बेमेतरा : मछली पालन से अश्वनी को हुआ 3 लाख का मुनाफा

Update: 2021-09-06 11:14 GMT

बेमेतरा। मछली पालन विभाग द्वारा विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मौसमी तालाबों मे मत्स्य बीज संवर्धन योजना के अन्तर्गत लोगों की आय मे वृद्धि की जा रही है। ऐसे ही बेमेतरा जिले के ग्राम गांगपुर के मत्स्य कृषक अश्वनी कुर्रे ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत मछली पालन कर 03 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा प्राप्त हुआ। अश्वनी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरों की कमी से खेती बाड़ी में बहुत दिक्कत होने लगा था। अच्छा फसल भी नहीं हो रहा था। उन्होने कहा कि मछली पालन से आमदनी दोगुनी कैसे होगी के संबंध में स्वयं के जमीन में बैंक ऋण अथवा स्वयं के व्यय से तालाब निर्माण कर मछली पालन की विधियों एवं योजनाओं से विभागीय अधिकारियों द्वारा अवगत कराया तथा तालाब के मेंढ़ में फलोद्यान कर अतिरिक्त लाभ लेने का तरकीब सुझाया गया। अधिकारियों द्वारा संबंधित की जमीन का अवलोकन किया गया पास में नहर एवं छोटी नाला से पानी पर्याप्त मात्रा में उपयोग हेतु लिया जा सकता है जो मछली पालन के लिए उपयुक्त पाये जाने पर चयनित किया गया। संबंधित को मछली पालन हेतु भारतीय स्टेट बैंक, छिरहा से कुल 3.50 लाख का ऋण दिलाया गया। जिसमें 40 प्रतिशत् अथवा 1.40 लाख अनुदान के रूप में प्रदान किया गया। वर्ष 2015-16 में तालाब निर्माण पूर्ण होने के पश्चात् अधिकारियांे के मार्गदर्शन में पानी भरकर उन्नत किस्म की बढ़ने वाली मछली ग्रासकार्प, रोहा, कतला, मृगल, पंकाश एवं रूपचंदा तथा हाईब्रिड तेलपिया भी डाला गया। विभाग द्वारा मिलने वाला प्रोटीन फिड (तैरने वाली आहार) दिया गया था। साथ में यह बताया गया कि ग्रासकार्प, रूपचंदा आदि मछली, साग सब्जी का वेस्ट का उपयोग चारे के रूप में करती है। किसान द्वारा तालाब के मेढ़ में पपीते एवं साग-सब्जी लगाने का अवगत कराया गया, जिससे अतिरिक्त लाभ हो सके। इस तरह किसान को प्रथम वर्ष 30 क्विंटल मछली 10-12 माह में प्राप्त हुआ, किसान द्वारा मछलियों को 115-120 रू. प्रति किलो से स्थानीय मछुवारों को विक्रय कर रू. 3.00 लाख का फायदा शुध्द रूप से प्राप्त हुआ।

किसान को पपीता एवं साग-सब्जी से अन्य मजदूरी खर्च के रूप में अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुआ। इस प्रकार किसान मछली पालन कर अपनी आय को दोगुनी से भी अधिक कर लिया। किसान द्वारा आगामी वर्ष में 0.60 हे. का स्वयं के व्यय से तालाब बनाया गया। अब वह 50-60 क्विंटल मछली उत्पादन कर रहा है। किसान द्वारा अपना बैंक का कर्ज अदा कर लिया गया। अपने रहने का मकान भी पक्का बना लिया। साथ ही शेष बचे जमीन में तालाब बनाने प्रगतिरत् है।

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