लिव इन रिलेशन में रह रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को हाईकोर्ट से मिला न्याय

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Update: 2024-10-20 08:51 GMT

बिलासपुर। शादीशुदा एक व्यक्ति ने सब कुछ छिपाकर एक महिला के लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था। रिलेशनशिप के दौरान एक बेटी का जन्म हुआ। तब तक उसने अपनी शादी, पत्नी और तीन बेटियों की जानकारी को छिपाए रखा। इसी बीच रिलेशनशिप में रहने वाली महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति शराब के नशे में उसके साथ मारपीट करता है। महिला ने कोर्ट में मामला दायर कर अपने और बच्चे के लिए गुजारा भत्ता देने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने महिला के आवेदन को स्वीकार करते हुए गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया। ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनोती देते हुते पति ने हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका पेश की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुते गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

मनेंद्रगढ़ में रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिला के ट्रायल कोर्ट में मामला दायर कर बताया कि वर्ष 2015 में वन विभाग में कार्यरत राजेंद्र से उसकी शादी हुई थी। इससे उनकी बेटी हुई। महिला का आरोप है कि शादी के बाद पति हमेशा शराब के नशे में उसके साथ मारपीट करता था। प्रताड़ना से परेशान होकर उसने थाने में शिकायत की थी। इसी बीच घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत भरण पोषण के लिए कोर्ट में आवेदन लगाया। मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने अगस्त 2024 में महिला के पक्ष में आदेश जारी किया।

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिला को हर महीने 4 हजार और बेटी को हर महीने 2 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। इसके अलावा 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश कोर्ट ने दिया। इस राशि को पांच किस्तों में देने की छूट दी थी।

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