भार्गव को चिरायु से मिली सुनने की शक्ति

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Update: 2023-09-09 15:12 GMT
बिलाईगढ़। कलेक्टर डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला के मार्गदर्शन में चिरायु कार्यक्रम का सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में सफल संचालन हो रहा है। यहां गम्भीर बीमारियों का उच्चस्तरीय जांच व ईलाज की समुचित व्यवस्था कर त्वरित ईलाज कराया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) प्रदेश में 9 वर्षों से चल रहा है इसके अंतर्गत सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में 7 चिरायु टीम कार्यरत हैं जो हर दिन अपने माइक्रोप्लान के मुताबिक सभी 0 से 18 वर्ष के बच्चों का प्रतिवर्ष शासकीय स्कूलों में 1 बार और आंगनबाड़ी केंद्रों में 2 बार स्वास्थ्य परीक्षण उनके स्कूल व केंद्र में पहुँचकर करती है। चिरायु कार्यक्रम को लोग अब बच्चों का डॉक्टर भी बोल रहे हैं। चिरायु कार्यक्रम द्वारा बच्चों में विशेष रूप से 4 डी ग्रुप - (जन्मजात दोष, बीमारी, कमी और विकासात्मक देरी) के तहत स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यकतानुसार उच्च संस्थान में रिफर किया जाता है, विशेष स्थिति में चिरायु वाहन में स्वास्थ्य टीम के साथ उच्च संस्थान में निःशुल्क ईलाज कराई जाती है। पूरी रिफर व इलाज चिरायु दल के निगरानी में तथा इलाज के बाद भी चिरायु दल बच्चो के संपर्क करते रहते है।
चिरायु टीम सारंगढ ने अपने सघन जांच के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र अंडोला क्र. 2 गयी थी जहां जन्म से न सुन व बोल सकने की समस्या से जूझ रहे 4 वर्षीय बालक भार्गव कर्ष पिता भुनेश्वर को देखा जो सिर्फ इशारों में ही अपनी प्रतिक्रिया देता था और समझता था। जिसे चिरायु टीम तत्काल संज्ञान में लेकर बेरा और ओ0ए0ई0 जांच हेतु जिला अस्पताल रायगढ़ रिफर किया गया जहाँ जांचोपरांत ऑपरेशन की आवश्यकता बताई गई। अतएव उक्त उच्चस्तरीय ईलाज /ऑपरेशन हेतु मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर रिफर किया गया। चिरायु टीम बराबर बच्चे व परिजन के सम्पर्क में रही, हाल-चाल जाना गया और ऑपरेशन हेतु मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर से भी लगातार संपर्क साधा गया। वहां पर भी उक्त बच्चे का एनेस्थीसियोलॉजी जांच , ऑपरेशन पूर्व थेरेपी की प्रक्रिया (जतन केंद्र रायगढ़ से), आवश्यक वेक्सिनेशन आदि समस्त प्रक्रिया की गई। इन सभी मे बालक भार्गव विशेषज्ञ सर्जन के द्वारा कॉकलियर इम्प्लांट हेतु ऑपरेशन योग्य चुना गया। अन्ततः 22 अगस्त 2023 को मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर में सफलतापूर्वक कॉकलियर इम्प्लांट नामक सर्जरी की गई। उक्त ऑपरेशन में लाखों रुपए लगते हैं परंतु आयुष्मान भारत के तहत चिरायु योजना से यह महंगा ऑपरेशन पूर्णतः निःशुल्क हुआ। सप्ताह भर डॉक्टर अपने सुपरविजन में रखने के उपरांत बालक को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। बालक अभी स्वस्थ महसूस कर रहा है।इसके बाद स्पीच थेरेपी की प्रक्रिया करवाई जाएगी फिर बालक भार्गव सुनना और बोलना शुरू करेगा। भार्गव के माता पिता की बच्चे के इलाज के प्रति जागरूकता, मेहनत व सब्र आखिकार रंग लाई। उन्होंने सफल ऑपरेशन व सहयोग के लिए चिरायु टीम के प्रति आभार व शासन के चिरायु कार्यक्रम को सफल बताया है।
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