आंगनबाड़ी केंद्रों का हुआ है बुरा हाल, शौचालय भी हो चुके खंडहर

छत्तीसगढ़

Update: 2022-03-19 15:03 GMT

बिलासपुर। जिले की कई पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्रों का बुरा हाल है। दीवारें दरक रही हैं। पीने के पानी और शौचालय तक की सुविधा नहीं है। केंद्र की नई शिक्षा नीति में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं। तखतपुर विकासखंड की भरारी ग्राम पंचायत में आखिरी छोर पर बने आंगनबाड़ी केंद्र के आसपास गहरे गड्ढे हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र की बाउंड्रीवाल नहीं है और शौचालय खंडहर हो चुके हैं। शौच के लिए बच्चों को परेशानी होती है। परिसर में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। प्लास्टिक के डब्बे में पानी लेकर जाते हैं। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन ब्यवस्था को दुरुस्त करने कोई प्रयास नही किया गया। असुविधा के बीच बच्चे पढ़ रहे हैं।
दो साल पहले तत्कालीन सीईओ रितेश अग्रवाल ने जिले के 98 भवन विहीन आंगन बाड़ी केंद्र और 55 जर्जर आंगनबाड़ी भवनों की रिपोर्ट जमा करने निर्देश दिए थे। साथ ही जिले के सभी मुख्यकार्यपालन अधिकारी,कार्यक्रम अधिकारी एवं परियोजना अधिकारी से नवीन आंगनबाड़ी भवन की स्वीकृति की सूची भेज उसका भौतिक सत्यापन कराकर स्वीकृति केलिए प्रकरण तैयार करने के लिए कहा था, पर अभी तक काम पूरा नहीं किया गया।
भवन विहीन आंगन बाड़ी केंद्रों की संख्या इस प्रकार है बिल्हा ब्लाक चार , सरकंडा में 15 सीपत में दो सकरी में आठ तखतपुर में दो कोटा ब्लाक में 11 , मस्तूरी में 12 भवन नही है। जुगाड़ के मकानों में केंद्र संचालित किया जा रहा है। कई सालों से इसी हालत में आंगनबाड़ी संचालित किया जा रहा है। तरह जर्जर भवनों की संख्या तखतपुर में 10 ,बिल्हा में सात सरकंडा में चार और सकरी में दो भवन जर्जर हैं। मरम्मत करवाने के लिए विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। मजबूरी में बच्चे आंगनबाडी केंद्र जाते हैं।

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