रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी हो इसीलिये मोदी सरकार ने 86 लाख मीट्रिक टन चावल के कोटे को घटाकर 61 लाख कर दिया है। मोदी सरकार धान की कीमत समर्थन मूल्य से ज्यादा देने पर भी अडंगा लगाती है। मोदी सरकार के प्रतिबंध के कारण ही भूपेश सरकार को किसानों को 2500 कीमत देने के लिये राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू कर 9000 रू. प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देना शुरू किया था ताकि किसानों से किया वादा कांग्रेस सरकार पूरा कर सके। भाजपा को वोट देने का मतलब है धान खरीदी बंद करना और आने वाले समय में धान की पूरी कीमत नहीं मिलना होगा। भाजपा की मोदी सरकार धान पर घोषित समर्थन मूल्य से 1 रू. भी ज्यादा देने के खिलाफ है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भले ही मोदी सरकार एक भी दाना चावल मत लें कांग्रेस सरकार किसानों से पूरा धान खरीदेगी। कांग्रेस सरकार राज्य के किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदेगी तथा इस साल 125 लाख मीट्रिक धान की रिकार्ड खरीदी की जायेगी। भूपेश है तो भरोसा है कि आने वाले सालों में छत्तीसगढ़ का किसान 3600 रू. प्रति क्विंटल में धान की कीमत पायेगा। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ का किसान पूरे देश में धान की सबसे ज्यादा कीमत 2640 रू. पाया है। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में तो किसानों का 1100 रू. धान बेचना पड़ता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि धान खरीदी में केन्द्र सरकार के सहयोगी की झूठी बाते करने वाले भाजपाई जवाब दे कि मोदी सरकार ने राज्य से चावल लेने में कटौती क्यों किया। एक तरफ जो कर्नाटका जब केन्द्र से 35 लाख टन चावल खरीदना चाहता है तो केन्द्र कहता है चावल का स्टाक नहीं है। वहीं मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के चावल के कोटे में इसलिये कटौती कर रहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपनी धान खरीदी की योजना सफल न कर पाये। यह भाजपा का छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ में धान खरीदी बाधित करने के लिये अभी से अडंगे बाजी शुरू कर चुकी है। केन्द्र ने सेन्ट्रल पुल में चावल का कोटा 86.5 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 61 लाख कर दिया है। ताकि भूपेश सरकार इस बार जो 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने वाली है उसके निराकरण में राज्य ने केन्द्रीय जूट कमिश्नर से 3.56 लाख गठाने खरीदने के लिये मांग पत्र दिया था जिसको भी केन्द्र ने घटा दिया है। छत्तीसगढ़ को केवल 2.45 लाख गठाने देने की ही स्वीकृति दिया है। इस बार राज्य सरकार ने किसानों से 20 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया है तो बारदाना भी अधिक लगेगा। बारदाने के पूरे कीमत का भुगतान राज्य सरकार करती है। मोदी सरकार के इशारे पर जूट कमिश्नर इसमें कटौती कर भूपेश सरकार के किसानों से पूरा धान खरीदी के निर्णय में बाधा पहुंचाना चाह रहे।