सावधान... आप इलाज कराने मेकाहारा जा रहे है तो तैयार रहें बेइज्जती के लिए
- दो डाक्टरों के इगो ने मरीज को अस्पताल से बाहर फेंकवा दिया
- मेकाहारा के डीन और संचालक इस संबंध में बेखबर
- मेकाहारा में नहीं थम रहा मरीजों के साथ दुव्र्यवहार का सिलसिला
- आधी रात को सनकी डाक्टर ने गाली-गलौच कर मरीज को बाहर फेंका
- दमा, उल्टी, कमरदर्द के इलाज के लिए भर्ती मरीज को लात मार कर बाहर निकाला
- जूनियर डाक्टरों के कोप का शिकार होना अब मेकाहारा में आम बात
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। मेकाहारा में इलाज कराने जाने वाले मरीज और उनके परिजनों के साथ डाक्टरों का दुव्र्यवहार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला कालीबाड़ी गांधी नगर निवासी नासिर हुसैन(53) पिता मो. हुसैन को डाक्टरों के कोप का शिकार होना पड़ा। 22 जून को 4.30 बजे दमा के साथ कमर दर्द उल्टी, सूजन से परेशान नासिर हुसैन मेकाहारा में पर्ची बनवा कर इलाज के लिए पहुंचा, जहां पांच घंटे तक नानाप्रकार के जांच कराने के बाद रात में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। वहां इलाज शुरू होने के बाद रात को ड्यूटी पर आने वाले एक तथाकथित डाक्टर ने नासिर हुसैन को कहा कि आपका इलाज ठीक ढंग से हो रहा है और आप अब नार्मल हो गए है आपको इमरजेंसी से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर देते है। वहां पर और भी डाक्टर थे, जो नासिर हुसैन को सुबह तक इमरजेंसी वार्ड में रहने देने की बात कर रहे थे, कि सुबह जांच के बाद जनरल वार्ड में शिप्ट कर देंगे। लेकिन युवा डाक्टर जिद में अड़ गया कि जब मैंने कह दिया तो नासिर हुसैन को जनरल वार्ड में शिफ्ट करो, इसी बात पर बहस के बाद नाराज डाक्टर ने पूरा गुस्सा नासिर हुसैन पर उतार दिया। सीनियर डाक्टरों के जाने के बाद उक्त डाक्टर ने नासिर हुसैन से कहा कि जब मैंने कह दिया तो आपको जनरल वार्ड में ही रहना होगा। नासिर हुसैन से कहा कि जिस डाक्टर ने मुझे यहां शिफ्ट किया है। उसके बाद ही मैं यहां से जाउंगा, इस बात पर डाक्टर का इगो हट कर गया। उस डाक्टर ने आधी रात को नासिर हुसैन को कहा कि आप इमरजेंसी वार्ड खाली करो, नासिर हुसैन ने कहा कि सुबह तक जांच के बाद दूसरे जगह शिफ्ट करने की बात इलाज कर रहे डाक्टर ने कहा है उसके बाद मैं यहां से दूसरा जगह शिफ्ट हो जाउंगा। उस डाक्टर के आने तक तो यहां रहने दीजिए, इतना कहते ही डाक्टर बिदक गया और नासिर हुसैन के साथ गाली-गलौच कर महिला गार्ड को बुलाकर इमरजेंसी वार्ड से बाहर करवा दिया। इस दौरान नासिर हुसैन लगातार डाक्टर से अनुनय विनय करता रहा तो डाक्टर मारपीट पर उतारू हो गया। कहा मेकाहारा तुम्हारे बाप का नहीं है औैर न ही हम तुम्हारे बाप के नौकर है, जो तुम्हें सुविधा दे। इस पर गरीब मरीज नासिर हुसैन बरसते पानी में मेकाहारा से बाहर ओटले पर जैसे रात काटा फिर सुबह-सुबह मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता कार्यालय में आकर अपना दुखड़ा सुनाया और इलाज पर्ची दिखाया जिसमें मेकाहारा में इलाज हुआ है। जूनियर डाक्टरों की उदंडता मेकाहारा में कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन इस तरह की घटना प्रकाश में आ रही है। यह पहला मौका नहीं है जब मरीज को मारपीट कर बाहर खदेड़ा गया हो। अस्पताल प्रबंधन इस संबंध में शिकायत होने के बाद भी गरीब मरीजों की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। मरीज नासिर हुसैन ने बताया कि शारीरिक पीड़ा और लगातार बीमार रहने के कारण कामकाज नहीं मिल रहा है। मेकाहारा से दुत्कार कर भगाने के बाद मैं रेलवे स्टेशन गया जहां गरीबों को बांटने वाले भोजन से भूख शांत किया। नासिर हुसैन ने कहा कि सरकार गरीबों के लिए नि:शुल्क और सुविधाजनक इलाज कराने का दावा करती है, लेकिन मेकाहारा में तो उल्टा ही हो रहा