रायपुर। भारत में आयोजित हो रहे 44वें शतरंज ओलंपियाड की मशाल का आज रायपुर पहुंचने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल सहित अनेक खेल संघों, खिलाड़ियों, स्कूली बच्चों और जनप्रतिनिधियों ने जोरदार स्वागत किया। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित ग्रैंड मास्टर प्रवीण थिप्से भुवनेश्वर से यह मशाल लेकर रायपुर पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री को यह मशाल सौंपा। दोनों ने मंच पर शतरंज भी खेला। मुख्यमंत्री बघेल ने यह मशाल राज्य की शतरंज खिलाड़ी वूमन फीडे मास्टर (Woman FIDE Master) किरण अग्रवाल को सौंपा।
शतरंज ओलंपियाड की मशाल का स्वागत और अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह बहुत गौरव का विषय है कि वर्ल्ड चेस फेडरेशन ने पहली बार ओलंपिक मशाल की तर्ज पर चेस मशाल रिले की अनुमति दी है। भविष्य में चेस ओलंपियाड का आयोजन भले ही किसी भी देश में हो, उसके मशाल की शुरूआत भारत से ही होगी। रायपुर के साइंस कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित स्वागत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि इस बार चेस ओलंपियाड की मेजबानी हमारा देश कर रहा है। मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को विशेष तौर पर बधाई देता हूं कि उन्होंने इस गौरवपूर्ण आयोजन की मेजबानी के लिए अपने राज्य की ओर से 75 करोड़ रुपए की गारंटी और विश्व स्तरीय अधोसंरचना उपलब्ध कराई है। तमिलनाडु का महाबलीपुरम 188 देशों के दो हजार से अधिक खिलाडियों के दांव-पेंच तथा शह-मात के दिमागी कौशल का गवाह बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शतरंज ओलंपियाड मशाल की आज प्रदेश में मौजूदगी हमारे उदीयमान शतरंज प्रतिभाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का काम करेगा। उन्होंने राजनांदगांव की शतरंज खिलाड़ी सुश्री किरण अग्रवाल का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने 1986 से 1990 के बीच दो बार ओलंपियाड में भाग लिया था। इस गौरव को फिर से दोहराने की जरूरत है। तमिलनाडु में आयोजित ओलंपियाड में हमारे छत्तीसगढ़ की भी भागीदारी हो रही है। भिलाई के अलंकार भिवगड़े वहां निर्णायक की भूमिका निभाएंगे।
बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय शतरंज महासंघ की पहल पर 22 स्कूलों में शतरंज को बढ़ावा देने का काम शुरू किया गया है। बालोद जिला 'चेस इन स्कूल' पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करने वाला देश का पहला जिला बन गया है। दंतेवाड़ा के आस्था स्कूल में भी शतरंज का प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी स्कूलों में शतरंज खेलने की व्यवस्था हो ताकि बच्चों को बौद्धिक अभ्यास में मदद मिले। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों को शुभकामना देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की नई प्रतिभाएं न सिर्फ किरण अग्रवाल के कीर्तिमान को दोहराएं, बल्कि उससे भी आगे बढ़ें। यहां से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बड़ी संख्या में निकलें और दुनिया में प्रदेश और देश का नाम रोशन करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस आयोजन में भाग ले रहे खिलाड़ियों को देखकर अन्य पालक भी अपने बच्चों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे शतरंज तथा अन्य खेलों में रूचि लें।