पिछले 18 वर्षों से अनवरत हो रही है अखंड रामायण

छग

Update: 2023-04-03 15:00 GMT
अंबिकापुर। बतौली से 10 किलोमीटर अंबिकापुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग तिरालिस में सड़क से 2 किलोमीटर की दूरी पर भीमसेन मंदिर स्थापित है। यह मंदिर स्वयं प्रकट हनुमान जी का मंदिर है।जिसे उदासीन अखाड़ा के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।उदासीन भीमसेन हनुमान मंदिर लमगांव में पिछले 18 वर्षों से अनवरत अखंड रामायण पाठ चल रहा है।इस अखण्ड रामायण पाठ के लिए 4 पाठक नियुक्ति किये गए हैं जो अपने समय के अनुसार बिना किसी अवरोध,रुकावट के रामायण पाठ कर रहे हैं। इस अखंड पाठ को चलाने के लिए एक समिति बनाई गई है जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन सदस्य हैं।और वे प्रतिमाह हजार हजार रुपए इकट्ठा करके रामायण पाठ करने वाले 4 पाठकों को जो पुजारी का भी काम करते हैं उन्हें वेतन और भोजन दवा के रूप में देते हैं। उनकी आवश्यक जरूरतों को पूरी करते हैं।
Delete Edit
गौरतलब है कि उदासीन अखाड़ा के संत त्रिवेणी दास जी स्वयं प्रगट हनुमान मंदिर के संस्थापक थे। उनके निर्वाण के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में बाबा शंकर दास ने कई वर्षों तक मंदिर का सफल संचालन किया।बाबा शंकर दास के निर्वाण प्राप्त करने के बाद एक समिति का गठन किया गया,जिसकी देखरेख में मंदिर संचालन का कार्य हो रहा है।उदासीन आश्रम और उदासीन अखाड़ा से संबंधित होने के कारण हनुमान मंदिर का नाम उदासीन भीमसेन हनुमान मंदिर पड़ा।
हनुमान मंदिर के प्रांगण में ही भव्य श्री राम जानकी मंदिर स्थापित है जिसमे कांच के बारीक काम किया गया है। भव्य शिव मंदिर बनाने का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। वही बाबा शंकर दास की समाधि स्थल पर मंदिर का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। हनुमान मंदिर के समिति के अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अखण्ड रामायण पाठ श्रीकांत तिवारी, रमाकांत तिवारी, महेश चौबे और पदम साय रामायण पाठक हैं, जिन्हें समिति के द्वारा प्रत्येक माह ₹5000 का मानदेय दिया जाता है,और इनके भोजन और अन्य आवश्यक जरूरतों की पूर्ति की जाती है।
इनकी मानदेय के लिए 15 सदस्यों की एक समिति गठित की गई है जिनके द्वारा प्रत्येक माह हजार हजार रुपए इकट्ठे किए जाते हैं और जो राशि कम पड़ती है वह मंदिर में आये चढ़ावा से वह राशि पूर्ति की जाती है। जागेश्वर गुप्ता ने बताया कि इस समिति में उपाध्यक्ष सतीश जायसवाल, कोषाध्यक्ष चक्रवर्ती गुप्ता, सचिव रामविचार यादव और त्रिभुवन सिंह है।इनके अलावा अन्य सदस्य हैं जो सुचारू रूप से मंदिर का देखभाल कर रहे हैं,और विकास कार्यों में सहयोग दे रहे हैं। शासन के सहयोग से यहाँ संत निवास का निर्माण किया गया है जिसमें एक बार में 35 से 40 साधु यहाँ रह सकते हैं।
हनुमान जयंती के लिए उदासीन अखाड़ा और आश्रम के पूरे भारतवर्ष के साधू संत इकट्ठे होते हैं। 6 अप्रैल को होने वाले हनुमान जयंती में शामिल होने के लिए 40 साधु का दल यहां पर आ चुका है। हनुमान जयंती के दिन पूजा पाठ के अलावा विशाल भंडारा का आयोजन किया जाता है। जिसमें विभिन्न स्थानों के हज़ारो श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं।और पूजा के पश्चात भंडारा प्राप्त करते है।।
Tags:    

Similar News

-->