बैजनाथपारा कभी रहा अनमोल रत्नों का भंडार, बन गया है कबाड़ियों औऱ नाड़ा पायजामा छाप पहचान

Update: 2024-11-15 06:08 GMT

साहित्य मनीषियों, नाटककार औऱ डाक्टरों, शिक्षाविदों की सरजमीं पर अब गिद्धों का बसेरा

शहर में पहचान पढ़े लिखे लोगों के लिए बैजनाथपारा का जाना जाता था

रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में बैजनाथपारा का रायपुर में हर क्षेत्र में जलवा रहा है। बड़े -बड़े साहित्यकार , डाक्टर, स्पोर्टमैन, रंगकर्मी यहां के बाशिंदे हुआ करते थे, न जाने किसकी नजर लग गई यहां का अमनो चमन देखते ही देखते रूखसत हो गए। अब यहां गुंडे मवालियों , कबाडिय़ों के साथ नाडा-पायजामा छाप नेताओ्ं ने बैजनाथपारा को अवैधनाथ पारा में तब्दील कर दियाहै। बैजनाथपारा की पहचान मौलाना हामिद अली फारूकी, मौलाना अब्दुल रऊफ, हबीब तनवीर, प्रो. शमशुद्दीन, शायर अजीज हमीद मदनी, डा. एहसान उल्ला, अमानउल्ला, मुस्लिम महिलाओं को शिक्षित करने में अलख जगाने वाली शिक्षाविद नूरूस्सबा जिसने अंजुमन स्कूल की स्थापना की। मिर्जा मसूद बेग, मकबूल कमाल अहमद,जायरा हसन जो 1975 में रविवि की प्रेसीडेंट रही। हैदरी वकील साहब थे।

वहीं रायपुर के पहले डिप्टी मेयर मो. अली खान जैसे लोग बैजनाथ पारा के पहचान हुआ करते थे।

जहां 24 घंटे शतरंज की बिसात बिछी रहती थी, जहां बड़े -छोटों में अदब और लिहाज को जीवंत होते देखा गया है। अब तो इस मोहल्ले में लोगों का रहना किसी सजा से कम नहीं मानते । यहां के पैतृक रहवासी अब यहां का आवोहवा को खराब होते देख यहां से रूखत करना शुरू कर दिया है।

बैजनाथपारा के जानकारों ने जनता से रिश्ता को बताया कि यहां कभी होली, दिवाली, ईद, रक्षाबंधन जैसे त्योहार को पूरा मोहल्ले बड़े शिद्दत के साथ मनाता था। कही किसी से गिला शिकवा की नौबत ही नहीं आती थी, अब तो बात -बात पर एक दूसरे को मारने के लिए उतारू हो जाते हैं।

परिवर्तन प्रकृति का नियम है, सभी तरक्की करते है और करना भी चाहिए, मगर तब के बैजनाथपारा और आज के बैजनाथपारा में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। आज तो लोग पड़ोसी से भी सीधे मुंह बात करने से कतराते हंै। बैजनाथपारा में भी तरक्की लहर आई मगर इस लहर को किसी ने अपनी जागीर की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और यहीं से घुल हो गई आपसी वैमनस्यता की जहर । लोग यहां पर अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक उतर जाते हंै। ऊपर से रात भर लगने वाला अवैध बाजार यहां के आबोहवा को पूरी तरह प्रदूषित कर दिया है। अब यहां धन बल औऱ बाहुबल की लड़ाई शुरू हो गई है। किसी की भी प्रापर्टी को हथियाने का खेल खुलेआम शुरू हो गया है। लोग न चाहते हुए भी बैजनाथपारा में रहना नहीं चाह रहे हैं। दिन-रात गुंडे मवालियों की आवाजाही से संभ्रांत परिवार के लोग अपनी पैतृक जमीन को औने-पौने दाम पर स्वेच्छा से या दबाव में आकर बेच कर बैजनाथपारा को अलविदा कह रहे हैं।

