आम के साथ खास को भी डसने लगे फर्जी न्यूज पोर्टल

Update: 2021-10-26 05:45 GMT

पत्रकारिता को कलंकित कर रहे फर्जी पत्रकार

रायपुर (जसेरि)। प्रदेश में न्यूज वेब पोर्टल की आड़ में व्लैकमेलिंग और अवैध वसूली की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। अनाधिकृत और कुकुरमुत्ते की तरह उग आए वेब पोर्टलों पर सरकार द्वारा कारगर रोक नहीं लगाने तथा न्यूज पोर्टलों को सरकारी विज्ञापन की सुविधा मिलने से इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। स्वतंत्र पत्रकारिता के नाम पर वेब पोर्टल की आड़ में तथाकथित पत्रकार अवैध उगाही और ब्लैकमेलिंग के जरिए मोटी कमाई का रास्ता ढूंढते हैं। लोग इसे शार्टकट से कमाई का जरिया बनाने लगे हैं। इतना ही नहीं ये फर्जी वेबपोर्टल वाले लोगों की भावनाओं और आत्मसम्मान से भी खिलवाड़ करने लगे हैं। इनके हौसले इतने बुलंद है कि ये अब ये सरकार और उसके नुमाइन्दों को भी नहीं छोड़ रहें हैं। झूठी और फर्जी व तथ्यहीन खबरें चला कर ये सरकार को भी बदनाम करने का दु:साहस करने लगे हैं। ऐसे फर्जी वेबसाइट वाले नाम व पहचान छुपा कर अपने छिपे हुए एजेंडे को पूरा करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। जनता से रिश्ता लगातार फर्जी वेबपोर्टल को लेकर सरकार को आगाह करते आ रहा है लेकिन सरकार की अनदेखी और विज्ञापन के तौर पर मिल रहे प्रत्यक्ष लाभ के चलते ऐसे फर्जी वेपपोर्टल अब अपनी हदें लांघ रहे हैं। सरकार को ऐसे फर्जी वेबपोर्टल पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए तथा इन्हें डोमिन जारी करने वाली एजेंसियों से बिना पता-ठिकाना वाले वेबपोर्टल-वेबसाइट की जानकारी लेकर उनपर कार्रवाई करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में भी लगभग 45 हजार न्यूज पोर्टल और वेबसाइट्स रजिस्टर हैं जिनमें से लगभग 100 न्यूज पोर्टल्स को राज्य सरकार के संबंधित विभाग ने शार्टलिस्ट कर इंम्पेनलिस्ट किया है। जिन्हें सरकारी विज्ञापन की पात्रता मिली हुई है। इनमें से ज्यादा तर किसी भी अखबार की वेबसाइट नहीं है और इनका आरएनआई नहीं है।

न्यूज पोर्टल की आड़ में वसूली-ब्लैकमेलिंग : प्रदेश में भाजपा सरकार से जुड़े और उपकृत अधिकारी-नेताओं ने शार्टकट कमाई का नया रास्ता निकाल लिया है। सरकार में बैठे नेताओं और मंत्रियों के चहेतों के साथ पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के मुंह लगे अधिकारी और नेताओं को विभाग में बैठे अधिकारी सरकार के जनसंपर्क फंड को लुटाने के लिए वेबपोर्टलों के रुप में नया रास्ता दे दिया है। भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी ऊपरी कमाई का जरिया बनाए रखने के लिए नेताओं और अधिकारियों के बेटे-बेटियों को वेबपोर्टल शुरू करने की सलाह देकर पत्रकार बनाकर बिना मेहनत के कम खर्च में लाखों कमाने का जरिया दे दिया है। इनपेनलमेंट कमेटी में शामिल लोगों को भी नहीं मालूम की वेबपोर्टल का आरएनआई में रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। सरकारी विज्ञापन की बाध्यता भी प्रिंट मीडिया की तरह नहीं है। फिर भी मनमर्जी से वेबपोर्टल को धड़ाधड़ लाखों के विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। अखबार में 60-40 के रेसो के साथ प्रसार संख्या के आधार पर विज्ञापन दिया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में उल्टा खेल चल रहा है। प्रदेश में दौड़ रहे अधिकांश वेबपोर्टल आरएनआई में न रजिस्टर्ड है और न ही गूगल एनालेस्टिक में उनकी गुणवत्ता क्राइटेरिया में है, फिर भी पोर्टलवालों को सरकार में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों का एक वर्ग लाभ पहुंचा रहे है। परिणाम प्रदेश में कुकुरमुत्ते की तरह वेबपोर्टल मोबाइल पर चल रहे है। जिसे देखिए वही मार्केट में कम्प्यूटर आईटी इंजीनियरों और साफ्टवेयर का काम करने वालों से 5 से 15 हजार में वेबपोर्टल बनाकर सरकार से हर महीने 50 से एक लाख तक विज्ञापन लेकर सरकारी धन डकार रहे है।

