लीची फूल से निकाला 480 किलो ग्राम शहद

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Update: 2022-04-09 18:55 GMT

बेमेतरा। प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी अंतर्गत कुटीर उद्यागों, लघु एवं मध्यम कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, पुणे से एक महीने का सर्टिफकेट कोर्स करके आये युवा कृषक संजय वर्मा तथा सुंदल लाल जंघेल के साथ साथ हेमचंद, देवराज वर्मा एवं जमील अंसारी ने बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर शहर के लीची बागानों में इटेलियन प्रजाति की 100 मधुमक्खी पेटी स्थापित एवं निवासरत रह कर कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी मार्गर्शन एवं जिला प्रशासन, के निर्देशानुसार लीची फूल से निकाला 480 किलो ग्राम शहद का निष्कासन किया।

उत्पादित शहद को प्रसंस्करण एवं पैकिंग कर सी-मार्ट में विक्रय हेतु उपलब्ध कराया जायेगा। 480 किलो ग्राम शहद से युवा कृषकों को लगभग 2.40 लाख रुपए की अतिरिक्त आमदनी मात्र एक से डेढ़ माह में प्राप्त होगी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एकता ताम्रकार ने बताया कि ग्राम पातरझोरी, पथर्रीखुर्द एवं कुरुद में क्रमश: सरसों, धनिया एवं सूरजमुखी से युवा कृषकों ने कुल 150 किलो शहद का निष्कासन किया गया। जिसका विक्रय कर कृषकों को कुल 60 हजार रूपये की खेती के अलावा माह जनवरी से मार्च तक अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई।
साथ ही 10 मधुमक्खी पेटियों का विक्रय किया जा रहा है जिससे 44 हजार की भी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजीत सिंह राजपूत के द्वारा बताया गया कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय मुख्यत: फूलों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
मधुमक्खीयॉ फसलों में सरसों, धनिया, सूरजमुखी, तिल एवं मक्का इत्यादि एवं वृक्षों में नीम, नीलगिरी, करंज इत्यादि से नेक्टर एवं पोलन लाती है। वर्तमान में सूरजमुखी फसल में ग्राम पातरझोरी एवं पथर्रीखुर्द में मधुमक्खी पालन कार्य किया जा रहा है। करंज में गंडई में अप्रैल अंतिम सप्ताह से शुरू किया जायेगा।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक तोषण कुमार ठाकुर, डॉ. जितेन्द्र जोशी, डॉ. हेमन्त साहू, शिव कुमार सिन्हा, पलाश चौबे, पंचूराम यादव, स्पर्श पटेल, ओमप्रकाश साहू द्वारा निरंतर कृषकों को गोठान ग्रामों में मधुमक्खी पालन हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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