हाउसिंग बोर्ड ने जिस योजना पर जानकारी निरंक बताया, उस पर खर्च किए 11 लाख
गृह निर्माण मंडल ने सूचना के अधिकार आवेदन पर दी झूठी जानकारी
सिंचाई कालोनी रिडेव्हलपमेंट योजना पर जानकारी देने में आनाकानी
रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अपने घोटालों और भ्रष्टाचार के लिए तो चर्चित है ही अब वह अपनी अनियमितताओं पर परदा डालने सूचना के अधिकार के तहत मांगी जा रही जानकारी भी देने से बच रहा है। राज्य सरकार ने सिंचाई कालोनी, शांतिनगर के रिडेव्हलपमेंट के लिए हाउसिंग बोर्ड को जिम्मेदारी दी है। इस योजना को मंत्रियों की समिति मंजूरी दे चुकी है। इसके अलावा कालोनी में तोड़-फोड़ कर वहां के रहवासियों को अन्यत्र व्यवस्थापित भी किया जा चुका है। योजना के लिए भूमि परिवर्तन/नामांतरण व स्वामित्व व अधिग्रहण से संबंधित जानकारी सूचना के अधिकार के तहत बोर्ड से मांगी गई थी लेकिन बोर्ड ने इस संबंध में जानकारी निरंक होना बताया है। जबकि इस योजना के लिए सिंचाई कालोनी में तोड़-फोड़ के लिए संचालक मंडल की एजेंडा में 11 लाख स्वीकृत होना बताया गया है। इससे पता चलता है कि हाउसिंग बोर्ड सत्यता पर परदा डाल कर जानकारी देने से बच रहा है।
हाउसिंग बोर्ड पहले भी आरटीआई के तहत जानकारी देने से बचते रहा है। की अनियमितताओं में शामिल अधिकारियों के संबंध में चाही गई जानकारी भी बोर्ड ने नहीं दी। सिंचाई कालोनी को तोड़कर नया व्यावसायिक परिसर के साथ आवास निर्माण करने की योजना है जिस पर हाउसिंग बोर्ड प्लान तैयार कर रहा है। इससे संबंधित जानकारी मांगते हुए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया गया था जिस पर हाउंिसग बोर्ड ने सीधे तौर पर जानकारी निरंक होना बताया गया है। उल्लेखनीय है कि योजना के क्रियान्वयन के लिए कालोनी के मकानों को तोडऩे की कार्रवाई हाउसिंग बोर्ड कर चुकी है। निर्माण कार्य शुरू करने के लिए प्लान तैयार किए जा रहे हैं। तोड़-फोड़ के लिए बजट स्वीकृति की जानकारी संचालक मंडल की बैठक में भी दी गई है। बैठक एजेंडा क्रमांक 19 में यह जानकारी दी गई कि सिंचाई कालोनी रिडेव्हलपमेंट योजना के लिए 11 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। जब योजना के भूमि परिवर्तन, नामांतरण, स्वामित्व व अधिग्रहण से संबंधित जानकारी निरंक है तो इसी योजना के लिए 11 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति कैसे दे दी गई। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी मनमानियों के साथ जानकारी छुपाने में भी सिद्धहस्त हैं। वोर्ड के क्रियाकलापों और अनियमितताओं पर सरकार की चुप्पी और अनदेखी भी हैरान करने वाली है।