एक नाम पर 40-50 डोमिन : न्यूज पोर्टल की प्रदेश में ऐसी दुकानदारी चल रही है कि लोगों ने इससे लाभ कमाने के एक नाम पर ही कई-कई डोमिन रजिस्टर करा ली है। इसमें से कुछ संचालन स्वयं कर रहें बाकि को दूसरे लोगंों के माध्यम से संचालित करवा रहे हैं ताकि सरकार से ज्यादा विज्ञापन और अधिकारियों-ठेकेदारों से भी ज्यादा वसूली की जा सके। इस तरह के न्यूज पोर्टल संचालित करने वालों में ज्यादातर राजनीतिक दलों, सरकार और संबंधित विभाग के अधिकारियों के नजदीकी और उनसे जुड़े हुए लोग शामिल हैं। इतना ही नहीं कई अवैध गतिविधियों और कारोबारों लिप्त लोगों के साथ उद्योगपति और रियल स्टेट से जुड़े लोग भी न्यूज पोर्टल संचालित कर रहे हैं।

पत्रकारों की प्रतिष्ठा हो रही धूमिल : न्यूज पोर्टल के लिए किसी तरह की पात्रता या अनिवार्यता से संबंधित मापदंड नहीं होने से अखबार की तरह ही कोई भी व्यक्ति एक वेबसाइट बनाकर न्यूज पोर्टल संचालित कर लेता है। अखबारों-चैनलों से जुड़े पत्रकारों के साथ स्वतंत्र पत्राकारिता करने वाले इसे अपना माध्यम तो बना ही रहे हैं। बड़े उद्योगपति, बिल्डर, कारोबारियों के अलावा छुटभैय्ये नेता और अपराध से जुड़े लोग भी न्यूजपोर्टल चला रहे हैं। जेल में बंद अपराधी भी अपने परिजनों-गुर्गो के सहयोग से न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। न्यूज पोर्टलों की बाढ़ से आम पत्रकारों की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है। न्यूज पोर्टल चलाने वाले तथाकथित पत्रकार वास्तविक पत्रकारों को भी नहीं बख्शते और पांच-दस हजार में पत्रकार तैयार करने की बात कहकर मजाक भी उड़ाते हैं। ऐसे न्यूज पोर्टलों को सरकार और उसके संबंधित विभाग भी उपकृत कर रहा है जिससे ऐसे पचासों न्यूज पोर्टल रोज पैदा हो रहे हैं। 

99 रुपए में डोमिन में रजिस्टर हो रहे डोमिन

कई ऐसी एजेंसियां हैं जो बहुत ही कम शुल्क पर डोमिन रजिस्टर कर रहे हैं। बिग रॉक और गो डैडी जैसी एजेंसियां मात्र 99 रुपए में डोमिन रजिस्टर कर रही हैं। इसका कई लोग गलत फायदा उठा रहे हैं। किसी छवि खराब करने या किसी से दुश्मनी अथवा ब्लैकमेलिंग के उद्देश्य से भी लोग डोमिन रजिस्टर कर वेबपोर्टल बनवा लेते हैं। ऐसे लोग वेबपोर्टल पर किसी की भी छवि धूमिल करने वाली खबर, फोटो या अन्य कंटेंट प्रसारित कर अपना वेबपोर्टल बंद कर लें तो सरकार और पुलिस क्या करेगी। ऐसे में यह जरूरी है कि डोमिन प्रोवाइड करने वाली एजेंसियों के लिए हर डोमिन और उसे रजिस्टर कराने वालों की पूरी जानकारी सरकार और जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए। ताकि हर वेबपोर्टल-वेबसाइट संचालकों की जानकारी सरकार के पास पहुंच सके।

कांग्रेस विधायकों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी, न्यूज पोर्टल के मालिक समेत 2 आरोपी गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सिविल लाइन थाना क्षेत्र का मामला है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आऱोपियों में मधुकर दुबे और अवनीश पलिवार को गिरफ्तार किया गया है। मधुकर दुबे की पत्नी अर्चना दुबे को भी पूछताछ के लिए पुलिस थाने लेकर आई थी। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 189, 384, 504, 505 (1) (क्च) और 506 के तहत कार्रवाई की गई है। सिविल थाने में आऱोपियों के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि कल सोशल मीडिया पर कांग्रेस विधायकों और नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर कांग्रेसी विधायक थाने पहुंचे थे। सिविल लाइन थाने में कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह समेत कई कांग्रेसी नेता शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। विधायक बृहस्पति सिंह ने कहा था कि करीब 8:00 बजे के आसपास सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के 54 विधायकों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की जा रही है। अपमानजनक शब्दों के साथ स्टिंग ऑपरेशन चलाने की बात की जा रही है। उस मैसेज में मुख्यमंत्री समेत सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रचा गया है। इसके बाद कार्रवाई की गई है।

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