दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग से होकर बहने वाली खारुन नदी के तेज बहाव में शुक्रवार को 16 मवेशी बह गए। इस दौरान तीन मवेशी नदी की जलकुंभी में फंसे हुए थे। सूचना मिलने पर पहुंची प्रशासन की टीम ने जेसीबी की मदद से तीन मवेशियों के बाहर निकाला। हालांकि तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। बाकी मवेशियों का अभी तक पता नहीं चल सका है। जानकारी के मुताबिक, बारिश के चलते इन दिनों खारुन नदी उफान पर है। कोई चरवाहा अपने मवेशियों को नदी किनारे छोड़कर गया था। इस दौरान मवेशी नदी की चपेट में आ गए और बह गए। आगे जाकर 12 से ज्यादा मवेशी जलकुंभी में फंस गए। जेसीबी से उन्हें निकालने का प्रयास शुरू किया गया, लेकिन तीन मवेशी ही मिले। उनकी भी मौत हो गई। बाकी नदी के बहाव में बह गएद्ध
कुम्हारी थाना प्रभारी केशव राम कोसले ने बताया कि खारून नदी में 16 मवेशी तेज बहाव में बह गए थे, जिनमें से तीन मवेशियों का शव बरामद किए गए हैं। बाकी मवेशियों को भी रेस्क्यू किया जा रहा है। पशुपालक अपने मवेशियों को नदी के किनारे छोड़ कर गया था। इन दिनों खारुन नदी का जलस्तर लगातार बढ़ा हुआ है। मवेशियों के मालिक वार्ड क्रमांक 2 निवासी राधेलाल यादव से फोन पर संपर्क कर जानकारी मांगे जाने पर उन्होंने बताया कि उनका लड़का दिनेश यादव प्रतिदिन 21 मवेशियों को चराने के लिए कुम्हारी बड़े तालाब होते हुए खारुन नदी तट तक जाते है गुरुवार सुबह भी वह सभी मवेशियों को चराने के लिए नदी के आस-पास गया था लेकिन वह भैसों को चरने के लिए छोड़कर सुबह 10 बजे के करीब खाना खाने लिए घर आ गया।
जैसे ही खाने के बाद 11 बजे वह दोबारा मवेशियों को चराने के लिए उक्त स्थान में गया लेकिन मवेशियां उक्त स्थान में नही मिली घंटों ढूढ़ने के बाद उन्हें संदेह हुआ तब नदी में पटे जलकुंभी में देखा। उसने देखा की बड़ी संख्या में उनके भैंस जलकुंभी में फंस चुके थे। पास के ही जेसीबी से जलकुंभी हटाने से पता चला कि अधिकांश भैंसें मर गईं थी जो पानी के तेज बहाव के कारण उनके शव कुम्हारी से 5 किलोमीटर दूर अकोला घाट तक पहुँच गए, कुछ अकोला एनीकट में फंसे मिले। मवेशियों के पालक के पुत्र दिनेश यादव ने बताया कि 21 भैंसों में 4 ही घर आए बाकी 17 मवेशियों की मौत जलकुंभी में फंसने से हो गई। वार्ड क्रमांक 3 के पार्षद थनेश पटेल को जैसे ही इनकी जानकारी प्राप्त हुई, उन्होंने मवेशियों के मालिक से जानकारी जुटाकर इसकी जानकारी पुलिस विभाग को दी जिस पर पशु पालक की सूचना पर दर्ज कराई गई। इस आपदा से पशु मालिक को अपूरणीय हानि होना बताया गया।