पटना न्यूज़: तकनीक के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण साइबर अपराधी हमेशा आपकी एक चूक की फिराक में रहते हैं. फोन कॉल पर आपने किसी को गलती से कोई निजी जानकारी दे दी, तो समझिए तुरंत आपका एकाउंट खाली हो गया. बैंक, सरकारी-निजी कार्यालय समेत अन्य जगहों पर निजी जानकारी साझा कर रहे हैं तो सतर्क रहें. सतर्कता हटते ही आपकी निजी जानकारी गलत हाथों में चली जाएगी. कहीं से कभी भी आपके डाटा में सेंधमारी हो सकती है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें साइबर अपराधियों ने ठगी के नायाब तरीके अपनाए हैं. सिम कार्ड लेने से लेकर आवेदन तक पर साइबर अपराधियों नजर रहती है.
फर्जीवाड़ा के अनेक माध्यम मोबाइल, ई-मेल, कस्टमर केयर नंबर, शिकायती नंबर, अनजान लिंक पर क्लिक करने पर, ब्रांडेड कंपनी के नाम पर, ऑनलाइन व्यवसाय या नौकरी दिलाने, फ्रेंचाइजी दिलाने, ऑफर या स्कीम बताकर आपसे ठगी हो सकती है. कई बार बैंकों या सरकारी कार्यालयों में किसी योजना या खाते से संबंधित जानकारियों को ऑनलाइन करने के लिए किसी तीसरी एजेंसी का सहारा लेते हुए इस काम को आउटसोर्स कर दिया जाता है. ऐसे मामलों में डाटा चोरी होने की आशंका काफी बढ़ जाती है.
समय पर शिकायत की तो वापस मिल सकती है राशि
मोतिहारी की एक शिक्षिका सेवानिवृत्त हुई. ट्रेजरी से उनकी सेवानिवृत्ति की फाइल का काम जल्द पूरा कराने के लिए एक व्यक्ति ने उनसे यह कहते हुए संपर्क किया कि वह ट्रेजरी कार्यालय का क्लर्क बोल रहा है. उसने उन्हें झांसा देकर नौ लाख रुपये ठग लिए. महिला शिक्षिका की शिकायत पर जब इस मामले की जांच हुई, तो पता चला कि इस नाम का कोई क्लर्क ट्रेजरी कार्यालय में है ही नहीं. यह भी पता चला कि जब शिक्षिका ने आवेदन किया था, तो साइबर ठगों को वह डाटा मिल गया था और उसने ठगी को प्लान कर लिया. डाटा सरकारी कार्यालय में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर की लापरवाही से लीक हो गया था.
पटना के रमेश कुमार ने ऑनलाइन टैक्सी कंपनी के ड्राइवर के खराब व्यवहार की शिकायत के लिए गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च किया. सर्च में सबसे ऊपर दो नंबर दिखे, एक नंबर लगा नहीं. दूसरे पर ग्राहक सेवा प्रतिनिधि ने पूरी जानकारी लेकर किराया वापसी भरोसा दिया. एक लिंक भेजकर क्लिक करने के लिए कहा गया. इस पर क्लिक करते ही खाते से 50 हजार रुपये अचानक निकल गए. साइबर सेल में शिकायत की तो पता चला कि नंबर ही फर्जी था. जिस लिंक पर क्लिक किया था, उसके जरिये उनके मोबाइल की क्लोनिंग करके पूरा डाटा हैक कर लिया था. इसी वजह से पैसे निकल गए.
साइबर ठगी के तुरंत बाद बैंक या साइबर सेल में शिकायत करने पर पैसे वापसी की संभावना काफी रहती है. बैंक ऐसी शिकायतों पर संबंधित खाते को फ्रीज करवा देते हैं और जिस खाते में पैसे ट्रांसफर हुए हैं, उसे भी फ्रीज करवाकर जांच करते हैं. ठगी होने पर पैसे वापस हो जाते हैं. प्रखंड, जिला स्तरीय कार्यालयों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की सख्ती से पालन नहीं होने से जानकारियां लीक हो जाती हैं.
बैंकों की पूरी प्रणाली ऑटोमेटिक और सुरक्षित होने पर बैंक के स्तर से चूक कम होती है. कुछ मामलों में मिलीभगत रही है. अपने पासवर्ड नहीं बदलने या सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करने के कारण सूचनाएं लीक होती हैं. -आरके दास, सेवानिवृत्त एजीएम, एसबीआई
साइबर सुरक्षा के लिए तैयार मानक मसलन फायरवॉल, एंटी वायरस मैकेनिज्म के अपडेट नहीं रहने के कारण भी साइबर ठगी होती है. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को टू-फैक्टर सुरक्षा से लैस रखें.- सुशील कुमार, एसपी, आर्थिक अपराध इकाई