सरकारी अस्पताल के लिए मिली उपकरणों-दवाओं का निजी हॉस्पिटल में इस्तेमाल का आरोप
हमर अस्पताल के इंचार्ज का खुद का हॉस्पिटल
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में गरीब और निचले तबके के लोगों को सुलभ स्वास्थ्य मिले इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जगह हमर अस्पताल का निर्माण किया गया है। मगर भाठागांव के हमर अस्पताल में अव्यवस्था पूरी तरह से फ़ैल गई है। मरीज़ों की लाइन लगने वाले इस अस्पताल में एक भी पुरुष डॉक्टर नहीं है। बल्कि सिर्फ 2 महिला डॉक्टर है जिनकी ड्यूटी 6-6 घंटे की होती है। इस मामले में जानकारी देते हुए अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि इंचार्ज किशोर सिन्हा का अपना एक निजी अस्पताल है जहां वो दिन भर समय देते है और हमर अस्पताल में सिर्फ नाममात्र के लिए ही आते है। अस्पताल स्टाफ का कहना है कि उनका इंचार्ज महिला स्टाफ से गाली-गलौज से बातचीत करते है जिससे स्टाफ को मानसिक परेशानियों से काम करना पड़ता है।
इंचार्ज पर लगे कालाबाज़ारी के आरोप : सूत्रों के मुताबिक भाठागांव के हमर अस्पताल के इंचार्ज द्वारा इंजेक्शन की कालाबाज़ारी भी की गई है। हमर अस्पताल के स्टाफ ने नाम ना छपने की शर्त पर बताया कि उनके इंचार्ज किशोर सिन्हा का खुद का निजी अस्पताल है जिसमें उन्होंने कोरोना से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी कालाबाज़ारी की थी आगे बताया कि हमर अस्पताल को खुले एक साल हो ही गए है जब कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हुई थी तब से हमर अस्पताल से इंचार्ज रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी करते आ रहे थे। रोजाना हमर अस्पताल के नाम पर जो रेमडेसिविर इंजेक्शन आते थे उसे अपने निजी अस्पताल भेजा जाता था। वहां से इंजेक्शन कितने रुपयों में मरीज़ों को लगाया जाता था ये अस्पताल के इंचार्ज ही जानते है।
अस्पताल में मरीज़ों की होती भीड़ : भाठागांव हमर अस्पताल में सुबह से मरीज़ों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है।
अस्पताल में मरीज़ आते है, और डॉक्टर उनका इलाज भी करते है मगर किस मरीज़ को कौन सी दवाई देना है वो डॉक्टर का काम है किसी दवाई का स्टॉक खत्म हो जाए तो उसे मंगवाने की जिम्मेदारी इंचार्ज की होती है। इस अस्पताल में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता है। इंचार्ज की ड्यूटी 24 घंटे की है लेकिन वह सिर्फ 3 घंटे ही अस्पताल में मौजूद रहते है, ऐसे में अस्पताल की जरूरतों की पूर्ति कैसे होगी और दवा कैसे आएगी?
हमर अस्पताल में एम्बुलेंस हो रहे कबाड़
राजधानी के भाठागांव स्थित हमर अस्पताल में 108 संजीवनी एम्बूलेंस कबाड़ होते खड़ी हैं। कोरोना काल में बड़ी संख्या में संक्रमितों को कोविड सेंटर और अस्पताल पहुंचाने में एम्बूलेंस की बड़ी भूमिका रही है। लोगों को कई बार एम्बूलेंस के अभाव में दिगर वाहनों से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा है। वहीं विभागीय उदासीनता के चलते बड़ी संख्या में एम्बूलेंस मरम्मत के अभाव में कबाड़ हो रही हैं।
इंचार्ज का खुद का निजी अस्पताल
इंचार्ज निगम का डॉक्टर है लेकिन उसने खुद का निजी अस्पताल भी खोल रखा है। मरीज़ों को अपने निजी अस्पताल भेज देता है। मरीज़ हमर अस्पताल अपना इलाज करवाने जाते है मगर इंचार्ज उन्हें अपने निजी अस्पताल भेजने में लगा होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंचार्ज सिर्फ अकेला पुरुष डॉक्टर है जो किसी भी पुरुष मरीज़ को अपने निजी अस्पताल में जाने के लिए ही सुझाव देते है। मरीज़ रोजाना लाइन लगकर अस्पताल में इलाज करवाने आते है लेकिन कोई वरिष्ठ डॉक्टर की उपस्थिति नहीं होने की वजह से लोगो का इलाज सहायक डॉक्टरों को करना पड़ता है।
कोरोना के 236 नए केस मिले, राजधानी में 5 नए कंटेनमेंट जोन
रायपुर। प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 236 नए केस मिले हैं, जिनमें रायपुर के 17 केस भी शामिल हैं। 3 मौत भी दर्ज हुई है। रविवार को रायपुर और दुर्ग में सवा सौ से अधिक केस मिलने के बाद हेल्थ विभाग ने दोनों जिलों को खास सावधानी रखने के लिए अलर्ट किया है। दोनों ही जिलों मेंं जांच के अनुपात में एक प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी रेट दर्ज हुआ है। रायपुर दुर्ग को एक बार फिर जांच का पैमाना 5 हजार टेस्ट प्रतिदिन करने के लिए कहा गया है। प्रदेश में इसके पहले जांजगीर चांपा, बस्त, बीजापुर और सुकमा में अधिक केस निकल रहे थे। स्वास्थ्य विभाग के मीडिया इंचार्ज और एपिडेमिक कंट्रोल डायरेक्टर डॉ. सुभाष मिश्रा के मुताबिक जांच का दायरा बढ़ाने के साथ कांटेक्ट ट्रेसिंग का निर्देश भी जारी किया गया है। हर पॉजिटिव के कम से कम 10 संपर्क की कोरोना जांच अनिवार्य कर दी गई है। रायपुर में एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर डेढ़ सौ के पार पहुंच गयी है़। राजधानी में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले महीने जुलाई के तीन हफ्ते में कम मरीज मिल रहे थे। जुलाई के आखिरी हफ्ते से अभी तक हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
पिछले महीने केवल दो कंटेनमेंट जोन बने थे, लेकिन अभी अगस्त की शुरुआत में ही आठ कंटेनमेंट जोन बन गए हैं। केंद्रीय गाइडलाइन के अनुसार ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी घर में 2 कोरोना मरीज मिलने पर भी उसे माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा रहा है। अभी तक किसी भी मोहल्ले में पांच से ज्यादा मरीज मिलने पर कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे थे, बाद में इसकी संख्या 10 से 15 हो गई। कलेक्टर ने कंटेनमेंट जोन में व्यवस्था बनाने के लिए जोन वाइज अफसरों की तैनाती कर दी है।
यहां बने नए कंटेनमेंट जोन
सोमवार को रमन मंदिर वार्ड मार्ग फाफाडीह, कुकुरबेड़ा, खमतराई, आमानाका, बसंत विहार कॉॅलोनी खमतराई में कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। इन सभी जगहों पर दो से ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं। इनमें से कुछ जगहों पर कोरोना मरीजों की संख्या 5 से भी ज्यादा है। अफसरों का कहना है कि नई गाइडलाइन के अनुसार किसी घर में भी दो से ज्यादा कोरोना मरीज मिलेंगे तो उस घर कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है। यानी उस घर के लोग मेडिकल इमरजेंसी के अलावा किसी दूसरे काम से घर से बाहर नहीं निकल सकेंगे।