एक मरीज को मिलती है रेमडेसिविर की 6 डोज, दे रहे सिर्फ एक!

Update: 2021-04-22 06:11 GMT

छुटभैय्ये नेता बाकी के पांच रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में बेच रहे

एक मरीज का कोटा 6 डोज इंजेक्शन का ही है

छुटभैया नेताओं के गुर्गे मरीजों के अटेंडर बनकर कर रहे है रेमडेसविर की कालाबाजारी

कोरोना टेस्टिंग के नाम पर लाखों की ठगी

प्र्राइवेट लैब मरीजों के टेस्ट गलत तरीके से लेकर मरीजों की जान डाल रहे है खतरे में

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कोरोना काल में मेडिकल कारोबार पर रेमडेसिविर माफिया ने शिकंजा कस लिया है। सरकारी और निजी अस्पताल में छुटभैैया नेताओं के गुर्गे डाक्टरों पर दबाव डालकर एक मरीज के नाम पर 6 डोज की पर्ची बनवाते हैऔर उसमें से एक डोज मरीज को देकर शेष पांच रेमडिडिसिविर को बाहर बाजार में ऊंचे दाम पर बचते है। मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन मिलने पर खुश हो जाता है वहीं् बाकी पांच रेमडिडिसिविर को खुले बाजार में मनमाने दाम पर बचने का गोरखधंधा चल रहा है।

सरकारी और निजी अस्पतालों में छुटभैया नेताओं का रैकेट बड़ी चतुराई से अपने काम को अंजाम दे रहा है। जितना स्टॉक मेडिकल स्टाकिस्टों के पास नहीं है उससे कहीं अधिक इन रेमडिसिविर तस्करों के पास इकट्ठे हो गए है। जो सरकारी और निजी अस्पतालों में जाकर डोह लेते है कि किसको रेमडिसिविर की जरूरत है उससे बातचीत कर सौदा को अंजाम दे रहे है। अवेडकर अस्पताल से लेकर जितने में कोविड अस्पताल, कोविड केयर सेंटर है वहां पर छुटभैया नेताओं के गुर्गे अपने सोर्स से वहां के मेडिकल स्टाफ, डाक्टर, नर्स फार्मेसी विभाग के लोगों से सांठगांठ कर उनके माध्यम से मनमाने दाम लेकर रेमडिसिविरि की सप्लाई कर रहे है जिसमें अस्पताल के लोगों को भी कमीशन पर अटैच कर लिया गया है।

कोरोना टेस्टिंग के नाम पर ठगी जनता से रिश्ता ने किया खुलासा

राजधानी में रोजाना कोरोना टेस्टिंग के नाम पर लाखों की ठगी हो रही है जिसका खुलासा जनता से रिश्ता ने अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करके किया। उसके बाद खबर का असर देखने को मिला आज स्वास्थ्य विभाग द्वारा सात लैबों को नोटिस जारी किया है। इनमें राजधानी रायपुर के छह और भिलाई का एक लैब शामिल है। विभाग ने इन लैबों के प्रबंधकों को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने कहा है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के बाद समय-सीमा में आई.सी.एम.आर. पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं करने वाले सात लैबों को नोटिस जारी किया है। इनमें राजधानी रायपुर के छह और भिलाई का एक लैब शामिल है। विभाग ने इन लैबों के प्रबंधकों को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने कहा है। स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ पब्लिक एक्ट, 1949 तथा छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिजीज कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 के अंतर्गत अनुमति रद्द करने की कार्यवाही की जाएगी।

जनता से रिश्ता के खबर का असर

स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर के मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, पैथकाइंड डायग्नोस्टिक, एसआरएल लैब, लाइफवर्थ डायग्नोस्टिक, एएम पैथलैब, रिवारा लैब और भिलाई के श्रीशंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने कहा है। विभाग ने इन लैबों को जारी नोटिस में कहा है कि कोविड-19 सैंपल की जांच के 48 घंटों के बाद भी आई.सी.एम.आर. पोर्टल में डॉटा एंट्री नहीं की जा रही है। इसके कारण समय पर मरीजों की कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है, जिससे समुदाय में संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। जानकारी उपलब्ध नहीं होने से अस्पताल में भर्ती एवं उपचार प्रक्रिया सुचारु रुप से नहीं हो पाती है।

फर्जी रिपोर्ट से पॉजिटिव को बता रहे थे निगेटिव

कोरोना माहमारी में भी कुछ लोग अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए है। राजधानी में जारी लॉकडाउन के बीच भी कुछ ऐसे फर्जी डॉक्टर आ गए है जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट लोगों को देकर उनसे हज़ारों रुपए वसूलते है। कोरोना महामारी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है, लेकिन लोग इसकी गंभीरता को ना समझकर धोखाधड़ी और ठगी में लग गए है। ये फर्जी डॉक्टर कोरोना की फर्जी रिपोट्र्स लोगों को दे देते है, और उनसे दोगुना ज्यादा पैसा वसूल लेते है। एक बार फिर से कोरोना के मामले बढऩे लगे हैं। वहीं इस बीच एक फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाने वाले गैंग की सूचना सामने आ रही है। जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बनाते है और लोगों से भारी पैसा वसूल लेते है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये पता चला है कि कई ऐसे डॉक्टर अब जिले में घूम रहे है जिनके पास ना तो कोई सर्टिफिकेट है और ना ही कोई डिग्री फिर भी ऐसे डॉक्टर लोगों का कोरोना टेस्ट करके उनकी रिपोर्ट तैयार कर रहे है।

