एम.एल पाण्डेय के हटने के बाद अब पंकज वर्मा को हटाया गया, जनता से रिश्ता की खबर का असर
पंकज वर्मा को समाज कल्याण विभाग से हटाया गया.
मूल छत्तीसगढिय़ा कर्मचारियों के हक में डाल रहे डाका बाहरी कर्मचारी
सभी विभागों के कर्मचारियों की सर्टीफिकेट की जांच हो
रायपुर। राजधानी के पुरानी बस्ती थाना इलाके में एक बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है जिसमें नौकरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने के मामले में पुलिस ने समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक पंकज वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना के आधार पर पुरानी बस्ती पुलिस ने उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद 420, 468, 471 के तहत अपराध दर्ज किया था। इस मामलें को लेकर जनता से रिश्ता ने प्रमुखता से अपने समाचार पत्र और वेबसाइट jantaserishta.com में कई तरह के खुलासों के साथ ख़बरें प्रकाशित की थी आज इन सभी ख़बरों का असर हुआ है और राज्य सरकार ने इस मामलें को संज्ञान में लेते हुए पंकज वर्मा को उनसे पद से तत्काल हटा दिया और उनके स्थान पर भूपेंद्र पांडेय को उनके पद पर उप संचालक बनाया है।
मामला पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र का
राजधानी के पुरानी बस्ती थाना इलाके में एक बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था जिसमें नौकरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने के मामले में पुलिस ने समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक पंकज वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना के आधार पर पुरानी बस्ती पुलिस ने उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद 420, 468, 471 के तहत अपराध दर्ज किया था। जिसके बाद मामलें में पुलिस ने खानापूर्ति कार्रवाई करते हुए थाने से ही मामलें को ख़ारिज कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक पुरानी बस्ती थाना पुलिस ने ना तो इस मामलें में कोई भौतिक सत्यापन किया और ना ही इलाहाबाद जाकर आरोपी के खिलाफ लगाए गए गंभीर अपराधों की पुष्टि की और बिना किसी भौतिक जांच के मामलें को ख़ारिज करने के नतीजे पर पहुंच गए अब मामलें के जांच से जुड़े बड़े कई सवाल है जिसके चलते पुलिस को न्यायालय में कई बड़े-बड़े जवाब देने होंगे। आपको बता दें कि थाना प्रभारी ने इस मामलें में न्यायालय के आदेश के बाद ही अपराध दर्ज किया था। पुलिस के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के ज्वाइंट डॉयरेक्टर पंकज कुमार वर्मा ने अपनी नौकरी ज्वाइनिंग के लिए इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड रूरल टेक्नोलॉजी इलाहाबाद का तीन वर्षीया फिजियोथैरेपी डिप्लोमा का सर्टिफिकेट लगाया था। इस आधार पर उन्हें विभाग में नौकरी मिल गई। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत खुलासा हुआ कि उन्होंने केवल दो साल तक इसकी पढ़ाई की थी। कोर्स पूरा नहीं किया था, जबकि छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग में उन्होंने तीन साल पूरा होने का सर्टिफिकेट लगाया था। उन्होंने फिजियोथैरेपी का फर्जी डिप्लोमा सर्टिफिकेट लगाया था। इसका खुलासा होने पर थाने में शिकायत की गई। कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय में परिवाद दायर किया गया। सुनवाई के बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट समीर कुजूर ने ज्वाइंट डॉयरेक्टर वर्मा के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश दिया।
छत्तीसगढ़ में सैकड़ों कर्मचारी फर्जी दस्तावेज से नौकरी कर रहे
छत्तीसगढ़ में फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल करने वाले कर्मचारियों की फेहरिस्त काफी लंबी है और ऐसे अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ मंत्रालय सहित अलग-अलग विभागों में पुख्ता दस्तावेजों के साथ सैकड़ों शिकायतें भी हुई हैं लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी धृतराष्ट बने कुंभकर्णी की नींद में सोए हुए है। ऐसे फर्जी कर्मचारियों को बचाने में ये तनखाहखोर भी कोई कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही कारण है कि चाहे जाति प्रमाण पत्र का मामला हो या फर्जी दस्तावेजों के मामले का सार्वजनिक खुलासा होने के बाद भी इन फर्जियो पर कोई कार्रवाई नही हो रही है। अब ऐसे भ्रष्टाचार के मामले कोर्ट की शरण में पहुंच रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सभी विभागों में पदस्थ अधिकारी -कर्मचारियों सर्टिफिकेट की गहन जांच हो।
समाज कल्याण की जगह स्व कल्याण
समाज कल्याण विभाग के कारनामे अजीबो-गरीब मामला है। यह समाज कल्याण की जगह स्व कल्याण पर टिका हुआ है। फर्जी अंक सूची से फार्मासिस्ट के पद पर रहते हुए लगातार आउट आफ टर्न प्रमोशन लेते हुए अपर संचालक बनकर एक हजार करोड़ का घोटाले को अंजाम दिया।
समाज कल्याण के तथा कथित प्रमोशन देने वाले अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए ताकि मामले का खुलासा हो सके। बाहरी मूल के मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी गैर छत्तीगढिय़ा वाद को बढ़ावा देकर छत्तीसगढिय़ों की हक में डाका डाल कर गैर छत्तीगढिय़ों को प्रमोशन देकर समाज कल्याण विभाग में वषों से पदस्थ फार्मासिस्टों को पूरे सेवाकाल के दौरान एक भी प्रमोशन नहीं मिला और गैर छत्तीसगढिय़ों को प्रमोशन देकर हजारों करोड़ का घोटाला करने में भागीदारी निभाते रहे। तथाकथित समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पंकज कुमार वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश रायपुर कोर्ट ने दिए थे। यह जानकारी वकील बी एल सोनी ने दी है। पंकज कुमार वर्मा फर्जी अंक सूची के आधार पर नौकरी कर रहा था। जिसकी शिकायत रायपुर एसएसपी से भी हुई थी। लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर मामला कोर्ट चला गया।
एक हजार करोड़ के घोटाले के आरोप भी
पंकज कुमार वर्मा पर 1 हजार करोड़ के घोटाले के भी आरोप लगे है। जिसकी जांच जारी है। फर्जी सर्टिफिकेट से मंत्रालय में सैकड़ों मामले मंत्रालय में अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर विभाजित छत्तीसगढ़ में हजारों की संख्या में बाहरी मूल के अधिकारी अपने लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट से बड़े -बड़े पदों पर भर्ती कर चुके है।
सरकार ने 2018 से पहले भाजपा शासन में फर्जी सर्टिफिकेट से नोकरी करने वालों की जांच हुई जिसमें 400 से अधिकारी कर्मचारी फर्जी जाति सर्टिफिकेट, फर्जी अंक सूची के पाए गए जिन पर कुछ पर कार्रवाई हुई है और कुछ के मामले कोर्ट में लबित है। जिन्हें बाहर के अधिकारी बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते रहे हैं। कुछ को बचा भी लिए हैं।
जांच में हुआ खुलासा
पंकज कुमार वर्मा की शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की गई। थाना पुरानी बस्ती द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड रूरल टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश से पत्राचार किया गया परन्तु उक्त संस्था द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। अब कोर्ट के आदेश पर धारा 420, 468 , 471 के तहत पुरानी बस्ती पुलिस ने कार्रवाई की जिसे प्रशासन ने सज्ञान में लेकर उन्हें पद से हटा दिया।