बिलासपुर। लोक निर्माण विभाग का शहंशाही अंदाज संत को भी प्रभावित करने से नहीं छोड़ा । बिलासपुर लोक निर्माण विभाग में अधीक्षण अभियंता के पद पर पदस्थ के पी संत करोना काल में बिलासपुर में ही पदस्थ थे लेकिन 22/10 /2022 में इनका स्थानांतरण अंबिकापुर मंडल हो गया था । लगभग 2 साल तक अंबिकापुर में शासकीय आवास में निवासरत थे बताया जाता है कि वहां भी शासकीय आवास बंगला को सुव्यवस्थित शहंशाही बनाने के लिए 35, 40 लाख रुपए का खर्च संत जी के द्वारा विभाग का किया गया था ताकि आने वाले भ्रष्टाचारी भक्तों के ऊपर अच्छा रुतबा बन सके और खासा चढ़ावा मिल सके।
यहां यह बताना जरूरी होगा की लोक निर्माण विभाग बिलासपुर मंडल में कोरोना काल में पदस्थ रहने के दौरान लगभग 50 करोड रुपए के मस्टर रोल इनके द्वारा जारी किए गए साथ में अनुमान है कि इतनी ही रकम के पीस वर्क आर्डर भी जारी किए गए अब सोचने वाली बात यह है कि करोना काल में जब कर्फ्यू लगा हुआ था ना पेट्रोल मिलता था, ना डीजल मिलता था , ना मजदूर मिलता था, ना कोई सामग्री मिलती थी तब 100 करोड रुपए कहां किस प्रकार से खर्च किए गए होंगे अंदाज लगाया जा सकता है । बताना जरूरी होगा की तब भी सिविल लाइन परिसर में ही एक शासकीय बंगला उनके नाम से आवंटित था 2 साल अंबिकापुर में रहने के बावजूद भी यह बिलासपुर का बंगला इनके द्वारा खाली नहीं किया गया और उसकी देख रख साफ सफाई के लिए विभाग के 5 लेबर काम करते थे जबकि अब की स्थिति में 10 विभागीय मजदूर सेवा में तल्लीन रहते हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें पता था कि वापस बिलासपुर ही आना है। मजेदार बात यह है कि 2 माह पहले अंबिकापुर से बिलासपुर आने के बाद अब तक अंबिकापुर का शाही बंगला इनके द्वारा खाली नहीं किया गया है क्या संत जी कोई रिकॉर्ड बनाने वाले हैं कि जहां भी जाएंगे एक सरकारी बंगला अपने कब्जे में रखेंगे जबकि नए पदस्थ अधीक्षण अभियंता आवास की उम्मीद पर भटक रहे हैं।
बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय के ठीक सामने ही यह बंगला है जिसको ट्रांसफ़र होने के 2 साल बाद भी खाली नहीं किए जब इतना रूबाब है तो किराया पटाने की उम्मीद कम ही नजर आती है जबकि नियमानुसार एक व्यक्ति एक ही आवास रख सकता है आवास खाली न करने की स्थिति मे पैनल रेन्ट और 6 माह बाद बाजार दर से किराया वसूलने का प्रावधान है । चंद कदमों की दूरी पर सांसद, विभागीय मंत्री और अन्य विभाग के अधिकारी भी रहते हैं अब देखना यह है कि इस दौरान दो-दो मकान रखने का शासन का कौन सा नियम है और क्या इन मकानों का किराया नियम अनुसार काटा गया है या नहीं यह जांच का विषय है परंतु जिस प्रकार से पुनः उसी जगह में लौटकर आना यह अपने आप में सिद्ध करता है कि माननीय मंत्री लोक निर्माण विभाग जिनका आवास भी चंद कदमों की दूरी पर है निश्चित रूप से उनकी नजदीकी रही होगी जो आज भी बरकरार है बताया जाता है कि अधीक्षण अभियंता रहते हुए इनके द्वारा अपने भाई के नाम से ठेकेदारी का कार्य भी किया जाता था । कार्यालय में बैठकर गप्पे हांकना प्रवचन देना और लोगों को गुमराह करना इनका मुख्य काम रहा है जिसके चलते विभाग के कर्मचारी और अधिकारी परेशान रहते थे संभवत वही रवैया आज भी है अब देखना होगा कि माननीय मंत्री लोक निर्माण विभाग जो प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी हैं क्या कार्यवाही करते हैं लोगों की मांग है कि करोना काल में किए गए खर्च की जांच कराई जावे जिससे स्थिति स्पष्ट होगी । लोगो में चर्चा है कि मूलतः शहडोल संभाग के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले संत अरबों की संपत्ति वाले कैसे बन गए । के पी संत दिखने में भोले भाले दिखते हैं लेकिन उनके कृत्य से पूरा विभाग लज्जित है देखन में सीधे लगे कांड करे गंभीर कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं । एक अहम सवाल यह भी है कि गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा कैसे लुटाया जाता है इस पर कार्यवाही कौन करेगा।