630 करोड़ का घोटाला, विवेक ढांड सहित कई रिटायर्ड अफसर फंसे

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Update: 2024-10-15 09:05 GMT

बिलासपुर Bilaspur । छत्तीसगढ़ में राज्य स्रोत नि:शक्तजन स्रोत संस्थान के नाम पर राज्य के आईएएस व राज्य सेवा संवर्ग के तकरीबन एक दर्जन अफसरों ने जमकर घोटाला किया था। इसी संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी कुंदन सिंह ने जनहित याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच कराने और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने जब मामले की जांच के लिए सीबीआई को प्रकरण सौंपा तब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उस दौर के ताकतवर नौकरशाह सीधे सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सीबीआई जांच पर रोक लगा दी। तब से यह स्थगन आदेश चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक के साथ ही एक और व्यवस्था दी थी। पूरे मामले की सुनवाई का अधिकार हाई कोर्ट को ही दे दिया था। लिहाजा इस मामले की फाइल एक बार फिर खुल गई है।

जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में फाइनल हियरिंग चल रही है। अंतिम सुनवाई के बाद हाई कोर्ट का फैसला भी इस मामले में आना है। याचिकाकर्ता ने पीआईएल में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट के समक्ष दस्तावेज भी पेश किया है। दस्तावेजों की पड़ताल और आला अफसरों के बयान के आधार पर यह बात भी सामने आई थी कि इस पूरे मामले में एक हजार करोड़ से भी ज्यादा के सरकारी धन को अफसरों ने फर्जी दस्तोवजों के आधार पर लूटा है। फाइनल हियरिंग के दौरान हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने उन अफसरों को तलब किया है जिसने इस फर्जीवाड़े से अपने आपको पाक-साफ बताते हुए खुद ही क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने ऐसे अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है और इनकी सूची भी राज्य सरकार से मांगी है।

जानिए मामला

रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से वर्ष 2018 में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती के अलावा राज्य सेवा संवर्ग के अफसर राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (एसआरसी) (राज्य स्रोत नि:शक्त जन संस्थान) के नाम पर 630 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। राज्य स्रोत नि:शक्तजन संस्थान का कार्यालय माना रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। एसआरसी ने बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट और एसबीआई मोतीबाग के तीन एकाउंट से संस्थान में कार्यरत अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड के जरिए बैंक अकाउंट खुलवा लिए और इसी अकाउंट में फर्जी तरीके से वेतन का आहरण भी करते रहे।

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