काले धुंओं-धूल कणों ने फिर घेरा, बढ़ा प्रदूषण
लॉकडाउन खत्म होने के बाद राजधानी की आबो हवा फिर दम घोटने लगी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी प्रदूषण की दोहरा मार झेल रहा है। औद्योगिक प्रदूषण के साथ जलीय प्रदूषण, नगरीय कचरा, नाला-नाली, मुक्कड़ के प्रदूषण से जनमानस हलाकान है। नगर निगम व्दारा सुबह-शाम कचरा गाड़ी वार्डों में भेजने के बाद भी नगरीय क्षेत्र में जागरूकता और अशिक्षा के चलते लोग बीमारी को अपने घरों में पाल रहे है। औद्योगिक प्रदूषण के दंश से तो इंसान को भगवान ही बचा सकता है। उरला, सिलतरा, गोगांव, मंदिर हसौद हथखोज कुम्हारी से निकलने वाले प्रदूषण वहां रहने वाले श्रमिकों और आम नागरिकों का हिस्सा बन चुका है. वे अब धुंए में मरने और जीने के लिए मजबूर है। सरकार का केंद्रीय और राज्य पर्यावरण विभाग उद्योगों से निकलने वाले जहरीले धुंए के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय नारों और पोस्टरों से जागरूकता फैला कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रही है। बिना पर्यावरण के एनओसी लिए सैकड़ों उद्योग धड़ल्ले से चल रहे है। लोग प्रदूषण से गंभीर बीमारी के शिकार होकर तिल-तिल कर मर रहे है और पर्यावरण के अधिकारी तमाशा देख रहे है।
प्रदेश में प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जैसे-जैसे औद्योगिक विकास कर रहा है समस्या भी बढ़ रही है, हर कोई इससे होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित है. प्रदूषण के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक वक्त ऐसा भी था जब रायपुर शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की गिनती में दसवें नंबर पर आता था अब वर्तमान समय में रायपुर शहर का प्रदूषण स्तर 160 से 170 के बीच है। प्रदूषण का स्तर हवा में इतना बढ़ गया है कि यहां की हवा में 2.5 पीएम (माईक्रोन से कम एरोडायनामिक व्यास के कण) पाए जाते है जिसके कारण मानव को आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा का अटैक इत्यादि परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब फिर से शहर में प्रदूषण का नियत्रंण कम होने के चलते रायपुर अब टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में से हट चुका है। राजधानी में दो वर्ष पूर्व 3 लाख से ज्यादा वाहनों का दबाव था जो शहर में प्रदूषण बढ़ाने के कारक है।
लॉकडाउन के दौरान कम हुआ था प्रदूषण
साल 2020 के मार्च महीने में जब से कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाया गया था तब से सड़कों में 2 लाख से ज्यादा वाहनों का आवागमन कम हुआ था, इसके साथ ही शहर के समस्त होटल, उद्योग धंधे बंद रहने से प्रदूषण स्तर में भी भारी गिरावट आई। इसका कारण यह है कि सड़कों में वाहनों से निकलने वाले कार्बन की मात्रा कम हो गई थी और होटलों, रेस्टोरेंट तथा कारखानों के बंद होने से धुआं भी नहीं था इसके साथ ही शहर में निर्माण कार्य भी पूरी तरह थमा चुका था, जिसकी वजह सेे प्रदूषण का स्तर कम हो गया था।
फैक्ट्रियों की ईएसपी बंद, अधिकारी को जांचने की सुध नहीं
इन दिनों औद्योगिक प्रदूषण के कारण उद्योगों के समीप निवास करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संदंर्भ में लोगों का कहना है कि उद्योगों द्वारा ईएसपी मशीन का उपयोग नहीं सही प्रकार से नहीं किया जा रहा है जिसके कारण उद्योगों से निकलने वाले काले धुएं लोग त्रस्त है। ठंड के मौसम में धुआं व इससे होने वाला प्रदूषण उपर नहीं उठ पाता है जिसका खामियाजा फैक्ट्री के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है, ग्रामीणों का आरोप है कि उद्योगों की ईएसपी मशीन सही प्रकार से चालू नहीं की जा रही है। मशीन चालू नहीं होने से लोगों के घरों की छतों में काली धुंए की परत जम रही है। जानकारों की मानें तो शहर में पर्यावरण प्रदूषण के कई कारण हैं जिसमें कोल परिवहन में लगे वाहन और जर्जर सड़कों से उडऩे वाली धूल भी प्रमुख कारक हैं। उडऩे वाली डस्ट से इन दिनों शहरवासी परेशान है जिससे घरों व छतों में मोटी काली डस्ट जम रही है।
उद्योगों में पर्यावरणीय मापदंड का पालन नहीं
मामले में जानकारों की मानें तो उद्योगों द्वारा अधिकांश तौर पर धुएं में होने वाले जहरीले तत्वों को खत्म करने बिजली से चलने वाली ईएसपी मशीन के चलने से बिजली की भारी खपत होती है। यही वजह है कि मॉनीटरिंग नहीं होने से ईएसपी मशीन बंद कर बिजली बचाई जाती है। जिसका उद्योग के समीप निवास करने वाले लोगोंं व शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। ज्ञात हो कि जिस आधार पर उद्योगों को पर्यावरणीय स्वीकृति मिली है इसका पालन उद्योगों द्वारा नहीं किया जा रहा है, वहीं पर्यावरणीय मानकों के पालन की मॉनीटरिंग भी नहीं होती है।
बिना ईएसपी के उद्योगों संचालित नहीं हो सकता: सावंत
राजधानी में बढ़ रहे प्रदूषण के मामले के संबंध में जब पर्यावरण अधिकारी अमर सावंत से बात की गई तो आपके द्वारा कहा गया कि जैसे-जैसे शहर में वाहनों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे प्रदूषण भी बढ़ रहा है। लॉकडॉऊन के बाद एकाएक प्रदूषण इसलिए बढ़ गया क्योंकि अब सड़कों पर वाहनों कि संख्या पहले कि अपेक्षा अधिक है एवं उद्योग धंधे व कारखाने भी पूर्ण रूप से प्रारंभ हो चुके है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा जब आपसे उद्योगों एवं कारखानों में ईएसपी मशीन नहीं लगाने के संबंध में कहा गया तो आपने कहा कि कोई भी उद्योग एवं कारखानों को बिना ईएसपी मशीन के संचालित नहीं किया जाता है। बरहाल अब देखना होगा कि शहर में प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए प्रर्यावरण विभाग कितना सजग है प्रदूषण को रोकने के लिए आगे क्या-क्या करता है।