मौत के सौदागरों से सावधान! नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से किसी को नहीं छोड़ा, भूपेश सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?

Update: 2021-04-27 04:35 GMT

कालाबाजारी में जप्त रेमडेसिविर इंजेक्शन असली है या नकली है जांच होना बाकि है, पुलिस को गहराई और गंभीरता से जांच करना चाहिए.

रायपुर:- रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूत जैसे-जैसे बढ़ती गई मौत के सौदागरों ने इंजेक्शन को भारी भरकम दामों में बेचा और मौत के सौदागरों का इसे भी पेट नहीं भरा तो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को बाजार में उतारा और पुरे छत्तीसगढ़ में फैलाया. पुलिस को पकड़े गए गुर्गे के पीछे कौन व्यापारी नेता का सरंक्षण प्राप्त है और कौन से व्यापारी नेता के रिश्तेदार इस कंपनी के छत्तीसगढ़ के स्टॉकिस्ट है और छत्तीसगढ़ c&f एजेंट इस कारोबार में शामिल है उनके gst बिल,ट्रांसपोर्ट का बिल,बैंक अकाउंट,कंपनी को भेजा गया बैंक का ट्रांसफर फंड और आए हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन किस-किस को और कौन से हॉस्पिटल या कौन से मरीज को दिया गया सुगमता से जांच करना चाइये. चुकि व्यापारी नेता किसी एक बड़े राजनीतिक दल से जुड़ा है तथा अभी-अभी उसका नाम व्यापारी नेताओ की गिनती में आना शुरू हुआ है कही ऐसा तो नहीं अति उत्साह में और जयदा पैसे कमाने की चाहत और लालच में आने के कारण अपने पार्टी के निर्देशों का पालन करते हुए सत्ता धारी कांग्रेस सरकार को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी अभाव और नकली बेचकर भूपेश सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं गृह विभाग तथा स्वास्त्य विभाग और पुलिस के आला अधिकारियों को गहन जांच कर नए नए छुटभैये व्यापारी नेता को जेल की सलाखों के पीछे डालना चाइये. अगर उक्त व्यापारी नेता मौत के सौदागरों के साथ नहीं है तो दिन रात लीपापोती में काहे लगा हुआ है और स्टाकिस्ट के साथ रिश्तेदारी क्यों छिपा रहा है. थाने तक एप्रोच क्यों लगाया. सूत्रों से जानकारी आई है स्टाकिस्ट गण ने पुरे देश में असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन 20 से 30 लाख की संख्या में विभिन शहरों में बेचा है जहां अब अब पुलिस को इस मामले की गहराई और गंभीरता से मामले का खुलासा करना चाइये और जहां भी रेमडेसिविर इंजेक्शन का नकली माल वहां रायपुर का ही नाम क्यों आता है जबकि यहां औषदि निर्माण की कोई फैक्ट्री नहीं है.

असली और नकली में फर्क



असली




हमारी जानकारी को पुख्ता करती की डीसीपी, आईपीएस अफसर मोनिका भारद्वाज का ट्वीट.

भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अभी कोरोना संक्रमित मरीजों को सबसे ज्यादा आवश्यकता ऑक्सीजन, ऑक्सीजन बेड एवं रेमडेसिविर इंजेक्शन की है। छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की कमी नहीं है परंतु भारी तादात में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी है. वर्तमान में अब ग्रमाीण क्षेत्रों में कारोना का संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है. गांव-गांव से भारी तादात में संक्रमित मरीज निकल रहे है, परंतु कस्बो व शहरों के हॉस्पिटल, बेड व आसपास में जगह न मिलने व ऑक्सीजन बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में डर, भय एवं घबराहट का वातावरण बन रहा है. अस्पतालों में व आइसोलेशन सेंटरो में जगह न मिलने से मरीज, गांव में ही कोविड से लड़ रहे है और लगातार कोविड के मरीज बढ़ रहे है.

अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भारी तादात में औद्योगिक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हुए है, परंतु उनके लिए फ्लोमीटर नहीं होने के कारण बहुत से स्थानों पर इन सिलेण्डरों का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है. सरकार ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त करने हेतु कोई सुनिश्चित व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई है. ब्लाॅक एवं जिला स्तर पर निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन कहां से उपलब्ध होगा, होम आइसोलेशन मरीज को कहां से उपलब्ध होगा इस संबंध में भी अभी तक कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं है न ही कोई अधिकारी व टेलीफोन नंबर शासन ने उपलब्ध कराए है.

