गर्मी में बेजुबान पशु-पक्षियों का भी रखें ध्यान, सोशल मीडिया में मार्मिक पोस्ट जमकर हो रही है सराहना
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गरियाबंद। गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग पानी पिला देते हैं तो कुछ लोग भगा भी देते है। इस गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए लोगों को प्रयास करना चाहिए। गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है।
लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आस पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है। सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक सभी के मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें।
जिले में गर्मी बढऩे लगी है। यहां का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पार हो गया है। आने वाले सप्ताह और जेठ में और अधिक गर्मी पडऩे की संभावना है। गर्मी में मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे व पशुओं को तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश होकर गिर पड़ते हैं। गर्मी से बचने के लिए पानी के छिड़काव के साथ कूलर-एसी आदि की व्यवस्था कर ली होगी। मगर बेजुबान जानवर कैसे इस मौसम की मार झेलेंगे? उनके लिए इंतजाम आपको ही तो करने होंगे।
नहीं हैं कोई प्राकृतिक स्रोत
एक दौर था जब शहर में पानी के तमाम प्राकृतिक स्रोत मौजूद थे। मगर आज कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी के प्राकृतिक स्रोत न के बराबर हैं। जो बचे भी हैं उनका पानी पीने योग्य नहीं है। ऐसे में आप तो अपने घर में साफ पानी की व्यवस्था कर लेते हैं मगर जानवरों और पक्षियों को इन्हीं गंदे पानी के स्रोतों से प्यास बुझानी पड़ती है जिससे इनको फायदा कम होता है बल्कि ये बीमार भी हो जाते हैं।
हर साल हो जाती हैं कई मौतें
आपको अगर ऐसा लग रहा है कि पक्षी-जानवर तो अपने लिए पानी का इंतजाम कर ही लेते होंगे, असल में ऐसा है नहीं! एक समय था जब वे सच में अपने लिए पानी की व्यवस्था कर लेते थे, क्योंकि तब उनके लिए पानी के प्राकृतिक स्रोत जैसे नदी, तालाब आदि थे। जो कि अब या तो नष्ट हो चुके सूखते जा रहे हैं या गंदे हो गए हैं। इस बारे में गौरेया संरक्षण अभियान में जुटे गौरव बाजपेयी बताते हैं, 'गर्मी का असर पशुओं के साथ-साथ पक्षियों पर होता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि पक्षी इस मौसम में ज्यादा प्रभावित होते हैं। खाना और पानी की खोज में लगातार धूप में उड़ते रहने से वे कमजोर हो जाते हैं। इसके अलावा पेड़ों की कटाई-छंटाई के कारण कहीं रुककर आराम करने के लिए इनके पास कोई आशियाना भी नहीं होता है। हर साल पक्षियों के गिरने या घायल होने के ढेरों मामले सामने आते हैं। इस सबके चलते हर साल गर्मियों के मौसम में पक्षियों और जानवरों की मौत हो जाती है।
ताकि न भटकें ये बेजुबान
जिस तरह से आपके लिए जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था की गई है ठीक वैसे ही पक्षियों के लिए भी प्याऊ की व्यवस्था करें ताकि उन्हें भी गर्मी में साफ और ठंडा पानी मिल सके। क्योंकि भोजन तो जानवरों को कोई भी खिला देता है लेकिन साफ पानी न मिलने से उन्हें गर्मी में ज्यादा तकलीफ होती है। पानी खत्म होते ही दूसरा पानी और गर्म होते ही ठंडा पानी भरें, ताकि जानवरों को भी शुद्ध और ठंडा पानी मिल सके। तो वहीं पक्षियों के लिए भी शिकारी जानवरों और पक्षियों से सुरक्षित रखते हुए ऐसे स्थान पर दाने की व्यवस्था कर दें। जिससे उन्हें खाने की तलाश में ज्यादा दूर न जाना पड़े।
गिरीश शर्मा कहते है
भीषण गर्मी में बेजुबान पशु पक्षियों के लिए घर से बाहर वह छतों पर मिट्टी के बर्तनों एवं पशुओं के लिए नाद में पानी भरकर छोड़ना गुजरे जमाने की बात हो गई अब जंगली जानवरों वह मवेशियों वह पक्षियों की प्यास बुझाने वाला कोई नजर नहीं आ रहा अब तो भागमभाग जिंदगी में किसे फुर्सत है कि बेजुबानों की प्यास बुझाई इस तपस भरी गर्मी में घर के बाहर छत पर वह बगीचे में अब पशु पक्षी के लिए पानी रखने का प्रथा विलुप्त हो गया है।