है। यहां तो मरीजों को आधी रात को लात मार कर बाहर खदेड़ा जा रहा है। आखिर गरीब किसके पास गुहार लगाए। नासिर हुसैन ने बताया कि मैं रात भर मेकाहारा के बरामदे में जैसे-तैसे रात काटने के बाद सुबह स्वास्थ्य मंत्री के बंगले में भी गया, जहां मुझे मंत्री जी से मिलने ही नहीं दिया गया। वहां के निजी स्टाफ ने कहा कि आप मेकाहारा जाइए मैं वहां तुम्हारे इलाज का प्रबंध कर देता हूं। इसके बाद मैं फिर बेइज्जती बर्दाश्त करने के लिए हिम्मत करके मेकाहारा गया तो दोपहर में मुझे वहां घुसने ही नहीं दिया गया। मैं थक हार कर वापस आ गया। मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मैं बीमार हालात में भीगते हुए यहां से वहां दर-दर भटक रहा हूं। सरकार से मैं गुहार लगा रहा हूं लेकिन कोई गरीबों का सुनने वाला ही नहीं है। आखिर डाक्टरों के सताये मरीज कहा जाए या भटकते हुए ऐसे ही मर जाऊं कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
ग्रामीण के क्षेत्र के मरीज भी परेशान
शहर के मरीजों का ये आलम है तो ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों का क्या हाल होता होगा। दूर-दराज के ग्रामीण बेहतर इलाज के लिए रायपुर स्थित मेकाहारा आते हैं लेकिन उन्हें क्या पता कि यहां सुविधा के नाम पर असुविधाओं का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा में शासन द्वारा अति आवश्यक दवाइयों का टोटा है। धन्वंतरि मेडिकल स्टोर्स में भी अधिकतर दवाइयां नहीं मिलने की शिकायत मिलती है। अस्पतालों में लगभग कई दवाइयाँ सूची में है लेकिन मिलती मात्र कुछ ही दवाइयां है। बाकी दवाइयां बाजार में ऊंचे दामों में खरीदने के लिए मरीज और उनके परिजन मजबूर होते हैं। एक तरफ भूपेश बघेल हैं जो गरीबो की भलाई के लिए दिन रात काम कर रहे हैं और दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग है जो सरकारी और निजी अस्पतालों पर नकेल कसने में पीछे है।
स्वास्थ्य विभाग की दुर्गति क्यों?
स्वास्थ्य अमले का फेल होने का प्रमुख कारण राजनेता और रसूखदार अधिकारियों के निजी अस्पताल चलाना है इनके धौंस या रसूख के वजह से स्वास्थ्य विभाग का चुप रहना मज़बूरी हो सकती है लेकिन प्रश्न ये उठता है कि क्या स्वास्थ्य मंत्री भी इनके धौंस के आगे घुटने टेकने मजबूर हैं? यह असंभव है लेकिन हालत यही बयान कर रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में इन अधिकारियो के स्वामित्व वाले या पार्टनरशिप में अस्पताल चल रहे हैं। क्या यही वजह है जिसके कारण निजी अस्पताल वाले खुली लूट मचा रखे हैं। एक बार अस्पताल में घुसे यानी जिंदगी भर की कमाई इन अस्पताल मालिकों के जेब में। यह भी देखा गया है की निजी अस्पताल वाले डाक्टर वही दवाई लिखते हैं जो उनके स्वामित्व वाले मेडिकल स्टोर में उपलब्ध रहते हैं। बाजार में जो इंजेक्शन 1500 की आती है। वही इंजेक्शन 2500 रूपये में इनके द्वारा संचालित मेडिकल स्टोर में मिलते हैं। मरीज की जान को खतरा बता कर बेतहाशा कमाई करने से ये पीछे नहीं रहते।
सरकार का नाम खऱाब करता स्वास्थ्य अमला
प्रदेश सरकार का नाम खराब करने में स्वास्थ्य अमला कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहता मुख्यमंत्री की योजनाओं पर स्वास्थ्य अमला ने पतीला लगाया। सरकारी अस्पताल में मरीजों को जबरदस्ती इलाज के गफलत में रखकर निजी अस्पतालों के सुझाव दिए जाते है क्योकि शहर के कई निजी अस्पताल छुटभैय्या नेताओं और आईपीएस अधिकारियों के है। बड़े छुटभय्ये नेताओं की और बड़े अधिकारियों के अपने निजी अस्पतालों के होने से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज सही ढंग से नहीं किया जाता।
अस्पताल को लगा अव्यवस्थाओं का मर्ज