भय का माहौल

बैजनाथपारा में 24 घंटे भय का माहौल बना रहता है। लोगों ने सडक़ तक को अपनी निजी संपत्ति की तरह उपयोग करने लगे है। कुछ कहने पर मारने पीटने पर ऊतारू हो जाते है। यहां न तो रहने वाले सुरिक्षत है न ही यहां पर जिनकी पैतृक संपत्ति है वो सुरक्षित है। यहां भू-माफियाओ्ं जाल बिछा रखा है। किसी की भी जमीन पर कब्जा करने के लिए किसी भी हद तक जा रहे है।

गुंडे तत्वों का जमावाड़ा: रात के दो बजे तक रहता है जिसके कारण पूरे शहर के शराबी कबाबी युवा सस्ते नॉनवेज के चक्कर में बैजनाथपारा की ओर खींचे चले आते हैं। बैजनाथपारा के निवासियों का बहुत बुरा हाल है अब अपनी प्रॉपर्टी बेच कर अन्य जगहों पर जाने के लिए मजबूर है और प्रॉपर्टी खऱीदने के लिए माफिय़ा अपने गुर्गों और दादाओं के माध्यम से उसे औने-पौने भाव में लेने या जबरदस्ती बेचने के लिए मजबूर करते है। वहां के तथाकथित भू-माफिया फिर दावा करते हैं कि उस प्रॉपर्टी को मनमाने भाव में ही किराया पर चढ़वाते हैं और फिर उस पर कब्जा कर उस प्रापर्टी धीरे से बेच देते हैं या वहीं पर दुकान निर्माण कर अपना हक होने का दावा करते है।

जमकर हो रही अवैध वसूली

बैजनाथपारा में खुलेआम पायजामा छाप नेता अपनी ताक़त और बलबूते में जगह-जगह नानवेज और बिरियानी होटल का स्टॉल लगवाकर उन लोगों से हज़ार पंद्रह सौ रुपये प्रतिदिन वसूली कर रहे है। बैजनाथपारा के बीच सडक़ में ठेला और दुकान लगवा कर आने जाने वालों के लिए मुश्किल खड़ा कर रहे हैं। इसी तरह के हालात बैजनाथपारा में कई जगहों पर देखा जा सकता है। मोहल्ले के निवासी कई बार थाने में इस मामले की शिकायत भी करते है तो कोई सुनवाई नहीं होती है। कमोबेश यही हालात पूरे बैजनाथपारा में देखने को मिलता है। वहां के नाड़ा पायजामा छाप नेता लोग ज़बरन वसूली और खाने-पीने की सामग्री मुफ़्त में रंगदारी के साथ लेते हैं और उन्हें कुछ बड़े नामचीन रसूखदार नेता संरक्षण देते हैं । बैजनाथपारा में रात 11 बजे पुलिस की आखिरी गश्त के बाद वहां पर गुंड़ों का राज चलता है। रात के दो बजे तक गुंडों -बदमाशों का तांडव नाच खुलेआम चलता है । बैजनाथपारा में पैतृक रहवासी जो मोहल्ले में परिवार वाले के साथ रहते है उनका रात की नींद और दिन सुकून छुमंतर हो गया है। बैजनाथपारा में दिन और रात एक बराबर हो गया है जितनी भीड़ दिन में रहती है उससे दोगुनी भीड़ रात में हो जाती है। वहां रहने वाले संभ्रांत परिवार वालों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। बैजनाथपारा में रात दिन कानफोड़ूू म्यूजिक़ तेज आवाजों में बजाया जाता है । रात भर वहां पर संदिग्ध लोगों का आना जाना लगा रहता है। वैध-अवैध धन्धे का बैजनाथपारा प्रमुख अड्डा है जहां से गांजा, चरस, अफीम, सिरप की सप्लाई और निष्पादन किया जाता हैं । बैजनाथपारा में प्रमुख रूप से नॉनवेज स्टाल और बिरियानी होटलों में असामाजिक तत्वों की धमाचौकड़ी मची रहती है।

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