महत्वाकांसुराजी गांव योजना के तहत जिले मे 391 गौठानों का किया गया निर्माण
छग
बेमेतरा। छत्तीसगढ शासन की महत्वाकांगोधन न्याय योजना पशुपालक के हित में लिया गया ऐसा निर्णय है जिससे उन्हे वित्तीय मदद के साथ-साथ रोजगार भी मिल रहा है व वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय पर एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गौठानो ने बखूबी दिखाया है। गौठानो से ग्राम स्वावलंबन का सपना साकार हो रहा है। जिले के किसान और पशुपालक अब समृद्धि की राह में आगे बढ़ रहे हैं। सुराजी ग्राम योजना अंतर्गत गौठान समृद्धि और खुशहाली का आधार बन रहे हैं। अब तक लगभग 10315 पशुपालकों ने गोबर बेचकर 5.23 करोड़ रुपए से अधिक कमाई की है। शासन की महत्वाकांसुराजी गांव योजना के तहत जिला बेमेतरा मे 391 गौठानों का निर्माण किया गया है।
जिसमें मूलभूत सुविधा के लिए पेयजल, चारा, छाया इत्यादि की व्यवस्था की गई है, जिसमें पशुओं का इलाज व टीकाकरण कार्य संबंधित गौठान क्षेत्र के पशु चिकित्सा अधिकारी की ओर से समय-समय पर किया जाता है। इन गौठानों में गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर की खरीदी का कार्य जा रहा है। जिसमें नियमित रूप से पंजीकृत पशुपालकों से शासन की ओर से निर्धारित दर से 2 रू. प्रति किलोग्राम की दर पर गोबर की खरीदी की जा रही है। योजना प्रारंभ से अब तक 2.90 लाख क्वि. गोबर की खरीदी की जा चुकी है व गोबर खरीदी के विरुद्ध 5.83 करोड़ रुपए का भुगतान लगभग 10313 पशुपालकों को किया गया है। खरीदे गए गोबर में से अब तक 72694.94 क्वि. वर्मी कम्पोस्ट, 8925 सुपर कम्पोस्ट तथा 54.65 सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया जा चुका है। जिसमें से 60000.82 क्वि. वर्मी कम्पोस्ट 9259.38 क्वि. सुपर कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है। उक्त खाद के विक्रय से गौठान समिति को 3.13 करोड रुपए तथा स्व सहायता समूह को 2.07 करोड रुपए की आमदनी हुई है। अतिरिक्त आय के रूप में महिला स्व सहायता समूह की ओर से गोबर का दिया, गमला, मूर्ति का भी निर्माण कर स्थानीय बाजार में विक्रय किया जा रहा है।