रायपुर : प्रदेशभर में गांव-गांव में हजारों की संख्या में जैतखाम स्थापित है, जहां-जहां सतनामी समाज के लोग रहते हैं, वहां जैतखाम अवश्य स्थापित किया जाता है, जैतखाम पर प्रतिदिन पूजा की जाती है। राजधानी में ही 100 से अधिक जैतखाम सतनामी समाज के लोगों के लिए श्रद्धा-आस्था का केंद्र है।
राजधानी में सबसे बड़ा जैतखाम न्यू राजेंद्र नगर के सांस्कृतिक भवन में है, जिसकी ऊंचाई 25 फीट है। सबसे ऊंचा जैतखाम सरई लकड़ी से बनाया गया है। सरई लकड़ी के बारे में कहा जाता है कि यह लकड़ी सालों तक खराब नहीं होती। इस जैतखाम को मजबूत आधार देने के लिए इसे जमीन के नीचे 15 फीट तक गाड़ा गया है। जमीन के नीचे 15 फीट और जमीन के उपर 25 फीट, इस तरह कुल 50 फीट के जैतखाम पर क्रेन के सहारे चढ़कर सफेद ध्वजा फहराते हैं। इसे पालो चढ़ाना कहा जाता है।