गरियाबंद। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय गरियाबंद, किशोर न्याय बोर्ड गरियाबंद तथा राजस्व जिला गरियाबंद के राजस्व न्यायालयों एवं राजिम के न्यायालयों में शनिवार को ''नेशनल लोक अदालत'' का आयोजन किया गया। उक्त लोक अदालत हेतु तालुका विधिक सेवा समिति गरियाबंद द्वारा 4 खण्डपीठों का गठन किया गया था। वहीं राजस्व न्यायालयों में भी 12 खण्डपीठों का गठन किया गया था। तालुका विधिक सेवा समिति गरियाबंद के अध्यक्ष राजभान सिंह ने बताया कि उक्त लोक अदालत के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गरियाबंद तजेश्वरी देवी देवागंन की गठित खण्डपीठ में कुल 72 लंबित एवं 141 प्रिलिटिगेशन प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 16 लंबित मामलों का निराकरण करते हुए 64 लाख 80 हजार रुपये का एवार्ड पारित किया गया। वहीं 30 प्रिलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण करते हुए 5 लाख 84 हजार 500 रुपये का एवार्ड पारित किया गया, इस प्रकार उक्त खण्डपीठ में कुल 46 प्रकरणों का निराकरण करते हुए कुल 70 लाख 64 हजार 500 रुपये का एवार्ड पारित किया गया। वहीं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं व्यवहार न्यायधीश वर्ग-एक गरियाबंद छाया सिंह की गठित खण्डपीठ में 313 प्रिलिटीगेशन प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 41 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 11 हजार 162 रूपये का एवार्ड पारित किया गया तथा समरी मामले सहित 204 लंबित प्रकरण रखे गये थे। जिनमें 52 लंबित मामलां तथा 104 समरी मामलों का निराकरण करते हुए 3 लाख 26 हजार 100 रुपये की राशि अदा करायी गई। इस प्रकार कुल 197 प्रकरणों का निराकरण किया गया। निलेश जगदल्ला न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एवं व्यवहार न्यायधीश वर्ग-दो गरियाबंद की गठित खण्डपीठ में 960 प्रिलिटीगेशन प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 235 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 15 लाख 36 हजार 541 रुपये का एवार्ड पारित किया गया तथा समरी मामले सहित कुल 82 लंबित प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 26 लंबित मामलां तथा 7 समरी मामलों का निराकरण करते हुए 6700 रुपये की राशि अदा करायी गई। इस प्रकार कुल 268 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
बाल न्यायालय गरियाबंद की गठित खण्डपीठ में किसी प्रकरण का निराकरण नही हो सका तथा किरण पन्ना न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एवं व्यवहार न्यायधीश वर्ग-दो देवभोग के अवकाश में होने के कारण उक्त न्यायालय के मामलें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गरियाबंद निलेश जगदल्ला की गठित खण्डपीठ में निराकरण के लिए रखे गये थे और उक्त खण्डपीठ में देवभोग से संबंधित 663 प्रिलिटीगेशन प्रकरण रखे गये थे, जिनमें किसी प्रकरण का निराकरण नहीं हो सका किन्तु समरी मामले सहित 294 लंबित प्रकरण रखे गये थे जिनमें 11लंबित मामलों तथा 25 समरी मामलों का निराकरण करते हुए 15 हजार 400 रुपये की राशि अदा कराई गई। कुल 36 प्रकरणों का निराकरण किया गया तथा उक्त निराकृत प्रकरणां में वर्चुवल माध्यम से 4 प्रकरणों का सुनवाई के बाद निराकरण किया गया । इसी प्रकार अविनाश टोप्पो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एवं व्यवहार न्यायधीश वर्ग-दो राजिम की गठित खण्डपीठ में 1626 प्रिलिटीगेशन प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 25 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 1 लाख 54 हजार 475 रुपये का एवार्ड पारित किया गया तथा समरी मामले सहित 188 लंबित प्रकरण रखे गये थे, जिनमें 55लंबित मामलां तथा 50 समरी मामलों का निराकरण करते हुए 1 लाख 48 हजार 100 रुपये की राशि अदा कराई गई। इस प्रकार कुल 130 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इसी प्रकार राजस्व न्यायालयों में गठित खण्डपीठों में विभिन्न प्रकार के कुल 47,538 प्रकरण रखे गये थे जिनमें उक्त सभी प्रकरणों का निराकरण किया गया तथा उक्त राजस्व प्रकरणों में खातेदारों के मध्य आपसी बंटवारें के मामले 62, वारिसों के मध्य बंटवारें के मामले 5, याददास्त के आधार पर बंटवारा के मामले 3, कब्जे के आधार पर बंटवारे के मामले 35, विक्रय पत्र/दान पत्र/वसीयत के आधार पर नामान्तरण के मामले 1103, 145 द0प्र0सं0 के मामले 2, तथा अन्य प्रकृति के 46 हजार 328 मामलों का निराकरण किया गया। तालुका अध्यक्ष राजभान सिंह ने यह भी बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के अध्यक्ष संतोष शर्मा एवं सचिव प्रवीण कुमार मिश्रा के द्वारा समय-समय पर दिये गये निर्देशानुसार गठित खण्डपीठों के सभी पीठासीन अधिकारियों तथा राजस्व न्यायालयों में गठित खण्डपीठों के पीठासीन अधिकारियों के द्वारा लोक अदालत के पूर्व से ही संबंधित पक्षकारों एवं अधिवक्ता से प्री-सिटिंग कर इस लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण हेतु काफी प्रयास किये गये। इस लोक अदालत को सफल बनाने में खण्डपीठों के पीठासीन अधिकारी, अधिवक्ता सदस्य और प्रकरणों से संबंधित अधिवक्ता, न्यायालयीन कर्मचारियों, राजस्व अधिकारियों तथा प्रीलिटिगेशन प्रस्तुत करने वाले अन्य विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों एवं संबंधित पक्षकारों का सराहनीय योगदान रहा।