सारंगढ़ बिलाईगढ़। पशुपालकों को भीषण गर्मी में पशुओं को धूप में रस्सी से बांधने से बचना चाहिए। किसी कारणवश धूप में बिना चारा पानी के बांधकर भूल जाने से अप्रिय स्थिति निर्मित हो सकती है। संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छत्तीसगढ़ ने सभी जिलों के प्रभारी पशु चिकित्सा अधिकारियों को पशुधन के ग्रीष्मकालीन प्रबंधन पर निर्देश सहित पत्र जारी किया है। जारी निर्देश अनुसार पशु गृह में हवा का मुक्त आवागमन सुनिश्चित कर पशुओं को सीधी को धूप से बचने के लिए पशुशाला के मुख्य द्वार पर खस या जूट की बोरियों के पर्दे लगाने चाहिए। पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए पशु शाला में पंखे, कूलर और स्प्रिंकलर सिस्टम लगाये जा सकते हैं। यह दुधारू पशुओं के लिए उपयुक्त है। पशु शाला में पर्याप्त स्वच्छ पेयजल हमेशा उपलब्ध हो और यह पेयजल छांव में होना चाहिए। पानी और पानी के कुंड को हमेशा साफ रखें। पानी के कुंड की नियमित रूप से चुने से सफाई करनी चाहिए। पशुओं में लू लगने पर पशु चिकित्सक से परामर्श लें।
पशु आहार खिलाने में सावधानी
पशुओं को कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे आटा, रोटी, चावल आदि नही खिलाएं। संतुलित आहार के लिए अनाज और चारे का अनुपात 40 : 60 रखें। गर्मियों के दौरान उगाई जाने वाली ज्वार में जहरीले पदार्थ हो सकते हैं, जो जानवरों के लिए हानिकारक हो सकते हैं इसलिए वर्षा के अभाव में ज्वार की फसल को पशुओं को खिलाने से पहले दो-तीन बार सिंचाई करना आवश्यक है।
मौसमी बीमारी की रोकथाम हेतु पशुओं को टीका लगवाएं
पशुओं में बरसात के मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु गर्मी में एचएस, एफएमडी, बीक्यू आदि के टीके लगवाने चाहिए।
अधिकारियो को निर्देश
पत्र में अधिकारियो को निर्देश दिया गया है कि पशु शाला के खुले क्षेत्र के आसपास छायादार पेड़ लगाए, जो तापमान को कम करने में सहायक होते हैं। अपने क्षेत्र में चारे की पर्याप्त व्यवस्था और उपलब्धता तथा पशुओ हेतु पेयजल की उपलब्धता स्थानीय निकाय से समन्वय बनाकर सुनिश्चित करें। जिले के सभी पशु चिकित्सा संस्थानों में जीवन रक्षक औषधि का भंडारण सुनिश्चित करें।
उल्लेखनीय है कि जारी पत्र में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड और छत्तीसगढ़ शासन राजस्व विभाग का प्रबंधन के पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें पशुओं को ग्रीष्मकालीन अवधि में बचाव हेतु आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देश दिया गया है।