अग्रवाल ने कहा कि ब्लाॅक एवं जिला स्तर पर 24 घंटे उपलब्ध रहने वाले अधिकारियों के टेलीफोन नंबर सार्वजनिक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए. प्रदेश में पर्याप्त मेडिकल सिलेण्डर तो बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है. प्रदेश में हाईफ्लो मास्क की भी बहुत कमी है इसकी भी व्यवस्था शासन स्तर पर व्यापक रूप से किए जाने की आवश्यकता है. उक्त संदर्भ में श्री अग्रवाल ने ऑक्सीजन के प्रभारी श्री अयाज तम्बोली एवं रायपुर कलेक्टर से भी चर्चा किया.

अग्रवाल ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन भी आम गरीब मरीजों को एवं छोटे अस्पतालों को उपलब्ध नहीं हो रहे है. सरकार अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने की बात कह रही है परंतु अस्पताल में इंजेक्शन लगाने के बजाय लोगों को पर्चा दिया जा रहा है. लोग पर्चा लेकर मेडिकल स्टोर के धक्के खा रहे है, घंटो की लाइन लगने के बाद भी इंजेक्शन नही मिल रहा है. लोगो को ब्लैक मार्केट में 15 हजार से 20 हजार में इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है. जिसके कारण लोगों में नाराजगी है.

अग्रवाल ने शासन एवं जिला प्रशासन से आग्रह किया कि ब्लाॅक एवं जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता करवाने हेतु रिजर्व स्टाॅक रखा जाए एवं 24 घंटे उपलब्ध रहने वाले टेलीफोन नंबर उपलब्ध करवाया जाए, साथ ही इसी प्रकार की व्यवस्था रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए भी की जाए.

अग्रवाल ने कहा कि इस कठिन समय पर सभी से आग्रह कि ऑक्सीजन अस्पतालों में बेड एवं रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों को आसानी से उपलब्ध हो इसके लिए हमे खुले एवं उदार मन से काम करने की आवश्यकता है. यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है लोगों के दु:ख परेशानी को दूर करने का है.

देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बढ़ गई. ऐसे में राजधानी से इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबरें भी आने लगी. इसी मामले में देश भर के अलग अलग हिस्सों से लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. यही नहीं इस इंजेक्शन की नकली खेप बेचते हुए लोग भी पकड़े गए. इसी बीच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की डीसीपी, आईपीएस अफसर मोनिका भारद्वाज ने लोगों को इंजेक्शन के असली-नकली के अंतर को बताते हुए ट्विटर हैंडल पर एक तस्वीर शेयर की है.

मोनिका भारद्वाज ने ट्विटर पर तस्वीर शेयर करते हुए असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के बीच सही इंजेक्शन की पहचान कैसे की जाए यह बताया है. उन्होंने नकली इंजेक्शन के पैकेट पर लिखी कुछ गलतियों की तरफ इशारा करते हुए सही इंजेक्शन की पहचान करने के लिए नौ पॉइंट्स बताए हैं. जिसमें-
1. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर इंजेक्शन के नाम से ठीक पहले 'Rx' नहीं लिखा हुआ है.
2. पैकेट पर लिखी गई तीसरी लाइन में एक कैपिटलाइजेशन गलती है. असली इंजेक्शन पर '100 mg/Vial' लिखा हुआ है, जबकि नकली पर '100 mg/vial' लिखा हुआ है.
3. प्रोडक्ट के ब्रांड नेम में भी गलती है. नकली और असली रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट पर गैप को नोट करें.
4. नकली पैकेट पर एक और कैपिटलाइजेशन 'Vial/vial' में गलती है.
5. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर एक और कैपिटलाइजेशन गलती है. असली पैकेट पर 'For use in' लिखा हुआ है और नकली पैकेट पर 'for use in' लिखा हुआ है.
6. इसके अलावा असली पैकेट के पीछे 'Warning' लाल रंग में है, जबकि नकली पैकेट पर 'Warning' लेबल काले रंग में है.
7. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर 'Warning' लेबल के ठीक नीचे 'Covifir' (ब्रांड नाम) is manufactured under the licence from Gilead Sciences, Inc' नहीं लिखी हुआ है.
8. हेटेरो लैब्स की पहचान करने वाले टेक्स्ट में भी कैपिटलाइजेशन गलती है. नकली रेमडेसिविर पैकेट में India की जगह 'india' लिखा हुआ है.
9. नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन वाले पैकेट पर पूरे पते यानी कि एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियां हैं. जैसे नकली पैकेट पर Telangana की जगह 'Telagana' लिखा हुआ है. इस तरह, आप देख सकते हैं कि असली और नकली पैक्ट्स में किस तरह के बारीक अंतर छिपे हुए होते हैं.
असली और नकली रेमेडिसविर इंजेक्शन के बीच पहचान करने के लिए ये एक सरल जांच हैं. इन सभी पॉइंट्स पर मोनिका भारद्वाज ने ध्यान आकर्षित करते हुए ट्विटर पर लिखा है कि ट्वीट शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है.

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