उत्पाती हाथियों के आने से पहले ग्रामीणों के पास आएगा अलर्ट

छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों का उत्पात ग्रामीणों की सुखमय जीवन में सबसे बड़ी चुनौती है।

Update: 2023-06-08 06:04 GMT

DEMO PIC 

रायपुर: छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों का उत्पात ग्रामीणों की सुखमय जीवन में सबसे बड़ी चुनौती है। मगर तकनीक इन ग्रामीणों की जिंदगी को आसान बनाने का सहारा बन रही है। अब तो ग्रामीणों को हाथियों के दल की सूचना तब मिल जाती है जब उत्पाती हाथी उनसे 10 किलो मीटर दूर होते हैं। राज्य में सूरजपुर, रायगढ़, कोरबा, सरगुजा, महासमुंद, गरियाबंद, बालोद, कांकेर और धमतरी वे जिले है जहां जंगली हाथियों का उत्पात हुआ करता है। हाथियों का झुंड जहां खेतों की फसलों को नुकसान पहुंचा जाता है, वहीं मकानों को भी जमींदोज कर देता है। ऐसी स्थिति से कैसे निपटा जाए इसके अरसे से प्रयास हो रहे हैं।
इसी क्रम में मूवमेंट की हाईटेक मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है। इसके लिए 'छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप' विकसित किया गया है। इस ऐप का उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में उपयोग किया जा रहा है। 10 किलोमीटर के इलाके में हाथियों के रियल टाईम मूवमेंट का अलर्ट ग्रामीणों के मोबाइल पर भेजा रहा है। इस ऐप में ग्रामीणों के मोबाइल नंबर और जीपीएस लोकेशन का पंजीयन किया जाता है। जब एलीफैंट ट्रैकर्स द्वारा हाथियों के मूवमेंट का इनपुट ऐप पर दर्ज किया जाता है, तो ऐप द्वारा स्वचालित रूप से ग्रामीणों के मोबाइल पर अलर्ट जाता है।
बताया गया है कि छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित इलाकों में ग्रामीणों को सतर्क करने के लिए वन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफएमआईएस) और वन्यजीव विंग द्वारा संयुक्त रूप से इस ऐप को विकसित किया गया है। यह एप एलीफैंट ट्रैकर्स (हाथी मित्र दल) से प्राप्त इनपुट के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करता है। इस ऐप का उद्देश्य हाथी ट्रैकर्स द्वारा की जाने वाली 'मुनादी' के अलावा प्रभावित गांव के प्रत्येक व्यक्ति को मोबाइल पर कॉल, एसएमएस, व्हाट्सएप अलर्ट भेजकर हाथियों की उपस्थिति के बारे में सूचना पहुंचाना है।
वर्तमान में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (गरियाबंद, धमतरी) के लगभग 400 ग्रामीणों को इस अलर्ट सिस्टम में पंजीकृत किया गया है और पिछले तीन महीनों से यह काम कर रहा है। ऐप को वन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफएमआईएस) और वन्यजीव विंग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
हाथी प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों के मोबाइल नंबर और जीपीएस लोकेशन को अलर्ट और ट्रैकिंग ऐप पर पंजीकृत किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जब भी हाथी ग्रामीणों से 10 किलोमीटर के करीब होगा, तो उन्हे अलर्ट मिल जाएगा। ग्रामीणों को ऐप इंस्टॉल करने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें बस अपने मोबाइल नंबरों को संबंधित बीट गार्डस या रेंज कार्यालय के माध्यम से जीपीएस लोकेशन के साथ पंजीकृत करना होगा।
बताया गया है कि इस ऐप का केवल हाथी ही नहीं, अन्य मांसाहारी, सवार्हारी जानवर (तेंदुआ, सुस्त भालू), मैना, जंगली भैंसों की उपस्थिति का भी अलर्ट भेजने, अनुसंधान हेतु, आवास विकास, आवश्यकता के अनुसार योजना बनाने, ट्रैक करने में उपयोग किया जा सकता है।
Tags:    

Similar News

-->