रायपुर। आज से ठीक पांचवें दिन यानी 10 मई को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. 13 मई को नतीजे आएंगे. नतीजे जो भी हों, लेकिन कर्नाटक चुनाव का असर छत्तीसगढ़ में दिखने लगा है. कर्नाटक में कांग्रेस के घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ में भी राजनीति गरमा गई है. राजधानी रायपुर में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने हनुमान चालीसा का पाठ किया. इससे एक दिन पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सुंदरकांड का पाठ किया था. इसका नेतृत्व रायपुर दक्षिण विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी रहे कन्हैया अग्रवाल ने किया था.
हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी बजरंग बली और बजरंग दल पर अमर्यादित टिप्पणी कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी कर्नाटक के अपने घोषणा पत्र में कहती है बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिना किसी वजह के बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कहते हैं. असल में कांग्रेस का असली एजेंडा सनातन धर्म का विरोध है, इसीलिए सनातन धर्म का विरोध करने तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं. बजरंग दल के बहाने यह बजरंग बली का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि बजरंग दल का कार्य धर्म की सेवा और रक्षा है. धर्मांतरण करने वालों को पैसे देने वाली कांग्रेस यह नहीं चाहती कि गलत नीतियों, उनकी धर्म विरोधी करतूतों का कोई विरोध करे.’
पूर्व मंत्री ने कहा, हनुमान चालीसा पाठ कर हमने हनुमान जी से प्रार्थना की है कि सनातन विरोधी नीतियों पर चल रही कांग्रेस कांग्रेस को वे सद्बुद्धि प्रदान करें. साथ ही, बृजमोहन ने राज्य सरकार को चुनौती दी कि वे जरा नक्सलियों को नियंत्रित कर लें. यहां की कानून व्यवस्था, माफिया को संभाल लें. रही बात बजरंग दल की तो बजरंगी हनुमान जी के भक्त हैं. सनातन धर्म के रक्षक और सेवक हैं. उनके भक्तों पर हनुमान जी पर प्रतिबंध लगाने की जुर्रत न करें.
बजरंग दल ने भी दी चुनौती
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष संतोष गोलछा, प्रांत सह मंत्री घनश्याम चौधरी व बजरंग दल के प्रांत संयोजक ऋषि मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में राज्य सरकार को चुनौती दी कि बजरंग दल पर बैन करने पर उन्हें जनता सबक सिखाएगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल की तुलना पीएफआई से कर बैन लगाने की बात कही है. उससे पहले पार्टी ये जान ले कि सन 2011-12 में जब केंद्र में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार थी, तब भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बजरंग दल पर बैन लगाने का प्रयास किया था. तब उनके प्रमुख सलाहकार केएम नारायणन ने गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मंगाई थी. उस रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने सोनिया गांधी को बजरंग दल पर बैन लगाने से मना किया था. हिंदूवादी नेताओं ने कहा कि बजरंग दल शुद्ध रूप से हिंदू सनातन धर्म और राष्ट्रहित में काम करने वाला धार्मिक संगठन है, जो विश्व स्तरीय संगठन विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शन के अनुसार काम करता है. ज्ञात हो जब कांग्रेस की सरकार ने आरएसएस पर बैन लगाया था और जब-जब बैन हटा है, संघ एक बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरा है. आज आरएसएस की शक्ति को पूरा विश्व जानता है.