डायरिया से 45 वर्षीय महिला की मौत, 8 लोगों का चल रहा है इलाज
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बालोद: डायरिया से जूझ रही सुरेगांव निवासी 45 वर्षीय प्रमिला साहू की मौत मंगलवार रात 3 बजे हो गई। वह उल्टी-दस्त से परेशान थी। वहीं गांव के 8 लोग भी डायरिया की चपेट में आए है। जिनका इलाज चल रहा है। इनमें से तीन का इलाज पीएचसी सुरेगांव और तीन का इलाज राजनांदगांव में चल रहा है। लगातार सात दिन तक शिविर लगाने का निर्णय लिया गया है। इस सीजन में जिले में डायरिया से यह पहली मौत हुई है। जिला बनने के बाद कितनी मौतें हो चुकी है, इसकी जानकारी जिला महामारी नियंत्रण इकाई कार्यालय से ब्लॉकवार ली जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, ड्रिप बॉटल चढ़ाने के अलावा जरूरी दवा दी जाती है। लेकिन जब स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच की तो यह तथ्य सामने आया कि महिला का इलाज गांव के निजी डॉक्टर कर रहे थे, दवा खाकर महिला सो गई थी। एक बजे के बाद तबीयत ज्यादा खराब हुई और दो बजे दम तोड़ा। बुधवार को इसकी जानकारी कलेक्टर जनमेजय महोबे, सीएमएचओ डाॅ. एस. मण्डल व अन्य अफसरों को लगी।
इनका चल रहा इलाज
मृतका के सास , ससुर भी डायरिया की चपेट में आए है। वहीं पड़ोस के चार लोग भी भर्ती है। सुरेगांव के 80 वर्षीय बिहऊ लाल, 47 वर्षीय बासीन बाई, 67 वर्षीय सिलोचनी बाई, 18 वर्षीय सूर्यकांत, 23 वर्षीय कमलेश, 21 वर्षीय दामिनी की तबीयत खराब होने पर डॉक्टरों की निगरानी में रखा है। है।
टंकी में सीपेज इसलिए बोर से पानी सप्लाई: सरपंच
ग्राम पंचायत सुरेगांव के सरपंच विष्णुराम नेताम ने बताया कि पानी तो साफ ही सप्लाई हो रही है। टंकी में लीकेज आ गया है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से बोर से ही डायरेक्ट साफ पानी सप्लाई की जा रही है। घर-घर में शासन की योजना के तहत नल लगने का सिलसिला भी जारी है। यह सही है कि कुछ लोग कुएं के पानी का उपयोग पीने के लिए करते थे।
पीएचई ने गांव में 15-16 स्थानों से लिया पानी का सैंपल
मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर जनमेजय महोबे ने गांव पहुंचकर वास्तविकता जाना। उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा की। कुएं का पानी पीने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा पीएचई विभाग की ओर से पानी का सैम्पल लिया गया है। जिस पानी को पूरे गांव के ग्रामीण पीते थे। जिसकी जांच जिला मुख्यालय के लैब में की जाएगी।
तब वास्तविकता सामने आएगी कि हैंडपंप, बोर, कुएं का पानी पीने लायक था कि नहीं? गांव में लगभग 15-16 स्थानों में पीएचई टीम ने जल स्रोतों का निरीक्षण किया। हालांकि ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों का दावा है कि जिस महिला की मौत हुई है, वह कुंए के पानी को नहीं पीती थी। बाकी पीते थे। अगर ऐसा है तो महिला डायरिया की चपेट में कैसे आई। यह बड़ा सवाल है।
एक्सपर्ट व्यू: समय पर इलाज नहीं होने के कारण शरीर में पानी सूख जाता है, यही मौत की प्रमुख वजह बनती है
सीएमएचओ डाॅ. एस. मण्डल ने बताया कि अमूमन डायरिया से मौत होने के मामले बहुत कम आते है, मेरी जानकारी में यह पहला है। डायरिया के लक्षण उल्टी, दस्त है, यह होने पर शरीर का पानी सूखता जाता है, इस स्थिति में अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है, जहां डॉक्टर अपने अनुसार इलाज करेंगे, लगातार शरीर का पानी सूखने से शरीर कमजोर पड़ने लगता है, और मौत तक हो जाती है।