रायपुर। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशन पर पर्यावरण को सहेजने की बड़ी ड्राइव रायपुर जिले में हो रही है। इसमें दो लाख 80 हजार पौधे लगाये जा रहे हैं। इनमें से 73 प्रतिशत पौधे लगाये जा चुके हैं। इस बार फोकस सड़कों के साथ नदियों को लेकर भी है। नदियों को लेकर फोकस करना कई मायने में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल प्लांटेशन का उद्देश्य पूरा होता है अपितु नदी किनारे पौधे लगाये जाने से मिट्टी का कटाव रूकता है। नदी का जलस्तर साल भर बनाये रखने के लिए भी यह अच्छा होता है क्योंकि पौधे सबसे ज्यादा पानी अवशोषित कर रखते हैं। इस तरह से यह प्लांटेशन की ड्राइव महानदी के लिए भी संजीवनी है। फिलहाल 66 हजार पौधे नदी तट पर लगाए जा रहे हैं। नदियों के किनारे फलदार पौधों का रोपण किया जा रहा है, ताकि इससे स्थानीय लोगों को आय भी हो सके। महानदी के तट को मजबूत बनाने और इसे सदा नीरा बनाये रखने में भी इस व्यापक प्लांटेशन ड्राइव से मदद मिलेगी। नदी तटों को मजबूत करने के लिए ऐसे पौधों का चयन किया गया है जिनकी जड़ें मजबूत होती हैं। पीपल जैसे पेड़ जो सर्वाधिक आक्सीजन देते हैं और नदी के इकालाजी को बनाये रखते हैं। वे भी रोपे गये हैं। औषधीय पेड़ों की भी डिमांड होती है और आयुर्वेद ग्रामों में जहाँ इनकी जागरूकता अधिक है ऐसे पौधों का काफी लाभ होता है। साथ ही परपंरागत स्थानीय पौधे भी लगाए जा रहे हैं स्थानीय प्रजातियों को सरक्षण भी मिलेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश की जीवनदायी नदियों के संवर्धन और उन्हें संजीवनी प्रदान करने बड़े पैमाने पर इनके तटों पर प्लांटेशन के निर्देश दिये हैं। ऐसे ही निर्देश नदियों के सहयोगी नालों पर दिये गये हैं जिनमें प्लांटेशन नरवा योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।
वो शहर सबसे ज्यादा खूबसूरत होते हैं जिनकी सड़कों के दोनों ओर हरेभरे पेड़ होते हैं और जिनकी लताएं इन पेड़ों पर लगने वाले फूलों से महकती हैं और हजारों पक्षी इन पर बसेरा करते हैं। जिले के सड़कों पर पौधरोपण के लिए 14 किमी 700 मीटर का पैच चुना गया है। इसमें 14 हजार 690 पौधे अब तक रोपित किए गए हैं। सबसे ज्यादा कदंब और बादाम के पेड़ चुने गये हैं। कदंब बहुत तेजी से बढ़ने वाला पौधा है इसलिए सबसे ज्यादा जोर इस पर ही दिया गया। सड़कों के दोनों ओर पेड़ लगे होने से वायु प्रदूषण और धूल की रोकथाम के लिए भी यह पेड़ बहुत कारगर होंगे। कदंब और बादाम दोनों के पत्ते काफी चौड़े होते हैं। इसकी वजह से प्रदूषण की रोकथाम में इनकी कारगर भूमिका होती है। इसके अलावा गुलमोहर जैसे सदाबहार पौधे भी लगाये गये हैं जिनकी खूबसूरती बेमिसाल होती है। इन पौधों को सुरक्षित रखने के लिए वन विभाग द्वारा चैनलिंक फैंसिग की जा रही है। ब्लाक प्लांटेशन के माध्यम से एक बड़े एरिया में प्लांटेशन किया जा रहा है ताकि अलग-अलग तरह के पौधे लगाये जा सकें और इनका संवर्धन किया जा सके। एक बड़े क्षेत्र में प्लांटेशन के जाने से इनका रखरखाव आसान हो जाता है। इसके लिए 127 हेक्टेयर क्षेत्र में 1 लाख 40 हजार पौधे रोपित किए जा रहे हैं। जिन पौधों का रोपण किया गया इनमें- नीम, नीलगिरी, ऑवला, खम्हार, बांस, सागौन, औषधीय प्रजाति, कहवा, कटहल, आम, अमरूद, गुलमोहर, पेल्टाफार्म, अमलातास, सिरस, बदाम, कदंब, झारूल, करंज, अमलतास, शीशम और पीपल का किया गया। इनकी लंबाई 3 से 5 फिट है।