डेढ़ साल बाद मां दंतेश्वरी मंदिर का मुख्य पट भक्तों के लिए खोला गया, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
दंतेवाड़ा जिले में कोरोना पॉजिटिव का ग्राफ अब गिरता जा रहा है। इधर शनिवार से गुप्त नवरात्र भी शुरू हो गया है। जिसे देखते हुए प्रशासन ने बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर का मुख्य पट भी अब भक्तों के लिए खोल दिया है। गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को प्रशासन व टेम्पल कमेटी ने पूरे मंदिर परिसर में सेनिटाइजर का छिड़काव कर मंदिर में भक्तों के प्रवेश की अनुमति दे दी है।
मंदिर खुलते ही भक्तों का लगा तांता
बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर का पट भक्तों के लिए खुलने की जैसे ही खबर इलाके के लोगों को लगी तो मंदिर में सुबह से ही लोगों की भीड़ देखने को मिली। पूरे डेढ़ साल के बाद भक्तों से माता रानी का दरबार रविवार को गुलजार हुआ। गुप्त नवरात्र को देखते हुए श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा देखने को मिली। इधर जगदलपुर, सुकमा व बीजापुर से भी श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने पहुंचे। सुकमा के राजू व जगदलपुर के सूरज ने बताया की मां दंतेश्वरी के प्रति हमारी बहुत आस्था है। पिछले डेढ़ सालों से हम मंदिर का मुख्य द्वार खुलने का इंतजार कर रहे थे। आज जैसे ही द्वारा खुलने की खबर लगी हम फौरन दर्शन करने पहुंच गए।
इन नियमों का पालन करना अनिवार्य
भक्त मास्क पहन कर ही मंदिर में प्रदेश करें, नहीं पहनने पर नहीं मिलेगी एंट्री।
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य।
मंदिर की मूर्तियों व घंटियों को छूना मना।
मंदिर में बैठे मेडिकल स्टाफ द्वारा थर्मल स्कैनिंग करवाना अनिवार्य।
हाथों को सेनिटाइज कर ही मंदिर में प्रवेश करने की है अनुमति।
800 सालों में पहली बार नवरात्र में भी बंद था आराध्य देवी का मंदिर
मंदिर के प्रमुख पुजारी हरेंद्रनाथ जिया के अनुसार 800 सालों में ऐसा पहली बार हुआ कि 1 शारदीय व 2 चैत्र नवरात्र में भी मंदिर भक्तों के लिए बंद था। प्रति वर्ष नवरात्र में मां दंतेश्वरी के मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन पिछले डेढ़ सालों में कोरोना की वजह से 3 नवरात्र में मंदिर का पट भक्तों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। हालांकि भक्त मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही मत्था टेक, प्रसाद चढ़ा चले जाते थे। सुबह व शाम के वक्त मन्दिर के पुजारी व सेवादार कोरोना के नियमों का पालन करते हुए मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना करते थे।