- 20-25 सालों से जमे अधिकारी कर रहे सरकार की मिट्टी पलीद
- सड़क निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार, अनियमितता
- गुणवत्ता, मापदंड व प्राक्लन के अनुसार नहीं हुए कार्य
- 8 लेयर का काम होना था, जिसमें दो लेयर जीएसबी और डब्ल्यूएमएम का काम नहीं हुआ।
- पहाड़ों की रेतीली मिट्टी से सड़क का लेयर मेंटेन किया गया।
- बोल्डर और गिट्टी क्रशर की लगनी थी, जिसकी कीमत दो हजार रूपए घन मीटर है। इसकी जगह पहाड़ों का पत्थर और जंगल का मलबा इस्तेमाल किया गया।
- माइनिंग की चोरी हुई, सरकार को इससे राजस्व की हानि हो रही है और सड़क की गुणवत्ता से खिलवाड़ हुआ.
- साढ़े सोलह करोड़ से ज्यादा लागत वाली 16 किमी सड़क गोहरापदर से सीनापाली-मुचबाहल मार्ग में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का बंठाधार किया। 16 किमी की सड़क मात्र 5करोड़ के लगभग खर्च कर पूरे निर्माण कार्य को लीपापोती कर 17 करोड़ के करीब लागत शासन से वसूला गया.
- प्रत्येक सड़क पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं का पूरा विवरण लिखा होता है जिसमें लंबाई-दूरी-चौड़ाई और मोटाई के जिक्र के साथ लागत और ठेकेदार का नाम-पता लिखा जाता है, लेकिन दुर्भाग्यवश दूरस्थ अंचल होने के कारण उक्त बोर्ड पर जनप्रतिनिधि, लोकल पंच-सरपंच और विकासखंड के अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती कि उल्लेखीत सूचना के आधार पर कार्य किए गए या नहीं।
सूत्र संग्रह जनता से रिश्ता, अतुल्य चौबे
ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट- ज़ाकिर घुरसेना , फोटो संग्रह- शांतनु रॉय
रायपुर। छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों को सुलभ आवागमन और गांवों को मुख्य सड़कों से जोडऩे के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आ रही हैं। राज्य के विभागीय मंत्री की उदासीनता और अनदेखी के चलते 20-25 सालों से जमे अधिकारी-कर्मचारी ठेकेदारों से मिलकर कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ठेकेदार अफसरों से मिलीभगत मोटी निर्माण लागत वाली सड़कों की गुणवत्ता और मापदंडों की अनदेखी कर लागत का महज 25 प्रतिशत खर्च कर सड़कों का निर्माण कर जनता और सरकार के साथ धोखा कर राजस्व की चोरी कर रहे हैं। राज्य के सीमावर्ती इलाकों को गांवों में इस योजना के तहत हुई सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता पहली नजर में ही परखी जा सकती है।
गरियाबंद जिले के गांवों में सड़क निर्माण में व्यापक अनियमितता
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत 25 दिसंबर 2000 को हुई थी। जिसका प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण आबादी को बहुमूल्य मुख्य सड़क मार्ग से जोडऩा है। उसमे आर्थिक क्षमता सुदृढ़ हो सके और विकास को प्रोत्साहित करना लक्ष्य रखा गया था। अब यह योजना दूसरे अंचलों में अधोसंरचना का विकास भ्रष्टाचार का मुख्य साधन बनते जा रहा है। इसका ताजा उदहारण गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़के हैं जिसमेेंं बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनिमितताएं की गई हैं, और करोड़ों का घोटाला किया गया है। ठेकेदार और अधिकारियों की मिली भगत से सरकार के उद्देशों और ग्रामीणों के अधिकार के साथ खिलवाड़ किया गया है। ठेकेदार और अधिकारी मिलकर राज्य सरकार को बदनाम कर रहे है। ना उन्हें सरकार का खौफ है ना ही जनता से कोई सरोकार है केवल लूट-खसोट का व्यापक