सरकारी अस्पताल में मरीजों को किसी भी तरह का बहाना बताकर जैसे-तैसे उनको निजी अस्पतालों में भेजा जाता है। ऐसा प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों का हाल हो गया है। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा को अव्यवस्थाओं का मर्ज लग गया है। यही मर्ज मरीज और उनके परिजनों को दर्द दे रहा है। हद तो तब हो जाती है जब इमरजेंसी में आए मरीजों को स्ट्रेचर तक नहीं मिल पाते। जो स्ट्रेचर हैं भी वो टूटे-फूटे हैं। यहां न केवल शहर बल्कि दूरस्थ इलाकों से और छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों तक के मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। लेकिन, जब से अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया है, व्यवस्थाएं चौपट होती दिख रही है। इनमें स्टे्रचर व व्हील चेयर की कमी भी शामिल है। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। जहां स्ट्रेचर टूटे हुए है और मरीज़ों को दर बदर की ठोकरें खानी पड़ रही है। मरीज़ों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में समय पर सही उपचार नहीं मिलने से बीमारी गंभीर हो रही है। इलाज की पूरी जिम्मेदारी प्रशिक्षु डॉक्टरों पर है।
जिला अस्पताल बिलासपुर का भी हाल बुरा , जिला अस्पताल के डाक्टरों को ज्वाइंट डायरेक्टर ने दिया नोटिस
ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ डा. प्रमोद महाजन लगातार दूसरे दिन गुरुवार की सुबह साढ़े नौ बजे जिला अस्पताल पहुंचे। इस दौरान कई डाक्टर गायब थे। सभी को नोटिस थमाया गया है। इससे पहले बुधवार को डा. महाजन के निरीक्षण के दौरान 79 डाक्टर अनुपस्थित पाए गए थे। नोटिस और चेतावनी के बाद भी डाक्टरों की लापरवाही कम नहीं हो रही है। जिला अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए जेडी प्रमोद महाजन लगातार जिला अस्पताल का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्हें शिकायत मिलती रही थी कि सुबह नौ बजे ओपीडी शुरू होने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिलता है।
कोई भी डाक्टर समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं। सुबह 10 बजे के बाद ही चेंबर में डाक्टर दिखाई देते हैं। तब तक मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान भीड़ भी काफी बढ़ जाती है। कई मरीज दूसरे अस्पताल चले जाते हैं। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए डा. महाजन ने सख्ती शुरू की है। गुस्र्वार को लगातार दूसरे दिन डा. महाजन जिला अस्पताल का निरीक्षण के लिए पहुंचे। सुबह साढ़े नौ बजे ओपीडी के ज्यादातर कक्ष में डाक्टर मौजूद थे। जहां मरीजों को इलाज किया जा रहा था। इसके बाद हाजिरी रजिस्टर की जांच करने पर पता चला कि कई डाक्टर नहीं पहुंचे हैं। डा. महाजन ने तत्काल डाक्टरों को नोटिस जारी किया। साथ से 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। अन्यथा एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
जिला अस्पताल में धोर अव्यवस्था : जैसा मेकाहारा, रायपुर का हाल है वेसा ही जिला अस्पताल बिलासपुर में सालों से अव्यवस्था बनी हुई है। जहां पर मरीजों से दुर्व्यवहार, कई बार इलाज न करना, अधिकारी-कर्मचारी और डाक्टरों की मनमानी चल रही है। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। रोजाना कोई न कोई इस तरह की अव्यवस्था की शिकायत होता है। ढेरों शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है।
आज भी होगा निरीक्षण : जेडी डा. प्रमोद महाजन ने बताया कि व्यवस्था सुधारने के लिए जिला अस्पताल पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए सख्ती भी करनी पड़ेगी। ऐसे में शुक्रवार को भी जिला अस्पताल का निरीक्षण किया जाएगा। इस दौरान डाक्टरों के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों के पहुंचने के समय की जांच की जाएगी। समय पर नहीं पहुंचने पर कार्रवाई होगी।
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