छत्तीसगढ़ का 122 वाॅ ई.एच.टी. उपकेन्द्र बीजापुर क्रियाशील

Update: 2020-10-20 16:32 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य शासन की रीति-नीति सुदूर आदिवासी अंचलों तक बुनियादी सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता से पहुंचाने की है। इसके अनुपालन में मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के दिशा निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर टांसमिशन कंपनी ने बीजापुर में नवनिर्मित 132/33 के.व्ही. अतिउच्चदाब उपकेन्द्र को क्रियाशील करके आज एक बड़ी कामयाबी हासिल की। इस उपकेन्द्र में स्थापित 40 एम.व्ही.ए. क्षमता के टांसफार्मर के साथ साथ उपकेन्द्र से जुड़े बारसूर से बीजापुर के मध्य निर्मित 132 के.व्ही. पारेषण लाईन को भी उर्जीकृत किया गया। उक्त जानकारी टांसमिशन कंपनी के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि बीजापुर उपकेन्द्र को शामिल कर प्रदेश में अब 122 अतिउच्चदाब उपकेन्द्र क्रियाशील हो गये हैं।

आगे कुमार ने कहा कि नवनिर्मित उपकेन्द्र एवं लाईन आदिवासी अंचल के लिए ''लाईफ लाईन'' की भाॅति महत्वपूर्ण सिद्ध हांेगे, दरअसल अब बीजापुर-बारसूर में कभी भी विद्युत व्यवधान की स्थिति निर्मित होती है तो इनके माध्यम से द्वितीय/वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सहज हो सकेगी। पारेषण कंपनी की इस परियोजना के आकार ले लेने से आदिवासी अंचल के एक बहुत बड़े हिस्सें के रहवासी गुणवत्तापूर्ण बिजली से लाभान्वित होंगे। इससे उन्हें बुनियादी सुविधाओं का लाभ प्राप्त होगा।

बारसूर से बीजापुर के मध्य 87.5 किलोमीटर लम्बी अतिउच्चदाब लाईन का विस्तार एक दुरूह कार्य था, जिसे पूर्ण करके बीजापुर उपकेन्द्र को क्रियाशील करने में पारेषण कंपनी के अधिकारियों/कर्मचारियों ने अपनी तकनीकी दक्षता को कुशलतापूर्वक प्रदर्शित किया। लगभग 91.82 करोड़ की लागत से निर्मित उक्त कार्य को पूर्ण करने के लिए पारेषण कंपनी की टीम को पाॅवर कम्पनीज के चेयरमेन श्री सुब्रत साहू ने बधाई दी। साथ ही प्रदेश की पारेषण प्रणाली को उन्नत बनाते हुए ग्रामीण-वनांचलों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाये रखने प्रेरित किया।

बीजापुर उपकेन्द्र के उर्जीकृत होने पर इससे लाभान्वित ग्रामों की जानकारी देते हुए एमडी श्री कुमार ने बताया कि इस परियोजना का सीधा सीधा लाभ जांगला, तुगोंली, मदेड़, दतोरा, गदामली, भीघांचल, बरदेला, छोट,े धतोरा, नुकनपाल, नेमैड़, मुसालर, दोगोली, नेलसनार, भैरमगढ़, पातरपारा, माटवारा, कोतरापाल, बेलचर, कुदोली, टिण्डोडी, कर्रेमरका, पुसनार, धुसावड़ एवं जैवारम गाॅवों में बड़ी संख्या में निवासरत ग्रामीणजनों को मिलेगा।

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