जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में सट्टा और नशे का व्यापार जोर-शोर से चल रहा है। कुछ दिनों पहले ही डीजपी बंगले के पीछे सटोरियों की सट्टा पट्टी काटते हुए एक वीडियो जनता से रिश्ता ने अपने समाचार पत्र के जरिए छापकर लोगों में जागरूकता बनाई थी। उसके बाद भी उस जगह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। और सटोरियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि डीजीपी बंगले के पीछे ही बने नाले में बैठकर शराब की पार्टी कर रहे है। जनता से रिश्ता के संवाददाता को जब इस बात की सूचना मिली तो उसने अपने कैमरे से वह के वीडियो बनाए मीडिया को आते देख सभी सटोरिए वहां से भाग निकले मगर अपने नशे का सारा सामान वह छोड़कर चले गए। वही दूसरी तरफ राजधानी में चल रहे रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 के मैचों पर सट्टा लगाने वाले सटोरियों का नेटवर्क बड़ा और तेज हो गया है। शहर में क्रिकेट शुरू होते ही सटोरियों के सट्टे की बहार आ गई है। गली-मोहल्लों से लेकर पॉश कॉलोनी, होटल और यहां तक चलती कार में भी जोरों से क्रिकेट सट्टा चल रहा है। रोज किसी न किसी इलाके में रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 क्रिकेट का सट्टा चल रही रहा है। जिसके कारण सट्टा बाजार में शहर से अकेले तीस करोड़ से अधिक का कारोबार होने की संभावना हुई। इस खेल में कुछ नामचीन सटोरियों का शहर में राज चलता है, जो अनेक वर्षों से इस धंधे में लिप्त हैं।
सटोरिए हुए बेखौफ
राजधानी में सट्टा कारोबार धडल्ले से चलने लगा है। सट्टा कारोबार चलाने वालों में पुलिस का कोई खौफ तो दिख नहीं रहा है। इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है। शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है।
सटोरियों और बुकियों का बना संगठन
रायपुर में सटोरिए और बाहर से आये बुकी एक संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं। सट्टा खिलाने वालों की एक अजीबो-गरीब भाषा है। यानी कोर्डवर्ड हैं। महज एक फोन पर दांव लग जाता है और ऐसे ही रद्द भी हो जाता है। हार-जीत की राशि का बकायदा अगले दिन किसी जनरल स्टोर, मोबाइल शॉप या पान की दुकान से भुगतान कर दिया जाता है। खेलने वालों को भी एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है, जिसकी एक लिमिट होती है। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बुलाया जाता है। सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं। दिल्ली-मुंबई में बैठे बुकी को इनकी भाषा में डिब्बा कहा जाता है। सावधानी इतनी होती है कि एक बार कोई नंबर उपयोग हो गया तो उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता।
सट्टे के बड़े खाईवाल बने इलाकों के दादा
रायपुर के सदर बाजार, आज़ाद चौक, पंडरी बस स्टैंड, नेशनल हाइवे, सब्जी मार्केट और चौक चौराहे में स्थित कई जनरल स्टोर्स, नाई व पान दुकानों में सट्टे लिखवाने वालों भीड़ देखी जा सकती है। खाईवालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं की इससे उबर नहींं पा रहे हैं। शहर में एक दो नही बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। छुटभैय्या नेताओं और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार शहर सहित आस-पास के आउटर इलाकों में पुरी तरह से चरम पर है।
सेशन का खेल
यदि किसी टीम ने अपने पिछले मैच में छह ओवर के दौरान 40 रन बनाए थे तो सटोरिए 43 या 45 रुपए का भाव तय करेंगे। बढ़ाकर इसलिए करते हैं ताकि उनके जीतने की संभावनाएं ज्यादा हो जाएं। यानि किसी ने एक हजार रुपए लगाए हैं और यदि टीम ने सेशन में 43 या 45 रन बना लिए तो उसे दो हजार रुपए मिल जाएंगे लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो पूरी राशि सटोरिए के खाते में चली जाएगी। खेलने वालों को पहले सेशन में कितने भी रुपए लगाने की छूट दी जाती है। सेशन के दौरान यदि खिलाड़ी तेज खेलने लगें और ऐसा लग रहा है कि छह ओवर में 55 रन या उससे अधिक बन जाएंगे तो भाव बढ़ जाते हैं। मतलब एक हजार लगाने वाले को सटोरिए की ओर से ढाई हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा।
भनक लगते ही मास्टर माइंड फरार
रायपुर में रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 क्रिकेट मैचों पर लगने वाले ऑनलाइन सट्टे का भुगतान समय पर घर पहुंच सेवा के कारण लोग दांव लगाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे है। कई इलाकों में तो पुलिसकर्मियों की सांठगांठ से यह कारोबार जोरों पर चल रहा है। कई सटोरिये ऐसे भी हैं जिन्होंने पुलिस की नजरों से बचने के लिए नामी गिरामी होटलों और पॉश कॉलोनियों में अपने ठिकाने बना लिए हैं। ये सटोरिये अपनी हिफाजत के लिए आम ग्राहकों के बाजए कुछ चुनिंदा लोगों के ही दांव बुक कर रहे हैं। नए ग्राहकों की एंट्री पुराने ग्राहकों की गारंटी के बाद ही हो रही है। सटोरियों ने ग्राहकों और खुद के नंबरों को अपने मोबाइल फोन पर फीड किया हुआ है। नए नंबरों को वो रिसीव तक नहीं कर रहे हैं ताकि गोपनीयता बरकरार रहे। लेकिन तू डाल-डाल तो मैं पात- पात की तर्ज पर सटोरिये भी अपनी सजगता दिखा रहे हैं।
खाईवालों ने बांटे अपने वार्ड और ज़ोन
खाईवालों ने भी गांव व शहर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है। नशे के कारोबारियों और सट्टा और जुआ, हुक्काबार डांस पार्टी बार पर नकेल कसने के लिए कड़ा से कड़ा कानून जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों की कमेटी में सहमति बनाकर सदन में पेश कर पारित करना चाहिए। राज्य में कड़ा से कड़ा कानून लाना ही एक मात्र विकल्प है, जिससे आने वाली पीढ़ी नशे से डरे और कड़े कानून के कारण अवैध कारोबार से दूर रहे।
जनता से रिश्ता ने किया कैमरे में किया कैद
राजधानी में सट्टे का खुलेआम कारोबार चल रहा है। जिसे जनता से रिश्ता के संवाददाता ने अपने कैमरे में कैद किया। इस वीडियो में लोग तो नहीं थे। मगर उनके अड्डों में शराब की बोतलें चखना और भी बहुत सी पार्टी से जुडी चीज़े मिली। सिविल लाइन थाना पुलिस के नाक के नीचे से ये सट्टे का कारोबार खुलेआम तो चल ही रहा था। अब इसी अड्डे में शराब की भी पार्टी होने लगी है। आकाशवाणी कालीमंदिर के आगे डीजीपी साहब के बंगले के पीछे नाले के पास रवि साहू गैंग के गुर्गे खुलेआम महिलाओं और बच्चो को मिलाकर सट्टा-पट्टी काटते और अवैध कारोबार को संचालित करते है। जब जनता से रिश्ता के मीडिया कर्मी कैमरे के साथ मौके वारदात पर पहुंची तो सटोरिए डरकर अपना सट्टा काटने वाला रसीद, सट्टा नंबर लिखने वाला पन्ना छोड़कर वहां से भाग निकले।