रायपुर। साइंस कालेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में इस साल बांस से बनी साइकिल लोगों के बीच कौतूहल का विषय बनी हुई है। वह दर्शकों का मन लुभा रही है। मंच के ठीक सामने प्रदर्शित की गई साइकिल की सेल्फी और फोटो लेने के लिए होड़ मची हुई है। उल्लेखनीय है कि महोत्सव में बस्तर की विभिन्न कलाओं के विहंगम संयोग का एक अनूठा प्रयास किया है। बताया जाता है कि साइकिल बनाने के लिए पहले बांस का बीओवन प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। इसमें बस्तर के प्रसिद्ध चार अलग-अलग हस्तशिल्प कला के समागम का प्रमाण मिलता है। इस साइकिल के निर्माण में ढोकरा कला, लोह शिल्प, शीशल और बांस शिल्प का प्रयोग किया गया है. जल्द ही इसे बस्तर जिला प्रशासन की तरफ से आधिकारिक तौर पर लॉन्च भी किया जाएगा।
बांस से इस साइकिल को बनाने वाले असिफ खान ने बताया कि इस साइकिल का वजन करीब 9 किलो है। इस साइकिल की खास बात यह है कि इसे बस्तर के बांस से ही बनाया गया है। वहीं बांस की खासियत की बात करें तो मैदानी इलाकों की तुलना में बस्तर का बांस मजबूत और चमकिले होते हैं। इसके अलावा बांस के गांठ अन्य बांस की तुलना में अधिक बड़े होते हैं। इनकी मोटाई भी अन्य इलाकों के बांस की तुलना में अधिक होती है। हालांकि इससे पहले बस्तर से ही बांस के इस तरह की साइकिल राजधानी रायपुर के बम्बू एंपोरियम शोभा बढ़ाने और इसे बेचने के लिए रखे गए हैं।