चूना लगाने का गोरखधंधा चल रहा है। इस बंदरबाट का नतीजा यह हो रहा है कि ग्रामीण पीस रहे हैं, उनकी सुविधाओं का हनन हो रहा है इसके बावजूद उसकी गुहार कोई सुनने वाला नहीं है। गरियाबंद से महज 120 किलोमीटर दूर उड़ीसा बॉर्डर में सड़कों के नाम पर किए जा रहे भ्रष्टाचार से सरकार पूरी तरह अनभिज्ञ है, प्रशासन और विभाग मिल-बाटकर कार्यों को अंजाम दे रहे है राज्य सरकार की बदनामी और ग्रामीणों की शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है नई सड़के बन रही है देखने में सब कुछ ठीक नजर आता है किन्तु सच्चाई जानकर हैरानी होना स्वाभाविक है थूक पालिश हो रही है रोड चमचमा रहे है पर काम की गुणवत्ता पूरी तरह खऱाब है।
गोहरापदर से सीनापाली और सीनापाली से मुचबाहल मार्ग में भारी अनियमिता
गोहरापदर से सीनापाली और सीनापाली से मुचबाहल मार्ग में भारी अनियमिता होने की बात ग्रामीण कह रहे हैं। इसे लेकर ग्रामीणों में भारी असंतोष है। सड़कों के निर्माण में मापदंड का ध्यान नहीं रखा गया है। 8 लेयर के काम में केवल लेबल मेंटेन किया गया है। अंदर जंगल पहाड़ का मलमा डालकर ऊपर गिट्टी चढ़ाकर डामरीकरण कर दिया गया है। माइनिंग मटेरियल वन क्षेत्रों से लाया गया है क्रेसर गिड्टी का थोड़ा ही प्रयोग हुआ है प्राक्लन के अनुसार कार्य न होकर दूरस्थ अंचल का लाभ उठाया गया है। मुरम- पत्थर- लरटेराइट का अधिक प्रयोग हुआ है। अंत में कारपेट से सील काडे कर कार्य को अंतिम रूप दिया गया है 16 किलोमीटर के मार्ग में जिसमें 17 करोड़ व्यय होने से महज चार पांच करोड़ में मार्ग निर्माण कर विभाग को सौंप दिया गया और बिल की निकासी हो गयी है। हालाकि अभी रख-रखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार के माध्यम से विभाग की है किंतु अंचल में कोई देखने और शिकायत करने वाला नहीं है। इसका भरपूर लाभ लिया गया है।
विकास योजनाओं में जमकर लूट-खसोट
सरकार के द्वारा प्रायोजित कार्य को पूर्ण करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है इसमें राज्य सरकार चाहती है की आदिवासी एवं दूरस्थ अंचल में सुविधाएं बढ़े और विकास का लाभ गरीबो तक पहुंचे लेकिन सरकार के लक्ष्य और सपनो को ठेकेदार और अधिकारी मिलकर बट्टा लगा रहे हैं। भ्रष्टाचार के साथ-साथ ग्रामीणों को नाराज और सरकार को बदनाम करने का षडय़ंत्र चल रहा है। समूचे गरियाबंद जिले के भीतरी क्षेत्रों में हो रहे कार्यो की जांच जरुरी है ग्राम सड़क संभाग गरियाबंद के सभी कार्यों में व्यापक अनियमिता हुई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की कार्यप्रणाली में कितनी गुणवत्ता व सच्चाई है ये इसी से समझी जा सकती है कि सरकार की योजनाओं में जमकर लूट खसोट और भ्रष्टाचार किया जा रहा और विभाग इस दिशा में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ बयानबाजी कर रही है और दोषियों को बचा रही है क्योंकि अधिकांश भ्रष्टाचार व घोटालों में छुटभैये नेताओ की मिलीभगत सामने आ रही है।
