अंबेडकर की मरचुरी का फ्रीजर खराब, शव सुरक्षित नहीं...

व्यवस्था दुरूस्त करने स्वास्थ्य विभाग, अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं

Update: 2021-07-17 05:29 GMT

जसेरि रिपोर्टर: रायपुर। प्रदेश के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम सेंटर असुविधाओं से फटा पड़ा है, यहा शवों के साथ भी असंवेदनशीलता दिखाई जाती है। पोस्टमार्टम रूम से लेकर एम्बुलेंस में शव चढाने के बाद तक शव के परिनजों से पैसे लिए जाते है। उसके बाद मेकाहारा के शव परीक्षण के कमरों में लाशों को सुरक्षित रखने वाला फ्रीजर पूरी तरह से खराब हो चुका है। अंबेडकर अस्पताल में रखे फ्रीजर सालों पुराने है जिसकी वजह से मृत शव फ्रीजर में रखे-रखे ही सडऩे लगते है। सूत्रों के मुताबिक रोजाना मेकाहारा में 10 से 12 शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है, हर शव के पीछे वहा के स्टाफ का कमीशन बंधा हुआ होता है। शवों को मेकाहारा में लाने के बाद से ही पैसों का खेल शुरू हो जाता है। इस पर ना ही स्वास्थ्य विभाग और मेकाहारा प्रबंधन का ध्यान है। मेकाहारा के पोस्टमार्टम स्टाफ ही शवों के परिजनों से भारी मात्रा में पैसों की लूट मचाते है।

पोस्टमार्टम को बनाया कमाई का जरिया : मेकाहारा मर्चुरी पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारियों-ठेका मजदूरों के द्वारा मरीजों से अवैध वसूली कर परेशान किया जा रहा है, लाशों का पोस्टमॉर्टम करने के परिजनों से अवैध वसूली की जा रही है। पैसा न देने पर पोस्टमॉर्टम न करने व लाश वापस न करने की धमकी भी दी जाती है। मरच्यूरी के कर्मचारियों द्वारा लाशों का सौदा करना आम बात हो गई है। लाश को गाड़ी से उतारने-चढ़ाने से लेकर चीर-फाड़ आदि के लिए पैसे वसूले जाते हैं। दुखी परिजनों के समक्ष रुपए देने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। मेकाहारा का नाम तो बहुत बड़ा है, मगर दर्शन छोटे है। एक मरीज़ के शव तक को पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारी काली कमाई का जरिया बनाते जा रहे है। आखिरकार पोस्टमार्टम करवाने परिजनों को जाना ही पड़ता है।
मीडिया की सुखिऱ्यों में मेकाहारा : मेकाहारा अस्पताल का नाम आए दिन मीडिया की सुखिऱ्यों में रहता ही है। बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय सुपर स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल मेकाहारा में कोरोना काल के दौरान भी गंभीर लापरवाही सामने आई थी। जिसमें मेकाहारा के कोविड सेंटर के अपशिष्टों के निदान के लिए प्रबंधन द्वारा लगाए गए ठेकाकर्मियों के कार्य में उपस्थित नहीं होने से भारी समस्या उत्पन्न हो गई थी। मेकाहारा अस्पताल में लोग आस लेकर जाते है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉक्टर तथ्यों व शोधों से ही मरीज़ की नई बीमारी का इलाज करते है। यदि डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद और उनका रिश्ता सही है तो मरीज के ठीक होने की दर कई गुना बढ़ जाती है।
शवों को रखने वाला फ्रीजर खराब
मेकाहारा में शवों को रखने वाला फ्रीजर बुरी तरह से खराब हो चुका है, रोजाना मेकाहारा में पूरे जिले से कई तरह के शवों को लाया जाता है। अगर शव अज्ञात हुआ तो उसका पोस्टमार्टम परिजनों की पहचान के बाद ही होगा। लेकिन अगर शव का कोई एक भी परिजन मेकाहारा में आ जाता है तो उसका पोस्टमार्टम कर दिया जाता है। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि मकहर में शव फ्रीजर में रखने योग्य नहीं होते क्योंकि फ्रीजर को समय-समय पर साफ़ नहीं किया जाता है। मेकाहारा में शव को सडऩे से बचाने के लिए फ्रीजर तो है लेकिन उस फ्रीजर में लाशें खराब हो जाती है। मेकाहारा जैसे बड़े अस्पताल में ऐसी अव्यवस्था तो अब आम बात हो गई है।
दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर परिजन
मेकाहारा में इलाज के लिए बाहर से आए मरीज़ों के परिजनों को भी दर दर भटकना पड़ता है। अस्पताल में मरीज़ अपना इलाज के लिए आते है, मगर मरीज़ का इलाज तो नहीं होता मगर उसके परिजनों को जूनियर डॉक्टर इधर उधर भटकाते है। जनता से रिश्ता के संवाददाता ने मेकाहारा जाकर परिजनों से बातचीत की तो मरीज़ के परिजनों ने बताया कि उनके मरीज़ पिछले 3 दिन से अस्पताल में है मगर उन्हें बेड नहीं मिला है। जिसकी वजह से मरीज़ की हालत बेहद नाजुक होती जा रही है। संवाददाता ने परिजनों से पूछा कि कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आते तो परिजनों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की भीड़ लगी रहती है। मगर कोई बड़ा डॉक्टर मरीज़ से बात करने तो क्या देखने भी नहीं आता। इस अस्पताल में लोग एक उम्मीद से आते है कि उनके मरीज़ का इलाज कम रुपयों में हो जायेगा मगर इस अस्पताल के डॉक्टर इसी को हथियार बनाकर परिजनों को घुमाने लगते है।
कफन के कपड़ों का भी होता सौदा
मरने के बाद भी मेकाहारा अस्पताल में लाशों के कफऩ का कपड़ा भी सौदे के काम आता है। किसी भी परिजन से अगर कोई ये पूछे कि उनके मरीज़ का शव कितने रुपयों में कटा तो उनका जवाब यही होता है कि हैसियत देखकर ही शव का पोस्टमार्टम किया जाता है। जिसकी वजह से मर्चुरी विभाग के कर्मचारी और स्टाफ के लोग सीधे-सीधे परिजनों से ही कफऩ का कपडा और भी बहुत सी चीज़ों के लिए पैसों की मांग करते है और परिजनों को शव के अंत्येष्टि की जल्दी होती है करके परिजन पैसे दे देते है। पोस्टमार्टम हाउस में पोस्टमार्टम जल्दी कराने व अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर अवैध वसूली नहीं रुक रही है।
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