रायपुर। दुर्ग जिले के शंकराचार्य कोविड हास्पिटल में चिकित्सकों और हेल्थ स्टाफ की संकल्पित टीम अपने सेवाभाव और कोविड के उपचार करने के अनुभवों के चलते कई परिवारों को संजीवनी प्रदान कर रही है। हर बार क्रिटिकल मरीजों के ठीक होने पर हास्पिटल प्रबंधन को गहरी खुशी होती है। ऐसा ही क्षण था जब दस दिनों से भर्ती दो गंभीर मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर घर गए। इनमें से एक 75 बुजुर्ग महिला जिनका सीटी स्कोर 16 था और आक्सीजन लेवल 80 तक पहुँच गया था, स्वस्थ होकर घर लौटीं। एक अन्य 45 वर्ष की महिला ने भी कोविड की जंग जीती, उनका आक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था और सीटी स्कोर 22 था।
श्रीमती द्रौपदी वर्मा के पुत्र एडवोकेट श्री एलबी वर्मा ने बताया कि माँ मोरिद में रहती हैं वहाँ संक्रमण का शिकार हुईं तो पहले निकट के प्राइवेट हास्पिटल में लेकर गए। यहाँ पर सीटी स्कैन कराया और सीटी स्कोर 16 आया। यहाँ आक्सीजन लेवल 80 था, पाँच दिन रहने के बाद भी यहां गिरती स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए शंकराचार्य कोविड केयर हास्पिटल में एडमिट कराया गया। यहाँ पर माता जी का पूरा ख्याल रखा गया। चिकित्सकों ने माता जी की स्थिति की जानकारी दी। हाथ से खाना खिलाया स्टाफ ने- श्री वर्मा ने बताया कि जब मैंने अपनी माता जी से पूछा कि अस्पताल में आपका कैसे ख्याल रखा गया तो उन्होंने बताया कि बिल्कुल घर की तरह ही।अस्पताल में डाक्टर और नर्स हौसला बढ़ाती रहीं। खाना भी नर्सों ने ही खिलाया। श्री वर्मा ने बताया कि शंकराचार्य हास्पिटल में माता जी को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ, वो पूरी तरह रिकवर हुईं। इसके लिए हम लोग हास्पिटल स्टाफ के बहुत आभारी हैं।
45 वर्ष की महिला, सीटी स्कोर 22, आक्सीजन लेवल 60, संघर्ष का जज्बा जीत गया- सीटी स्कोर में संक्रमण की गंभीरता का स्तर 0 से 25 तक होता है। दुर्ग शहर की एक 45 वर्षीय महिला जब शंकराचार्य हास्पिटल में भर्ती हुईं तो उनका सीटी स्कोर 22 था, आक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था। अपने संकल्प शक्ति से वो कोविड से जूझीं। उन्होंने बताया कि हर पल मुझे यह लगा कि हिम्मत नहीं हारनी है। मुझे हास्पिटल स्टाफ ने मेरे जैसे ही क्रिटिकल मरीजों के किस्से बताए जो ठीक हुए। इससे हौसला मिला और अंततः मैं कोविड से बाहर आई।
अच्छा लगता है कि जब ऐसे क्रिटिकल मामलों में सफलता मिलती है- इस संबंध में जानकारी देते हुए डाॅ. सुगम सावंत ने बताया कि कोविड के प्रोटोकाल के मुताबिक आक्सीजन लेवल 94 से गिरते ही हास्पिटल में एडमिट होने की सलाह दी जाती है। हास्पिटल में आक्सीजन के साथ ही मेडिसीन भी प्लान किये जाते हैं। हम मरीजों के हौसले को बढाने पर भी काम करते हैं। संकल्पशक्ति दृढ़ रखने से और उचित इलाज से रिकवरी की राह आसान हो जाती है।