इस सम्बन्ध में ग्रामीणों ने जनता से रिश्ता संवाददाता को बताया कि हम लोग टेक्नीकल तो नहीं हैं लेकिन जिस प्रकार से सड़क का निर्माण हुआ है इस साल के बरसात में सही सलामत रह जाये तो गनीमत है। अभी बड़ी-बड़ी गाडिय़ा नहीं चल रही है तब तक तो रोड सही रहेगा लेकिन जब बड़ी गाडिय़ां चलना शुरू होगी तो सड़क का भगवान ही मालिक रहेगा। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि विभाग के उच्च अधिकारियो की जिम्मेदारी थी कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता की जाँच खुद करे लेकिन हमारी सुनता कौन है। सड़क निर्माण के दौरान तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में काम होना था लेकिन गांव के लोगो ने बताया कि ठेकेदार को जो अच्छा लगा उसी प्रकार निर्माण कार्य हुआ। ग्राम मुचबाहल के सरपंच श्रीमती मोहना नेताम ने कहा कि रोड तो ऊपर से ठीक है लेकिन अंदर जो मटेरियल लगना था वह नहीं लगा है। साथ ही पुल-पुलिया जो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उनको नया बनाना चाहिए था लेकिन सिर्फ मरम्मत किया गया है जो कुछ दिन बाद फिर से उसी टूटेफूटे हालत में आ जायेगा। सरकार द्वारा इतना खर्चा किये जाने का कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा और जनता के पैसे की बर्बादी होगी।
दोषी अधिकारियों, ठेकेदारों और जनप्रधिनियों पर कार्रवाई नहीं
पीएम सड़क योजना में खुलेआम घोटाला होते पाए जाने के बाद भी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप करना तो छोड़ जाँच भी नहीं करते। पिछले वर्षों से ठेकेदारों द्वारा अधिकारियो से मिलीभगत कर कई सौ करोड़ के घोटाले किये जा रहे हैं। इनके द्वारा लगभग 1 से 1.5 हजार करोड़ से अधिक की सड़कों के निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच विभागीय स्तर पर हो चुकी है। विभागीय व उच्च प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक इन मामलों की विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी नेताओं, सरपंचों, अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी,लेकिन कार्रवाई करने की बजाए बचाने का अधिक प्रयास किया जा रहा है। मतलब साफ दिख रहा है कि राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी भूपेश बघेल को बदनाम करने की नियत से दोषियों को बचाने का भरपूर प्रयास कर रही है।
सड़क निर्माण में पहले बड़े साइज की गिट्टी डालना चाहिए फिर मुरुम डालकर छोटी गिट्टी के बाद डामरीकरण करना चाहिए लेकिन यहाँ सिर्फ बड़ी गिट्टी डालकर मुरुम के ऊपर डामरीकरण किया गया जिससे सड़क ज्यादा दिन टिकने की उम्मीद नहीं है।
जलंधर साहू , स्थानीय निवासी
हम गांव वालो की सुनता कौन है साहब। जो बड़े अधिकारी लोग सड़क बनवा दिए वही सही है।
लिलाधर मांझी, स्थानीय निवासी
फऱवरी मार्च में सड़क बना है लेकिन सही मानक स्तर पर नहीं बना है ऐसा लगता है बरसात में ही सड़क खऱाब हो जायेगा।
देवीसिंह, स्थानीय निवासी
सड़क निर्माण में गिट्टी ढंग से नहीं डाला गया है बड़ी गाडिय़ा चलने पर सड़क जल्दी ही खऱाब होगी।
शोभा राम, स्थानीय निवासी
इस सम्बन्ध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जानकारी हासिल करता हूँ अगर गलत हुआ होगा तो शिकायत करेंगे।
गोवर्धन मांझी पूर्व संसदीय सचिव एवं पूर्व विधायक बिंद्रानवागढ़
रोड तो ऊपर से ठीक है लेकिन अंदर जो मटेरियल लगना था वह नहीं लगा है। साथ ही पुल-पुलिया जो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उनको नया बनाना चाहिए था लेकिन सिर्फ मरम्मत किया गया है जो कुछ दिन बाद फिर से उसी टूटेफूटे हालत में आ जायेगा।
श्रीमती मोहना नेताम, सरपंच ग्राम मुचबाहल
मुझे भी जानकारी मिली है ठेकेदार का काम सही नहीं है। मैं स्वयं सड़क का निरिक्षण करने गया था। अधिकारियो से इसकी शिकायत करूँगा।
डमरूधर पुजारी विधायक बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र
पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की खुलासे लगातार देखते रहिए