छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति पर केंद्रित तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी का होगा आयोजन
छग
Raipur. रायपुर। ’छत्तीसगढ़ जनजातीय अद्भूत एवं विविध संस्कृति’ पर केंद्रित तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी का आयोजन विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग द्वारा 9 से 11 अगस्त 2024 तक कलावीथिका महंत घासीदास संग्राहालय रायपुर में किया जा रहा है। फोटोप्रदर्शनी का शुभारंभ विशिष्ट गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में 9 अगस्त 2024 को शाम 5 बजे किया जायेगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति के संबंध में फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से जनसामान्य को जागरूक करना और जनजातीय संस्कृति को मूलरूप में बचाये रखने और उसे संजोए रखने में देना है। सहयोग
छत्तीसगढ़ का गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश का तीसरा बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुघासीदास - तमोर पिंगला को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित कर लिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में टाइगर रिजर्व की संख्या चार हो गई है। गुरु घासीदास नेशनल पार्क को साल 2021 में टाइगर रिजर्व बनाया गया था, लेकिन इसे विरोध के कारण अस्तित्व में नहीं लाया जा सका था। इस क्षेत्र में कई खदानें होने कारण नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने का नोटिफिकेशन कांग्रेस शासन काल में रुका हुआ था।
छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का ड्राफ्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भेजा था। जिसके बाद एनटीसीए ने गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में मंजूरी दी। लेकिन कांग्रेस शासन में रिजर्व एरिया के कोल ब्लॉक, आइल ब्लॉक और मिथेन गैस ब्लॉक होने के कारण मामला अटक गया था। अब जब राज्य में पुनः भाजपा सरकार की वापसी हुई तो टाइगर रिजर्व बनने का रास्ता साफ हो गया।
छत्तीसगढ़ सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक में गुरुघासीदास - तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व गठित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है एवं इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित कर लिया है। इस टाइगर रिज़र्व के गठन से बाघों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि यह क्षेत्र उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर, बाघों की संख्या में सुधार के लिए यह कदम आवश्यक था। नया टाइगर रिज़र्व बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करेगा और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देगा। टाइगर रिज़र्व के गठन से ईको-पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। गाईड, पर्यटक वाहन संचालन, और रिसॉर्ट्स के संचालन के साथ-साथ अन्य पर्यटन संबंधित सेवाओं से स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ होगा। राष्ट्रीय प्रोजेक्ट टाइगर ऑथोरिटी से अतिरिक्त बजट प्राप्त होगा, जो क्षेत्र के विकास और आजीविका सुधार के लिए उपयोगी होगा।