव भारतीय बौद्ध महा सभा ,आयु निल कंठ सिंगाड़े ,प्रदेश कोशाध्यक्ष, आयु धम्मपाल देश भ्राता र से नी, सहायक अभियंता जल संसाधन विभाग रायपुर, आयुष्मती उर्मिला भीमटे अध्यक्ष महिला समिती बुद्ध विहार WRS कालोनी ,के आतिथ्य में कार्यक्रम किया गया है, कार्यक्रम का संचालन सी डी खोबरागड़े प्रदेश संस्कार प्रमुख भारतीय बौद्ध महा सभा रायपुर द्वारा किया गया है।

धम्मपाल देश भ्रातारने अपने वक्तव्य में कहा 1 जनवरी का महत्व बौद्ध समाज के लिए एक शौर्य भरे अंदाज में होता है, इसी दिन भीमा कोरेगांव का युद्ध सिद्धनाक महार सेनापति ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर जीता था, ई सन 1817 तक पेशवा का पुनेरी शासन अन्याय व अत्या चारों की सीमा लांघ चुका था, उसे मिटाने का संकल्प सिद्धनाक महार सेनापति ने लिया था, जिस जिवाजी नाक महार ने निरन्तर शिवाजी महाराज का वेश धारण कर युद्ध लड़े, अफजल खान का वध किया जिन महार सैनिकों ने मराठा शासन में स्वराज्य की जड़े मजबूत की, उन्हीं महार सैनिकों को पेशवा ने अपनी सेना से हटा दिया था, इस आक्रोश से तलमलाये सुरवीर महार नाग सैनिकों ने दिसम्बर 1817 पेशवा द्वितीय की 28000 सेना से युद्ध कर पेशवाई को धराशाही कर दिया था इस शौर्य विजय की गाथा युद्ध भूमि भीमा नदी किनारे पर विजय स्तंभ पर लिखी है ।इसे नमन करने प्रतिवर्ष 1 जनवरी को डॉ बी आर अम्बेडकर भीमा कोरेगांव विजय स्तंभ की प्रदक्षिणा करने जाते थे और नई ऊर्जा शौर्य लेकर आते थे वर्तमान में यह एक तीर्थ स्थल बन चुका है। मुख्य अतिथि पासवान साहब ने कहा इस शौर्य बहादुरी का इतिहास जानकर भारत की महार रेजिमेंट बनी है, इनकी केप पर भीमा कोरेगांव का विजय स्तम्भ चमकता है और आज वर्तमान में इस रेजिमेंट का कार्यालय सागर में है ,इंदौर के पास मेनहेडक्वाटर M H O O W महू है , M मिलिट्री, H हेडक्वाटर, O ऑफिस, O ऑफ, W वार ,याने जब भी भारत पर विदेशी हमलावारहोगा तब यह रेझिम युद्ध मोर्चा संभालती है जहाँ डॉ आंबेडकर जी का जन्म हुआ था, अध्यक्ष बी एस जागृत साहब ने अपने वक्तव्य में बताया ,बाजीराव पेशवा द्वितीय की 28000 सेना को अंग्रेजो की ओर से 500 महार सैनिकों ने धराशाही कर परास्त कर दिया यह युद्ध महारो ने अपने जीवन मरण के अधिकारों को प्राप्त करने के लिए लड़ा था, इस युद्ध के बाद पेशवाई खत्म हुई ,अंग्रेजी हुकूमत का राज हुआ ,महारो एवं सभी अनुसूचित जातियों के लिए शिक्षा समृद्धि मानवता विकास के द्वार खोले गए।इसी प्रकार उपश्थित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे ,कार्यक्रम में उपश्थित सदस्य ,प्रकाश रामटेके अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महा सभा रायपुर जिला, आयु बेनीराम गायकवाड़, पी के चौहान, नरेन्द्र चौहान, बी के गजभिये, राहुल रामटेके ,संदीप डोंगरे,योगेश रावत ,सुभाष वैद्धय, आयुष्मती जयश्री खोबरागड़े, मोतिमाला कोल्हेकर, करुणा ताई वासनिक, इन्दिरा ताई वाहने, बबीता कवाड़े, वन्दना चौहान, ज्योत्सना कामड़े, वैशाली मेश्राम, सुनीता अम्बा डे, वैशाली रंगारी, लीना कोमलवार, सुषमा मेश्राम, एडवोकेट ज्ञानेश्वर बावनगड़े ,टी आर रामटेके, अनिल यादव ,इत्यादि सदस्यों की उपश्थिति में कार्यक्रम किया गया है।

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