रायपुर। भूपेश बघेल ने विशेषर पटेल का वीडियो जारी किया है। x में बघेल ने लिखा, विशेषर पटेल को छत्तीसगढ़ सरकार ने गौ आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है.लेकिन इससे पहले सरकार ने उन पर 2019 में दर्ज एक आपराधिक प्रकरण को वापस लिए जाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि यह मामला विशुद्ध रूप से राजनीतिक मामला था. समझिए कि मामला क्या था – विशेषर पटेल अपने साथियों के साथ होली के दिन कवर्धा के एक अस्पताल में घुसे और डॉक्टर और स्टाफ़ के सदस्यों से मारपीट की साथ में गाली गलौज भी की और धमकी भी दी.
विशेषर पटेल पर भारतीय दंड विधान की धारा 294, 323, 506बी, एट्रोसिटी एक्ट की धारा – 3(1)(10) एवं चिकित्सा सेवा तथा चिकित्सा सेवा अधिनियम 2010 की धारा 4,5 के तहत जुर्म दर्ज किया गया था. मामला अभी अदालत में है. समझ में नहीं आता कि अस्पताल में घुसकर डॉक्टर के साथ मारपीट कौन सा राजनीतिक कार्य था? वह भी अनुसूचित जाति के एक डॉक्टर के साथ?
ठीक है कि कवर्धा माननीय उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा का गृह ज़िला है, पर वहां एक विशुद्ध आपराधिक मामले को राजनीतिक गतिविधि बताने की छूट तो नहीं है ना! और क्या कवर्धा के मामले में भाजपा सरकार को शर्म भी आनी बंद हो गई है?
सरकार को अपने फ़ैसले को तुरंत पलटना चाहिए, जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए और विशेषर पटेल को गौ आयोग के पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए. विशेषर पटेल को इसलिए भी हटाया जाना चाहिए क्योंकि वे पहले भी गौ आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हीं के कार्यकाल में बेमेतरा ज़िले में गौशाला में सैकड़ों गायों की हत्या की गई थी. जिन्हें याद न हो, उन्हें याद दिला दूं कि भाजपा के मंडल अध्यक्ष ने गौशाला में सैकड़ों गायों को गौ मांस, चमड़े और हड्डियों के लिए भूसे में दबाकर मार दिया था.
और फिर विशेषर पटेल पर अनुदान की राशि हड़पने का आरोप भी लगा था.