कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने फसल बीमा सप्ताह का किया शुभारंभ

Update: 2022-07-01 11:14 GMT

रायपुर। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने आज प्रदेश- व्यापी फसल बीमा जागरूकता सप्ताह की शुरुआत की। रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित एक संक्षिप्त एवं गरिमामय में कार्यक्रम में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये रथ ग्रामीण अंचल में 15 जुलाई तक भ्रमण कर किसानों को फसल बीमा के प्रावधानों की जानकारी और फसल बीमा कराने के लिए प्रेरित करेगें ।

देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में फसल बीमा सप्ताह के तहत आज राज्य के सभी जिला मुख्यालयों से भी प्रचार-प्रसार रथ रवाना किए गए, जो 15 जुलाई तक पूरे राज्य में भ्रमण कर किसानों को फसल बीमा कराने के लिए जागरूक करेंगे। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसान धान सिंचित एवं असिंचित ,अरहर, मूंग, उड़द, मक्का एवं उद्यानिकी फसलों का बीमा 15 जुलाई तक करा सकेंगे।

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस अवसर पर कहा कि राज्य में खेती- किसानी को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाना छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों एवं योजनाओं को देश भर में सराहा जा रहा है। छत्तीसगढ़ की पहचान कृषि मॉडल राज्य के रूप में होने लगी है। मंत्री श्री चौबे ने कहा कि किसानों को मदद पहुंचाने उन्हें उनका हक दिलाने के मामले में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य है।छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने अपने किसानों को सबसे पहले रबी सीजन 2021-22 की फसल बीमा दावा राशि का भुगतान किया है। खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही हमने डेढ़ लाख से ज्यादा किसानों को उनके द्वारा दी गई प्रीमियम राशि मात्र 15 करोड़ 96 लाख रुपए के एवज में 304 करोड़ 38 लाख रुपए के क्लेम राशि का भुगतान किया है। खरीफ सीजन 2021में राज्य के 4 लाख से अधिक किसानों द्वारा दी गयी किसान प्रीमियम राशि 157 करोड़ 65 लाख रुपए के एवज में 758 करोड़ 43लाख रुपए का भुगतान किया गया है ।

यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को फसल बीमा प्रीमियम की मात्र डेढ़ प्रतिशत राशि अदा करनी होती है ,जबकि मौसम आधारित उद्यानिकी फसलों के बीमा प्रीमियम राशि में किसानों को मात्र 5 प्रतिशत अंशदान करना होता है. 

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