निजी लैबों में भी बनती फर्जी रिपोर्ट

सूत्रों से पता चला है कि कुछ प्राइवेट लैब के कर्मचारी लोगों के घर जाकर गलत तरीके से सैंपल इक_ा करते है। उन्होंने सैंपल का टेम्परेचर मेंटेन नहीं किया, जिससे गलत रिपोर्ट भी आती है। यानी जो लोग कोरोना नेगेटिव होते है उनका रिपोर्ट पॉजिटिव ही आता है। चंद पैसों के लालच में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले लैबों को जल्दी से जल्दी बंद कराना चाहिए।

लोगों की जान के साथ खिलवाड़

कोरोना काल में जब पूरा देश इस महामारी से जंग लड़ रहा है, तो ऐसे में कुछ प्राइवेट लैब ने उसे कमाई का धंधा बना लिया है, ये प्राइवेट लैब मरीजों के टेस्ट गलत तरीके से करके सैंपल इक_ा कर उनकी जान खतरे में डाल रहे है। जो लोग कोरोना नेगेटिव है उन्हें ऐसे लैब्स पॉजिटिव बता रहे है और चंद रुपयों की खातिर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

दवा में होती मिलावट

कोरोना की दवा में हो रही मिलावट राजधानी में एक तरफ जहां कोरोना की रफ्तार बढ़ गई है वही दूसरी तरफ कोरोना वायरस से जुड़ी दवाओं की कालाबाजारी पर भी जोर पकडऩे लगा है। अलग-अलग राज्यों से कोरोना की दवा की कालाबाजारी की खबरें सामने आ रही है। लेकिन अब हैरान करने वाली बात यह भी सामने आई है कि अब कोरोना की दवा में मिलावट भी की जा रही है। इस दवा के जैसे ही शीशी बाजार में मिलने लगी है कुछ फर्जी लोग इस इंजेक्शन में भी मिलावट कर इसे बेच रहे है, जिसकी वजह से लोगों की मौत भी हो रही है।

बीपीएल-एपीएल के बजाय हर गंभीर मरीज को रेमडेसिविर डोज, रोजाना 80 को लगेंगे

अंबेडकर अस्पताल में अब हर गंभीर मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जाएगा, चाहे वह बीपीएल हो या एपीएल केटेगरी का। इसके लिए मरीज या उनके अटेंडेंट द्वारा दबाव डालने की भी जरूरत नहीं है। पिछले तीन दिन से रोजाना 80 मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा रहा है। अफसरों ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में 1200 इंजेक्शन यहां आए हैं, इस वजह से सप्लाई में थोड़ा सुधार हुआ है। राजधानी समेत प्रदेश में रेमडेसिविर के लिए मारामारी मची हुई है। अंबेडकर अस्पताल में 450 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। इनमें रोजाना 80 मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि कई मरीज रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने का दबाव डालते हैं, लेकिन इंजेक्शन नहीं लगाया जाता। जिन मरीजों को जरूरत है, उन्हीं को रेमडेसिविर लगाया जा रहा है। हालांकि दूसरे अस्पतालों में मरीजों के दबाव में इंजेक्शन लगाने की बात कही जा रही है। यही कारण है कि बाजार में रेमडेसिविर के लिए मारामारी है। दूसरी ओर रेडक्रास मेडिकल स्टोर में 240 इंजेक्शन पहुंचे थे, जो कुछ घंटे में बिक गए। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें ज्यादातर लोग अंबेडकर अस्पताल की पर्ची रखे रहते हैं। कई लोग निजी अस्पताल से आए लोग होते हैं, जो अपने परिजन व परिचितों के लिए इंजेक्शन के लिए चक्कर लगाते रहते हैं।रेमडेसिविर की सप्लाई पिछले एक हफ्ते से बढ़ी है, लेकिन इसकी जरूरत भी बढ़ गई है। अब तक रायपुर और दुर्ग अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए यह इंजेक्शन तलाशा जा रहा था। यहां अब भी मांग बनी हुई है, लेकिन पिछले दो-तीन दिन से अन्य जिलों में केस बढऩे की वजह से वहां से भी लोग रेमडेसिविर की तलाश में राजधानी की दौड़ लगा रहे हैं। इस वजह से मांग में कोई कमी नहीं आई है और सप्लाई अब भी जरूरत की 25 फीसदी भी नहीं है। चिकित्सकों का दावा है कि जब तक प्रदेश में इक_ा 20-30 हजार इंजेक्शन सप्लाई नहीं होते, तब तक मांग और सप्लाई का सिस्टम बैलेंस नहीं होगा।

अब मारपीट की आशंका से बचने स्टोर में ताला : रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिलने पर कई लोग अंबेडकर अस्पताल के रेडक्रास मेडिकल स्टोर में हंगामा कर चुके हैं। मारपीट की नौबत आने लगी, इसलिए मेडिकल स्टोर के कर्मचारी स्टोर इंजेक्शन आने के बाद ही खोल रहे हैं। इससे दूसरे मरीज जिन्हें अन्य दवाइयों की जरूरत है, वह परेशान हो रहे हैं। उन्हें बाहर जाने की जरूरत पड़ रही है।

अंबेडकर में जरूरतमंद सभी मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जा रहा है। इसके लिए एपीएल या बीपीएल का कोई क्राइटेरिया नहीं है। हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं है, लोगों को यह बात समझनी चाहिए।

-डॉ. ओमप्रकाश सुंदरानी

क्रिटिकल केयर इंचार्ज, अंबेडकर अस्पताल

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